Bihar crime : गंगा के टापू से निकली मौत की फैक्ट्री, हथियार बनाते पकड़े गए तीन तस्कर
बिहार के मुंगेर में गंगा और गंडक नदी के बीच स्थित टापू पर पुलिस ने छापेमारी कर अवैध हथियार बनाने वाली चार मिनी फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ किया है। तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि दो फरार हैं।

बिहार का मुंगेर जिला एक बार फिर अवैध हथियार निर्माण के नेटवर्क का गढ़ बनकर सामने आया है। यहां के गंगा-गंडक के बीच बसे टापुओं पर चल रही मौत की ये फैक्ट्री किसी फिल्मी साजिश से कम नहीं लगती, लेकिन यह हकीकत है। पुलिस ने चार मिनी गन फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ किया है और तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
मुंगेर, जो कभी ऐतिहासिक रूप से "बंदूकनगरी" के नाम से जाना जाता था, वहां एक बार फिर देसी कट्टों और पिस्टल की गूंज सुनाई दे रही है — इस बार पुलिस के हथियार नहीं, बल्कि तस्करों के कारखाने!
गंगा का पानी घटा, फैक्ट्रियों का पर्दाफाश
दरअसल, जैसे ही गंगा और गंडक नदियों का जलस्तर घटा, वैसे ही पुलिस को इन टापुओं से संदिग्ध गतिविधियों की खबरें मिलने लगीं। मुंगेर एसपी सैयद इमरान मसूद को गुप्त सूचना मिली कि मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के टापू में अवैध हथियार निर्माण का धंधा जोरों पर है।
तुरंत कार्रवाई करते हुए एसटीएफ, जिला आसूचना इकाई और मुफ्फसिल थाने की संयुक्त टीम ने डीएसपी अभिषेक आनंद के नेतृत्व में टापू पर छापा मारा। पांच संदिग्ध मौके पर मौजूद थे, जिनमें से दो अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए, जबकि तीन को पुलिस ने दबोच लिया।
क्या मिला इस 'हथियार फैक्ट्री' से?
जांच के दौरान पुलिस को चार बेस मशीन, तीन तैयार पिस्टल, एक अधबना हथियार, ड्रिल मशीनें, दो मैगजीन और जिंदा कारतूस मिले। यह नजारा साफ इशारा कर रहा था कि यहां किसी छोटी-मोटी वेल्डिंग की नहीं, बल्कि सुनियोजित तरीके से हथियार निर्माण की योजना चल रही थी।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सौरव कुमार, विपिन सिंह और राजाराम सिंह के रूप में हुई है, तीनों स्थानीय निवासी हैं और पहले भी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं। इनसे पूछताछ के आधार पर पुलिस अब फरार तस्करों की तलाश में जुट गई है।
हथियार निर्माण का नया ठिकाना क्यों बना 'टापू'?
मुंगेर और उसके आसपास के क्षेत्रों में अवैध हथियारों की परंपरा नई नहीं है। ब्रिटिश काल से ही यह इलाका हथियारों के गैरकानूनी कारोबार के लिए कुख्यात रहा है। पहले ये फैक्ट्रियां पहाड़ी और जंगल क्षेत्रों में छिपकर चलती थीं, लेकिन तकनीकी निगरानी और ड्रोन सर्विलांस बढ़ने के बाद अब तस्कर गंगा के टापुओं को अपना नया अड्डा बना चुके हैं।
टापू का फायदा यह है कि वहां तक पहुंचना मुश्किल है, और पुलिस या सुरक्षा एजेंसियों को भनक लगने तक सबूत मिटाए जा सकते हैं। यही वजह है कि अपराधी अब नदी के सूखे टापुओं पर अपने नेटवर्क फैला रहे हैं।
आगे की रणनीति क्या है?
एसपी इमरान मसूद ने कहा, “यह कार्रवाई अवैध हथियार निर्माण की जड़ों को खत्म करने की दिशा में एक अहम कदम है। अब हमारी टीम उन नेटवर्क को भी ध्वस्त करेगी जो इन हथियारों को बिहार और देश के अन्य हिस्सों में सप्लाई करते हैं।”
पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के बाद कुछ और नामों की पहचान की है, जिनकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। वहीं गुप्तचरों का नेटवर्क भी एक्टिव कर दिया गया है ताकि अगली बड़ी कार्रवाई से पहले कोई सुराग न छूटे।
मुंगेर एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह गौरव नहीं, बल्कि अवैध हथियारों का खतरनाक खेल है। जब तक ऐसे अवैध नेटवर्क का पूरी तरह से सफाया नहीं होता, तब तक शांति सिर्फ एक भ्रम बनी रहेगी।
क्या गंगा के किनारे बसी ये मौत की फैक्ट्रियां फिर से बंद होंगी? या ये सिर्फ एक शुरुआत है?
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