Jharkhand Tracking Food : झारखंड में अब नहीं चलेगा गड़बड़झाला: GPS से ट्रैक होगा हर अनाज का दाना!

झारखंड सरकार ने अनाज चोरी और कालाबाजारी पर लगाम कसने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अनाज ले जाने वाले सभी वाहनों में लगेगा जीपीएस, जिससे होगी रीयल टाइम निगरानी और पारदर्शिता।

May 5, 2025 - 12:58
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Jharkhand Tracking  Food : झारखंड में अब नहीं चलेगा गड़बड़झाला: GPS से ट्रैक होगा हर अनाज का दाना!
Jharkhand Tracking Food : झारखंड में अब नहीं चलेगा गड़बड़झाला: GPS से ट्रैक होगा हर अनाज का दाना!

झारखंड की जनता के लिए एक बड़ी खबर है—अब सरकारी राशन व्यवस्था में पारदर्शिता का नया युग शुरू होने जा रहा है। झारखंड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम (JSFC) ने घोषणा की है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत अनाज उठाने और डीलरों तक पहुंचाने वाले सभी वाहनों में GPS यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम अनिवार्य रूप से लगाया जाएगा।

यह कदम सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक क्रांति है। वर्षों से झारखंड के ग्रामीण और दूर-दराज इलाकों में राशन वितरण में भ्रष्टाचार, अनाज चोरी और कालाबाजारी की खबरें आम थीं। कहीं रास्ते में ट्रक रुक गया, कहीं अनाज बीच रास्ते में उतर गया और डीलरशिप तक आधा ही माल पहुंचा। अब ऐसा कुछ भी छुपाना आसान नहीं होगा।

इतिहास गवाह है: पहले भी हो चुकी हैं शिकायतें

झारखंड में राशन चोरी की घटनाएं नई नहीं हैं। 2000 के दशक की शुरुआत से ही PDS सिस्टम पर सवाल उठते रहे हैं। कई रिपोर्ट्स में बताया गया कि ड्राइवर रास्ते में ही राशन बेच देते थे, और लाभुकों तक सिर्फ कागज़ों पर अनाज पहुंचता था। सरकारों ने कई बार सख्ती दिखाई, लेकिन ठोस टेक्नोलॉजी की कमी के कारण समाधान अधूरा रह जाता था।

अब होगा लाइव ट्रैकिंग से पूरा नियंत्रण

JSFC की इस नई योजना के तहत, हर अनाज वाहन में GPS डिवाइस लगेगा। इसकी निगरानी जिला स्तर से लेकर राज्य मुख्यालय तक बने कमांड कंट्रोल सेंटर से की जाएगी।

जब कोई वाहन गोदाम से निकलेगा, तो उसकी हर हरकत पर होगी सीधी नजर। कब निकला, किस रास्ते से गया, कहां रुका, और आखिरकार डीलरशिप पर कब पहुंचा—हर जानकारी रियल टाइम में उपलब्ध रहेगी। यदि कोई वाहन तय रूट से हटता है या संदिग्ध गतिविधि करता है, तो तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।

आवेदन प्रक्रिया शुरू, कंपनियों से मांगे गए प्रस्ताव

JSFC ने GPS लगाने वाली टेक कंपनियों से आवेदन मांगे हैं। 23 मई तक इच्छुक कंपनियां अपना प्रस्ताव जमा कर सकती हैं। इसका मतलब है कि जून से झारखंड की राशन व्यवस्था में तकनीक का सीधा और प्रभावी दखल शुरू हो सकता है।

खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इस योजना का लक्ष्य सिर्फ निगरानी नहीं, बल्कि जनता का विश्वास भी लौटाना है। क्योंकि जब लोगों को लगेगा कि अनाज वितरण अब ट्रैक हो रहा है, तो भरोसा खुद-ब-खुद मजबूत होगा।

भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार

इस GPS व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यही होगा कि अब अनाज चोरी, कालाबाजारी और डीलरों की मनमानी पर लगाम लगेगी। पहले जहां वाहन बीच रास्ते में ही अनाज उतार देते थे, अब उन्हें हर कदम पर जवाबदेह बनना होगा।

एक साहसिक और जरूरी कदम

झारखंड में PDS सिस्टम को पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने की दिशा में यह कदम ऐतिहासिक है। एक ऐसे राज्य में जहां लोगों की आजीविका और जीवन राशन वितरण प्रणाली पर निर्भर है, वहां तकनीक का ऐसा इस्तेमाल न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगा बल्कि सिस्टम में भरोसा भी वापस लाएगा।

अगर यह योजना सफल होती है, तो झारखंड देश के उन राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां टेक्नोलॉजी के जरिए पब्लिक सर्विस डिलीवरी को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाया गया है।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।