Sambhal Murder: लोन ना चुकाना पड़े इसलिए दिव्यांग की हत्या, 15 लाख का बीमा क्लेम लूटा!
संभल में लोन से बचने के लिए दिव्यांग की बीमा करवाकर हत्या कर दी गई। 15 लाख रुपये क्लेम लेने के बाद पुलिस ने बीमा क्लेम गैंग का पर्दाफाश किया, 25 आरोपी गिरफ्तार।

उत्तर प्रदेश के संभल जिले से सामने आया एक बीमा घोटाला आपको सोचने पर मजबूर कर देगा। यहां एक दिव्यांग व्यक्ति का पहले बीमा करवाया गया, फिर सुनियोजित तरीके से उसकी हत्या कर बीमा की राशि का क्लेम ले लिया गया।
यह घटना कोई साधारण क्राइम नहीं, बल्कि एक ऐसे बीमा क्लेम गैंग का हिस्सा है, जो देश भर में इस तरीके से पैसा लूटने की साजिशें रचता रहा है। संभल पुलिस ने इस मामले का पर्दाफाश कर 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और कई राज्यों में गैंग के लिंक की जांच चल रही है।
कैसे हुआ मामला उजागर?
मामले की शुरुआत हुई जब एक दिव्यांग व्यक्ति दरियाब की संदिग्ध मौत की रिपोर्ट उसके रिश्तेदारों ने दर्ज करवाई। पुलिस ने सबूत न मिलने पर पहले एफआर लगा दी। लेकिन चार महीने बाद एक लोन कंपनी से सूचना आई कि दरियाब के नाम से बीमा क्लेम किया जा रहा है।
इस सूचना के बाद पुलिस हरकत में आई और जब उन्होंने जांच शुरू की, तो बड़ा सवाल खड़ा हुआ – जो व्यक्ति चल भी नहीं सकता, वो घर से 27 किलोमीटर दूर एक्सीडेंट कैसे कर सकता है?
यही सवाल जांच की सबसे मजबूत कड़ी बना और एक-एक कर पूरा सच सामने आ गया।
बीमा एजेंट की खौफनाक सलाह
जांच में सामने आया कि दो सगे भाई हरिओम और बिनोद, जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे, ने एक्सिस बैंक के एक बीमा एजेंट पंकज राघव से संपर्क किया। पंकज ने साफ कहा कि लोन नहीं मिलेगा क्योंकि सिविल स्कोर खराब है, लेकिन साथ ही एक शातिराना उपाय भी बताया।
पंकज राघव ने सुझाव दिया कि किसी बीमार या दिव्यांग व्यक्ति का बीमा करवाओ, फिर उसकी मृत्यु दिखाकर बीमा क्लेम करो और पैसे की समस्या खत्म।
एक साल में करवा दिए कई बीमा
हरिओम ने दिव्यांग दरियाब के नाम पर अक्टूबर 2023 से एक के बाद एक कई बीमा पॉलिसियां करवा दीं, जिनकी कुल राशि 50 लाख रुपये से अधिक थी। हत्या के लिए उन्होंने प्रताप नामक व्यक्ति को 50 हजार की सुपारी दी और उससे कार से कुचलकर हत्या करवाई।
इसके बाद बीमा कंपनियों से क्लेम मांगा गया और करीब 15 लाख रुपये हड़प लिए गए। बची हुई राशि पुलिस की जांच के चलते अटक गई।
गैंग में शामिल 25 लोग गिरफ्तार
पुलिस ने जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ाई, सामने आया कि यह सिर्फ एक घटना नहीं थी। पूरे मामले में 25 से अधिक लोग शामिल थे, जिनमें बीमा एजेंट, गिरोह के सदस्य और फर्जी दस्तावेज बनाने वाले शामिल हैं।
पुलिस का दावा है कि यह गैंग सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में फैला हुआ है, और ऐसे कई मामलों की जांच की जा रही है।
बीमा घोटाले की पुरानी कड़ियां
बीमा धोखाधड़ी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले राजस्थान, बिहार और मध्यप्रदेश में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां बीमार, बुजुर्ग या असहाय व्यक्तियों के नाम पर बीमा करवाकर उनकी मौत को एक्सीडेंट या नेचुरल दिखाकर क्लेम ले लिए जाते हैं।
सरकारी और निजी बीमा कंपनियों की सुरक्षा प्रक्रिया में छेद और एजेंट्स की लालच इस तरह के मामलों को बढ़ावा देती है।
अब आगे क्या?
इस मामले में पुलिस ने अन्य राज्यों में भी टीम भेजी है और गैंग के सरगनाओं की तलाश जारी है। एक विशेष जांच एजेंसी को इस केस की गहराई से जांच सौंपी गई है।
सवाल उठता है – क्या अब बीमा लेना भी एक जोखिम भरा कदम बनता जा रहा है? और अगर हां, तो कौन देगा इन निर्दोष लोगों को न्याय?
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