Bodam Accident: सड़क पर तड़पता रहा मजदूर, मदद को घंटों तरसता रहा परिवार

बोड़ाम थाना क्षेत्र में देर रात स्कूटी दुर्घटना में दो युवक घायल हो गए। घायल मजदूर सड़क पर घंटों पड़ा रहा, एंबुलेंस न मिलने से देर से पहुंचा इलाज। जानिए हादसे की पूरी कहानी।

May 5, 2025 - 13:55
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Bodam Accident: सड़क पर तड़पता रहा मजदूर, मदद को घंटों तरसता रहा परिवार
Bodam Accident: सड़क पर तड़पता रहा मजदूर, मदद को घंटों तरसता रहा परिवार

रविवार की रात, जब ज्यादातर लोग अपने घरों में आराम कर रहे थे, झारखंड के बोड़ाम थाना क्षेत्र में एक मजदूर दर्द से सड़क पर तड़प रहा था।
हलुदबनी सिदो-कान्हु चौक के पास हुई एक सड़क दुर्घटना में स्कूटी सवार दो युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। इनमें से एक—दिनेश गोप—का पैर बुरी तरह टूट चुका था और वह घटनास्थल पर ही दर्द से कराहता पड़ा रहा। लेकिन दर्द से बड़ा उसका दुर्भाग्य था—उसे समय पर न तो एंबुलेंस मिली, न ही तुरंत इलाज।

कौन हैं ये युवक और कहां जा रहे थे?

घटना रविवार देर रात करीब 11 बजे की है। जादूगोड़ा थाना क्षेत्र के सीधाडांगा निवासी अमूल्य सिंह और माटीगाड़ा निवासी दिनेश गोप एक ही स्कूटी पर सवार होकर लायलम गांव स्थित अमूल्य के रिश्तेदार के घर जा रहे थे। तभी अज्ञात वाहन ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी और वह स्कूटी समेत गिर पड़े।

सड़क पर पड़ा रहा घायल, मदद की कोई जल्दी नहीं

स्थानीय ग्राम प्रधान विनय नरेश मुर्मू को जैसे ही सूचना मिली, उन्होंने अपने एक सहयोगी को मदद के लिए भेजा। लेकिन विडंबना देखिए, कि एंबुलेंस व्यवस्था की लचरता के कारण घायल युवक को तत्काल अस्पताल नहीं ले जाया जा सका।
अंततः अमूल्य सिंह ने तूरियाबेड़ा स्थित अपने चाचा को फोन किया। उन्होंने खुद एक टेंपो का इंतजाम कर करीब 12 बजे के बाद दोनों को जमशेदपुर स्थित एमजीएम अस्पताल पहुंचाया।

मजदूर की दयनीय स्थिति, टूटे सपने

दिनेश गोप, एक ठेका मजदूर है जो जादूगोड़ा की एक कंपनी में काम करता है। उसके तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। जब उसकी पत्नी को हादसे की खबर मिली, तो वो रोते-बिलखते सोमवार को अस्पताल पहुंची।
स्थानीय निवासी लखीकांत सिंह के अनुसार, डॉक्टरों ने एमजीएम में प्राथमिक उपचार के बाद दिनेश को गंभीर स्थिति में रिम्स, रांची रेफर कर दिया। परिजन किसी तरह एंबुलेंस की व्यवस्था कर उसे रिम्स ले गए।

हादसे की गुत्थी अब भी सुलझी नहीं

इस सड़क हादसे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस वाहन ने स्कूटी को टक्कर मारी, उसकी अब तक पहचान नहीं हो पाई है। न कोई नंबर प्लेट की जानकारी है, न ही कोई चश्मदीद। पुलिस के पास कोई ठोस सुराग नहीं है, जिससे यह सवाल और गहरा हो जाता है—क्या यह एक सामान्य दुर्घटना थी या लापरवाही की परिणीति?

बोड़ाम और सड़क हादसों का पुराना रिश्ता

बोड़ाम और उसके आसपास के क्षेत्रों में सड़क हादसे कोई नई बात नहीं हैं। पिछले कुछ वर्षों में यहां दर्जनों ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां घायल समय पर इलाज न मिलने के कारण जान से हाथ धो बैठे। खराब सड़कें, रात में पर्याप्त रोशनी का न होना और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी—ये सब एक घातक मिश्रण बन चुके हैं।

प्रशासन की चुप्पी और परिवार की गुहार

परिजनों ने स्थानीय विधायक और मंत्री रामदास सोरेन को फोन पर जानकारी दी और मदद की अपील की है। लेकिन अब तक प्रशासन की तरफ से कोई ठोस सहायता नहीं मिली है। सवाल यह भी है कि गरीब मजदूरों के लिए हमारे सिस्टम में कोई प्राथमिकता क्यों नहीं होती?

बोड़ाम की यह घटना केवल एक सड़क दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे सिस्टम की संवेदनहीनता का एक जीता-जागता उदाहरण है। एक मजदूर जो दिन-रात मेहनत करता है, सड़क पर घायल पड़ा रहा और व्यवस्था उसे समय पर इलाज नहीं दे सकी।
अब सवाल हम सबके लिए है—क्या हम ऐसी घटनाओं को सामान्य मानते रहेंगे, या बदलाव की मांग करेंगे?

आप क्या सोचते हैं, क्या प्रशासनिक लापरवाही दिनेश गोप जैसे गरीबों के जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।