Jamshedpur Collapse Shock: एमजीएम अस्पताल की गिरती दीवार ने ली दो की जान, मंजू सिंह का सरकार पर फूटा गुस्सा
जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में बी ब्लॉक की दीवार गिरने से दो की मौत, कई घायल। झारखंड क्षत्रिय संघ की महिला महासचिव मंजू सिंह ने सरकार को आड़े हाथों लिया, कहा—मुआवज़ा नहीं, समय पर मरम्मत चाहिए।

Jamshedpur के सबसे पुराने और बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में जो हादसा हुआ, उसने एक बार फिर झारखंड की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था को बेनकाब कर दिया।
बी ब्लॉक की दीवार और छत अचानक गिरने से दो लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। पूरे अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। मरीजों और परिजनों के चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें पूरे अस्पताल में गूंजती रहीं।
मंजू सिंह का तीखा हमला – “सरकार कब जागेगी?”
झारखंड क्षत्रिय संघ की महिला केंद्रीय इकाई की महासचिव मंजू सिंह ने इस घटना पर गहरा दुख जताते हुए सरकार की कड़ी आलोचना की।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि "मुआवज़ा जख्म नहीं भरता, अगर समय रहते मरम्मत कर दी जाती तो जानें बचाई जा सकती थीं।"
मंजू सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार के निकम्मेपन और मंत्रियों की असंवेदनशीलता के चलते आम जनता की जान जोखिम में है। उन्होंने सवाल उठाया कि कब तक सरकारी भवन यूं ही गिरते रहेंगे और लोग मारे जाते रहेंगे?
एक जर्जर अस्पताल, जिसे मरम्मत की गुहार थी
एमजीएम अस्पताल की हालत किसी से छिपी नहीं है। बी ब्लॉक की छत और दीवारें वर्षों से कमजोर बताई जा रही थीं। कई बार स्थानीय प्रशासन को मरम्मत की मांग भेजी गई, लेकिन उसे नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
यह वही एमजीएम अस्पताल है जिसकी स्थापना 1961 में हुई थी, लेकिन आज तक इसकी मूलभूत संरचना में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ।
पिछले वर्षों में भी पानी टपकने, प्लास्टर गिरने और बिजली की खराब व्यवस्था की खबरें आती रही हैं, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया।
जनता के पैसे से राजनीति, जनता के लिए नहीं सेवा
मंजू सिंह ने आगे कहा कि पहले जो स्वास्थ्य मंत्री थे, उन्होंने भी सिर्फ दिखावा किया और अब जो हैं, उन्हें तो अस्पताल की हालत नजर ही नहीं आती।
"एमजीएम की जर्जर दीवारें उन्हें नहीं दिखतीं, लेकिन कैमरे के सामने बयान देना उन्हें खूब आता है।"
उन्होंने मुख्यमंत्री को भी घेरा और कहा कि वे निकम्मों की टोली बना रहे हैं, जिन्हें जनता की चिंता नहीं है।
सिर्फ एमजीएम नहीं, पूरी व्यवस्था सवालों के घेरे में
इस एक घटना ने पूरे राज्य में मौजूद सरकारी स्कूलों, अस्पतालों और दफ्तरों की हालत को उजागर कर दिया है।
सैकड़ों भवन हैं जो मरम्मत के लिए चिल्ला रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
मंजू सिंह ने उपायुक्त और स्वास्थ्य मंत्री से राज्य भर के सभी सरकारी भवनों की जांच कराने और रिपोर्ट तैयार करने की मांग की है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाले दिनों में और बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
मुआवज़े से नहीं आती ज़िंदगी वापस
हर बार की तरह इस बार भी सरकार मुआवज़े की घोषणा करेगी, लेकिन मंजू सिंह का कहना है कि मुआवज़े से किसी का बेटा, पिता या पत्नी वापस नहीं आएगी।
जरूरत है ठोस कदम उठाने की, ताकि आने वाले समय में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।
क्या सरकार सुन रही है?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या झारखंड सरकार इस चेतावनी को गंभीरता से लेगी?
क्या उपायुक्त और स्वास्थ्य विभाग जिम्मेदारियों से बचेंगे या सच्ची जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे?
यह सिर्फ एक हादसा नहीं, एक चेतावनी है — अगर अब भी नहीं जागे तो कल और कई एमजीएम ढह सकते हैं।
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