Bokaro Tragedy: एक दिन पहले मामा के घर आया था आयुष, नदी में नहाते हुए हो गई मौत!

दामोदर नदी में नहाने के दौरान फुसरो के पास 16 वर्षीय आयुष कुमार की डूबने से मौत हो गई। आयुष एक दिन पहले ही मामा के घर आया था। घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है।

May 5, 2025 - 10:12
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Bokaro Tragedy: एक दिन पहले मामा के घर आया था आयुष, नदी में नहाते हुए हो गई मौत!
Bokaro Tragedy: एक दिन पहले मामा के घर आया था आयुष, नदी में नहाते हुए हो गई मौत!

दामोदर नदी का शांत पानी रविवार को चीख-पुकार से कांप उठा, जब तीन मासूम बच्चे नहाने के दौरान एक गहराई में जा फंसे। उनमें से दो किसी तरह बचा लिए गए, लेकिन 16 वर्षीय आयुष कुमार की जिंदगी नदी की लहरों में समा गई। ये हादसा फुसरो के ढोरी खास इलाके के पास घटा, जिसने पूरे क्षेत्र को दहला दिया।

आयुष कुमार धनबाद निवासी विशाल जायसवाल का इकलौता बेटा था। वो अपने मामा भोला निषाद के घर पांच नंबर धौड़ा (बेरमो थाना क्षेत्र) एक दिन पहले ही आया था। रविवार दोपहर वह अपने ममेरे भाइयों—श्याम कुमार (15 वर्ष) और गोलू कुमार (13 वर्ष)—के साथ नदी में नहाने चला गया। लेकिन ये मस्ती की दोपहर बहुत जल्दी मातम में बदल गई।

नदी की लहरों में खो गई मासूम ज़िंदगी
तीनों बच्चे जब नदी के गहरे हिस्से में पहुंचे, तो उन्हें तैरने में कठिनाई होने लगी। वहीं मौजूद एक मछुआरे ने श्याम और गोलू को किसी तरह खींचकर बाहर निकाल लिया, लेकिन आयुष देखते ही देखते पानी की गहराई में गुम हो गया।

मौके पर पहुंची पुलिस और गोताखोरों की टीम
घटना की जानकारी मिलते ही बेरमो थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई। क्षेत्रीय सीओ ने खेतको से विशेष गोताखोरों की टीम को बुलवाया। टीम में गुबरेल अली, मो. सरमद अंसारी, अनिल रविदास जैसे प्रशिक्षित गोताखोरों ने पांच घंटे तक खोजबीन की। अंततः शाम में आयुष का शव नदी से बाहर निकाला गया।

घर का इकलौता बेटा और परिवार का सहारा
आयुष के पिता विशाल जायसवाल ओडिशा के बड़वील में काम करते हैं। उनकी पत्नी संजू देवी बेटे की मौत की खबर सुनकर घटनास्थल पर पहुंचीं और बिलख-बिलख कर रो पड़ीं। उनका एक ही बेटा था—आशा, सपनों और भविष्य का आधार। घटनास्थल पर मौजूद लोग इस दर्दनाक दृश्य को देख भावुक हो उठे।

इतिहास से सीख लेते हुए, नदियों से दूरी ज़रूरी
दामोदर नदी, जिसे कभी "शापित नदी" कहा जाता था, झारखंड और पश्चिम बंगाल में सैकड़ों सालों से जीवन और विनाश दोनों का प्रतीक रही है। हर साल गर्मी के दिनों में दर्जनों बच्चे और युवा नहाने के दौरान लापरवाही में अपनी जान गंवा बैठते हैं। नदियों की सुंदरता के पीछे छिपे खतरे को समझना जरूरी है।

प्रशासन से सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर गर्मी में ऐसे हादसे होते हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई चेतावनी बोर्ड या बचाव दल तैनात नहीं किया जाता। क्या मासूम आयुष की मौत के बाद भी हालात नहीं बदलेंगे?


आयुष की मौत एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर रही है कि क्या बच्चों को ऐसे असुरक्षित इलाकों में जाने से रोकने के लिए सामाजिक और प्रशासनिक कदम उठाए जाएंगे? क्या इस बार हम सिर्फ खबर पढ़कर भूल जाएंगे, या सच में कोई बदलाव होगा?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।