Dhanbad Collision: अचानक ब्रेक और फिर मौत जैसी टक्कर, 4 गाड़ियों के हादसे में मची अफरा-तफरी
धनबाद के बरवाअड्डा जीटी रोड पर अचानक ब्रेक लगने से हुआ भयानक सड़क हादसा, चार वाहन आपस में भिड़े, टैंकर चालक के दोनों पैर टूटे। जानिए कैसे एक सेकेंड की गलती ने बना दिया मौत का मंजर।

झारखंड के धनबाद जिले का बरवाअड्डा इलाका रविवार को एक भीषण सड़क हादसे का गवाह बना। जीटी रोड के कौआबांध मोड़ पर अचानक ब्रेक लगने की एक छोटी सी घटना ने पलभर में चार गाड़ियों को एक-दूसरे से टकरा दिया। नतीजा—एक ड्राइवर के दोनों पैर टूट गए और कई अन्य घायल हो गए।
एक पल की चूक, और 4 गाड़ियां बन गईं कबाड़
इस सड़क हादसे की शुरुआत होती है एक कंटेनर ड्राइवर द्वारा अचानक ब्रेक लगाने से। कंटेनर के ठीक पीछे चल रहा था एक तेल का टैंकर, जिसे चला रहे थे अमन, जो मध्य प्रदेश से कोलकाता तेल लेकर जा रहे थे। अमन ने बताया कि कंटेनर के अचानक ब्रेक लगाने पर उन्होंने भी ब्रेक लगाने की कोशिश की, लेकिन टैंकर का ब्रेक फेल हो गया।
तेजी से चलते टैंकर ने कंटेनर में जोरदार टक्कर मार दी। इतना ही नहीं, टैंकर के ठीक पीछे चल रहे दो और वाहन—407 मिनी ट्रक और टाटा मैजिक भी खुद को रोक नहीं पाए और बुरी तरह टकरा गए।
हादसा इतना भयानक कि कांप उठे लोग
घटना की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमन का दोनों पैर बुरी तरह टूट गया। हादसे के बाद अफरा-तफरी मच गई। राहगीरों ने घायलों को तत्काल बाहर निकाला और धनबाद के अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
इतिहास भी गवाह है: जीटी रोड पर अक्सर होते हैं हादसे
जीटी रोड, जो ग्रांड ट्रंक रोड के नाम से प्रसिद्ध है, भारत की सबसे पुरानी और व्यस्त सड़कों में से एक है। इसकी स्थापना शेरशाह सूरी के काल में हुई थी। धनबाद और बरवाअड्डा जैसे इलाकों में यह सड़क कोयला परिवहन, भारी ट्रैफिक और खस्ताहाल ओवरलोड गाड़ियों के लिए जानी जाती है।
हर साल इस रोड पर दर्जनों दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें ब्रेक फेल होना, ओवरटेकिंग और खराब रोड कंडीशन प्रमुख कारण रहते हैं।
पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई
गोविंदपुर पुलिस मौके पर पहुंची और तीनों दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को कब्जे में लेकर पुलिस यार्ड में रख दिया। टैंकर का अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने के कारण अभी भी सड़क पर खड़ा है। इससे ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है।
क्या ब्रेक फेल होना लापरवाही या सिस्टम की खामी?
भारत में ब्रेक फेल जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं। ट्रक और टैंकरों के मालिक अक्सर मेंटेनेंस पर खर्च नहीं करना चाहते, जिससे ड्राइवर और आम नागरिकों की जान खतरे में पड़ जाती है।
एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल भारत में 1.5 लाख से ज्यादा सड़क हादसे होते हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा तकनीकी खराबी के कारण होते हैं।
जनता के मन में उठते सवाल:
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क्या भारी वाहनों की समय-समय पर जांच नहीं होनी चाहिए?
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क्या सड़क सुरक्षा केवल बोर्ड लगाने से पूरी हो जाती है?
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जब तक हादसे नहीं होते, क्या तब तक प्रशासन सोता रहेगा?
बरवाअड्डा की ये दुर्घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक सिस्टम की विफलता का नमूना है। अमन जैसे हजारों ड्राइवर हर दिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं, और कारण वही—खराब गाड़ियां, बिना मेंटेनेंस और लापरवाह ट्रैफिक मैनेजमेंट।
अब समय आ गया है जब हमें केवल ड्राइवर पर आरोप नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम को सुधारने की जरूरत है। वरना GT रोड पर ऐसी मौतें आम होती जाएंगी और हम सिर्फ खबरें पढ़ते रहेंगे।
क्या आपने कभी सोचा है, अगली बार यह हादसा आपके साथ या आपके किसी अपने के साथ भी हो सकता है?
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