Delhi Attack: हॉर्न मना किया तो गुस्से में थार चढ़ा दी, सिक्योरिटी गार्ड के दोनों पैर तोड़ डाले
दिल्ली के वसंत कुंज में एक मामूली बात पर सिक्योरिटी गार्ड पर थार चढ़ा दी गई। जानिए कैसे एक 'हॉर्न' की वजह से एक गार्ड जिंदगी और मौत की लड़ाई में पहुंच गया।

दिल्ली की सड़कों पर बदतमीजी और गुस्से का ये मंजर देखकर कोई भी कांप उठेगा।
महज हॉर्न बजाने से रोकने पर एक सिक्योरिटी गार्ड को जान से मारने की कोशिश की गई। ये घटना न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार करती है, बल्कि ये सवाल भी उठाती है—क्या अब सड़क पर अपनी सुरक्षा के लिए बोलना भी गुनाह है?
क्या हुआ था उस सुबह?
यह मामला दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के वसंत कुंज इलाके का है, जहां महिपालपुर चौक पर शनिवार की सुबह दिल दहला देने वाली वारदात हुई। पीड़ित राजीव कुमार, जो एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 पर सिक्योरिटी गार्ड हैं, अपनी ड्यूटी खत्म कर घर लौट रहे थे। तभी अचानक एक थार जीप में सवार युवक ने पीछे से जोर-जोर से हॉर्न बजाना शुरू कर दिया।
राजीव ने शांति से युवक को हॉर्न न बजाने की बात कही—बस यही बात आरोपी को इतनी बुरी लगी कि उसने जान से मारने की कोशिश कर डाली।
हॉर्न से हत्या तक: कैसे बढ़ा मामला?
राजीव कुमार जैसे ही महिपालपुर रेड लाइट पार करने लगे, आरोपी युवक, जिसकी पहचान विजय उर्फ लाला के रूप में हुई है, ने पहले उन्हें गाली दी, फिर उनका सिक्योरिटी बैटन छीनने की कोशिश की। मना करने पर धमकी दी, “रोड पार कर... तेरे ऊपर गाड़ी चढ़ा दूंगा।” और कुछ ही सेकंड बाद, आरोपी ने राजीव को अपनी थार जीप से टक्कर मार दी।
राजीव नीचे गिर गए और मदद के लिए चिल्लाने लगे। लेकिन दरिंदगी यहीं खत्म नहीं हुई—विजय ने गाड़ी बैक की और दोबारा उनके ऊपर चढ़ा दी।
नतीजा: 10 से ज्यादा जगह से टूटी हड्डियां
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस हादसे में राजीव के दोनों पैरों की 10 से ज्यादा जगहों से हड्डियां टूट चुकी हैं। वो इस वक्त पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित एएसआई अस्पताल में भर्ती हैं, जहां डॉक्टरों की एक टीम उनकी सर्जरी में जुटी है।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
जैसे ही घटना की सूचना वसंत कुंज साउथ थाने को मिली, इंस्पेक्टर अरविंद प्रताप सिंह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। घायल को तुरंत अस्पताल भेजा गया और जांच शुरू की गई।
सिर्फ 6 घंटे के अंदर आरोपी विजय उर्फ लाला को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके खिलाफ हत्या के प्रयास की धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
इस तरह की घटनाएं पहले भी...
दिल्ली जैसे महानगर में रोड रेज के मामले कोई नई बात नहीं हैं। 2015 में दिल्ली के ही जनकपुरी इलाके में एक स्कूटर सवार युवक की जान सिर्फ इसलिए चली गई थी क्योंकि उसने कार वाले को साइड देने से मना कर दिया था।
ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या हमारे समाज में गुस्से की कीमत किसी की जिंदगी से ज्यादा हो चुकी है?
सवाल जो उठते हैं:
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क्या रोड पर थोड़ा संयम रखना इतना मुश्किल हो गया है?
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क्या दिल्ली की सड़कों पर कोई सुरक्षित नहीं है?
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क्या सड़क पर नियम बताना अब जानलेवा साबित होगा?
राजीव कुमार का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने थोड़ा शांति और संयम की बात की। लेकिन उसके बदले उन्हें जिंदगीभर का दर्द और डर मिल गया। ये घटना सिर्फ एक रोड रेज नहीं, बल्कि हमारी संवेदनहीन होती जा रही मानसिकता की एक खौफनाक तस्वीर है।
अब समय है कि हम सिर्फ आरोपी को नहीं, उस सोच को भी सजा दें, जो सड़क को अपनी जागीर समझती है और इंसान की जान को मजाक।
क्या आप कभी ऐसी स्थिति में फंसे हैं जहां आपकी शांति को किसी ने आपकी कमजोरी समझ लिया हो?
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