Jamshedpur Suspicious Death: बाथरूम से लौटे, कुछ ही मिनटों में मौत! सिपाही की रहस्यमयी मौत ने खड़े किए कई सवाल
जमशेदपुर पुलिस लाइन में एक सिपाही की अचानक हुई मौत ने पूरे महकमे को हैरान कर दिया है। बाथरूम से लौटते ही कुछ मिनटों में उनकी जान चली गई, अब सवाल है—यह स्वाभाविक मौत थी या इसके पीछे कोई गहरी साजिश?

जमशेदपुर से एक बार फिर आई है एक ऐसी खबर, जिसने पूरे पुलिस विभाग को चौंका दिया है। गोलमुरी पुलिस लाइन में पदस्थापित सिपाही चंदन कुमार (46) की मौत रविवार सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में हो गई। चंदन मूल रूप से बिहार के नालंदा जिले के मोरा तलाब गांव के रहने वाले थे।
रविवार सुबह करीब सात बजे रोज की तरह उन्होंने बाथरूम में हाथ-मुंह धोया और जैसे ही अपने कमरे में लौटे, अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। उनके साथी पुलिसकर्मियों ने उन्हें तुरंत एमजीएम अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सवाल यही है—एक स्वस्थ नजर आने वाले सिपाही की मौत कुछ ही मिनटों में कैसे हो सकती है?
सूत्रों के अनुसार, चंदन कुमार पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे, लेकिन उनकी हालत गंभीर नहीं थी। ऐसे में अचानक हुई मौत पर सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या यह किसी बीमारी का असर था या किसी ने जानबूझकर कोई चाल चली?
इतिहास पर नज़र डालें तो...
पुलिस महकमे में अचानक हुई मौतों के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। खासकर उन पुलिसकर्मियों की मौतें, जो तनाव या मानसिक दबाव से जूझ रहे होते हैं। देशभर में बीते 10 वर्षों में ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं, जहां पुलिसकर्मियों की रहस्यमयी मौतें सामान्य बीमारी या हार्ट अटैक बताकर फाइलें बंद कर दी गईं।
लेकिन इस मामले में कुछ बातें चौंकाती हैं।
पहली—मौत बेहद तेज़ी से हुई, यानी कोई मेडिकल इमरजेंसी या टॉक्सिक रिएक्शन?
दूसरी—चंदन के साथ कमरे में मौजूद लोगों ने उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद कौन-कौन से प्रयास किए?
तीसरी—पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले ही मौत को 'प्राकृतिक' मान लेना कितना जायज है?
चंदन कुमार के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और प्रक्रिया पूरी होने के बाद परिजनों को सौंप दिया गया। परिजनों ने अभी इस बारे में कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है, लेकिन विभागीय स्तर पर भी जांच की मांग उठने लगी है।
क्या यह सिर्फ एक 'नेचुरल डेथ' है या इसके पीछे कोई छिपा राज?
अगर चंदन कुमार लंबे समय से बीमार थे, तो उनका इलाज किस स्तर पर चल रहा था? क्या मेडिकल चेकअप नियमित हो रहे थे? या फिर, उनके स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही बरती जा रही थी?
गोलमुरी पुलिस लाइन की सुरक्षा व्यवस्था और रहने की स्थिति को लेकर पहले भी शिकायतें मिलती रही हैं। खराब ड्यूटी शिफ्ट, तनाव और सुविधाओं की कमी पुलिसकर्मियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालती है।
ऐसे में यह मौत एक चेतावनी हो सकती है— क्या विभाग अपने जवानों की हालत को गंभीरता से ले रहा है? या फिर जब तक किसी की जान न चली जाए, तब तक कोई कार्रवाई नहीं होती?
चंदन कुमार की मौत से उनके गांव, मोरा तलाब में भी शोक की लहर है। परिवार को अभी तक यह यकीन नहीं हो पा रहा कि उनका बेटा, जो देश की सेवा कर रहा था, ऐसे अचानक दुनिया से चला गया।
इस मामले में आगे क्या होगा?
सभी की निगाहें अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर हैं। अगर उसमें कोई संदिग्ध कारण निकलता है, तो यह केस एक बड़ा मोड़ ले सकता है। लेकिन अगर इसे सामान्य मौत मानकर फाइल बंद कर दी गई, तो एक बार फिर सवाल यही रहेगा—क्या सच्चाई कभी सामने आएगी?
आपका क्या मानना है? क्या यह वाकई एक सामान्य मौत थी या इसके पीछे कुछ और है? अपनी राय हमें ज़रूर बताएं।
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