Saraikela Drowning: रोज की तरह नहाने गया युवक, इस बार तालाब से घर नहीं लौटा...
सरायकेला-खरसावां के उड़ियासिली गांव में नहाने गया युवक अचानक तालाब में डूब गया। शादीशुदा जीवन में तनाव झेल रहा युवक रोज की तरह सुबह नहाने गया था, लेकिन लौटकर कभी नहीं आया।

सरायकेला-खरसावां जिले के एक शांत गांव में मंगलवार की सुबह अचानक मातम पसर गया। चांडिल थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कपाली पंचायत के उड़ियासिली गांव का एक 26 वर्षीय युवक, जो रोज की तरह तालाब में स्नान के लिए गया था, कभी घर नहीं लौटा। उस युवक का नाम रविंद्रनाथ प्रमाणिक था, और वह गांव के ही सैलून में काम करता था।
रविंद्रनाथ सुबह करीब 6:30 बजे गांव के पास ही स्थित तालाब में नहाने गया। यह उसकी रोज़ की दिनचर्या का हिस्सा था, लेकिन इस बार भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया। बताया जा रहा है कि तालाब में नहाने के दौरान उसका पैर फिसल गया और वह गहराई में चला गया। आसपास मौजूद लोगों ने जब उसे डूबते देखा तो तुरंत तालाब में कूदकर उसे बाहर निकाला और परिजनों की मदद से एमजीएम अस्पताल ले जाया गया। लेकिन डॉक्टरों ने रविंद्रनाथ को मृत घोषित कर दिया।
युवक का शव पोस्टमार्टम के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज भेजा गया, और फिर परिजनों को सौंप दिया गया। जैसे ही गांव में यह खबर फैली, पूरे इलाके में सन्नाटा पसर गया।
रविंद्रनाथ तीन भाइयों में सबसे छोटा था और सैलून में काम करके परिवार का सहयोग करता था। वर्ष 2021 में उसकी शादी हुई थी, लेकिन वैवाहिक जीवन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था। आपसी विवाद के कारण उसकी पत्नी उसे छोड़कर मायके चली गई थी। बताया जा रहा है कि वह मानसिक रूप से तनाव में रहता था, लेकिन अपने काम और दिनचर्या में किसी तरह सामान्य बना हुआ था।
गौर करने वाली बात यह है कि उड़ियासिली का यह तालाब गांव वालों के लिए पीढ़ियों से स्नान, पूजा और अन्य कार्यों के लिए उपयोग में आता रहा है। हालांकि, सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं हैं। न तो गहराई का संकेत है, न कोई चेतावनी बोर्ड, और न ही आसपास कोई सुरक्षा कर्मचारी। पहले भी कुछ छोटे हादसे इस तालाब में हो चुके हैं, लेकिन इस बार यह हादसा जानलेवा साबित हुआ।
स्थानीय लोगों का कहना है कि रविंद्रनाथ एक मेहनती और शांत स्वभाव का लड़का था, और उसकी मृत्यु ने सभी को झकझोर दिया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि तालाब के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाई जाए और चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकें।
गांव के बुजुर्गों ने बताया कि यह तालाब करीब 50 साल पुराना है और कभी गर्मी में भी नहीं सूखता था। इसे "जीवित जलकुंड" कहा जाता है, लेकिन अब यह मौत का कुंआ बनता जा रहा है। बदलते समय के साथ जल स्रोतों की देखरेख कम होती गई है, जिससे ऐसे हादसों की आशंका लगातार बनी रहती है।
रविंद्रनाथ की मौत ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि किस तरह छोटी-सी चूक भी जिंदगी छीन सकती है। क्या गांवों में अब तालाबों को सुरक्षित बनाने का समय नहीं आ गया?
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