India EV Revolution: क्या इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की रेस में पिछड़ जाएंगी मारुति-टाटा जैसी बड़ी कंपनियां?  

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का बढ़ता क्रेज भारतीय ऑटो कंपनियों के लिए खतरा बन सकता है। जानें कैसे EV क्रांति से बदल सकता है भारत का ऑटोमोटिव सेक्टर और कौन सी कंपनियां हो सकती हैं सबसे ज्यादा प्रभावित।

Apr 16, 2025 - 10:31
Apr 16, 2025 - 10:32
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India EV Revolution: क्या इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की रेस में पिछड़ जाएंगी मारुति-टाटा जैसी बड़ी कंपनियां?  
India EV Revolution: क्या इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की रेस में पिछड़ जाएंगी मारुति-टाटा जैसी बड़ी कंपनियां?  

दुनिया भर में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता ने भारत के ऑटोमोटिव सेक्टर को भी हिलाकर रख दिया है। सरकार द्वारा ईवी खरीद पर दी जाने वाली सब्सिडी और पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने इलेक्ट्रिक कारों को एक आकर्षक विकल्प बना दिया है। लेकिन क्या भारत की बड़ी ऑटो कंपनियां इस बदलाव के लिए तैयार हैं? लंदन के इम्पीरियल कॉलेज बिजनेस स्कूल की एक ताजा रिपोर्ट ने इस सवाल पर गंभीर चिंता जताई है।  

क्या कहती है रिपोर्ट?  
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत में ईवी की बिक्री 8% से बढ़कर 25% हो जाती है, तो पारंपरिक कार निर्माताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। खासकर वे कंपनियां जो अभी भी पेट्रोल-डीजल वाहनों पर निर्भर हैं, उनके लिए यह एक बड़ा झटका होगा।  

कौन सी कंपनियां हैं सबसे ज्यादा खतरे में?  
1. मारुति सुजुकी: देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी अभी तक ईवी मार्केट में कोई बड़ा कदम नहीं उठा पाई है। अगर वह जल्दी EV में नहीं आती, तो उसकी मार्केट शेयर 50% से गिरकर 30% तक पहुंच सकती है।  
2. टाटा मोटर्स: फिलहाल भारत के EV मार्केट पर टाटा का 70% कब्जा है। लेकिन अगर अन्य कंपनियां तेजी से इस सेक्टर में आती हैं, तो टाटा को भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।  
3. महिंद्रा एंड महिंद्रा: महिंद्रा ने हाल ही में अपनी EV योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन अभी उसकी मार्केट शेयर सिर्फ 10% है।  

बिजली की मांग में होगा विस्फोट!  
रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि अगर भारत की सड़कों पर 25% गाड़ियां इलेक्ट्रिक हो जाती हैं, तो देश में बिजली की खपत 60% तक बढ़ सकती है। इसके लिए:  
✔ ग्रिड को मजबूत करना होगा  
✔ रिन्यूएबल एनर्जी (सोलर, विंड) में निवेश बढ़ाना होगा  
✔ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करना होगा  

2030 तक 67 लाख चार्जिंग स्टेशनों की जरूरत  
सरकार ने 2030 तक 30% कारें और 80% दोपहिया-तीनपहिया वाहन इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन इसके लिए 67 लाख नए चार्जिंग पॉइंट्स की आवश्यकता होगी। क्या भारत इतना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर पाएगा?  

क्या कोयले से चार्ज करने पर मिलेगा फायदा?  
एक बड़ा सवाल यह भी है कि अगर ईवी को कोयले से बनी बिजली से चार्ज किया जाएगा, तो प्रदूषण कम करने का लक्ष्य पूरा नहीं होगा। इसलिए सोलर और विंड एनर्जी पर जोर देना होगा।  

सरकार की योजना vs ग्राउंड रियलिटी  
सरकार PLI स्कीम के तहत ईवी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे रही है। लेकिन क्या यह पर्याप्त है? इम्पीरियल कॉलेज के शोधकर्ता अलेक्जान्द्रे कोबर्ले का कहना है – "भारत को अपनी पावर ग्रिड को 21वीं सदी के अनुकूल बनाना होगा, नहीं तो EV क्रांति अधूरी रह जाएगी।"  

क्या आपकी अगली कार इलेक्ट्रिक होगी?  
जब तक चार्जिंग की सुविधा, बैटरी की लाइफ और कीमतें यूजर-फ्रेंडली नहीं होंगी, तब तक भारतीय ग्राहकों का रुझान ईवी की तरफ पूरी तरह नहीं बढ़ेगा।  

क्या आपको लगता है कि भारत 2030 तक अपना EV लक्ष्य हासिल कर पाएगा? कमेंट में बताएं!  

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।