Sakchi Collapse: इलाज के नाम पर मौत का जाल! एमजीएम अस्पताल में भरभरा कर गिरा पुराना भवन, मलबे में दबे मरीज

जमशेदपुर के साकची स्थित एमजीएम अस्पताल के जर्जर मेडिसिन विभाग का हिस्सा अचानक गिर पड़ा। हादसे में कई मरीज मलबे में दब गए, जिससे अस्पताल परिसर में मचा हड़कंप। जानिए पूरी घटना और प्रशासन की भूमिका।

May 3, 2025 - 18:07
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Sakchi Collapse: इलाज के नाम पर मौत का जाल! एमजीएम अस्पताल में भरभरा कर गिरा पुराना भवन, मलबे में दबे मरीज
Sakchi Collapse: इलाज के नाम पर मौत का जाल! एमजीएम अस्पताल में भरभरा कर गिरा पुराना भवन, मलबे में दबे मरीज

झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल—एमजीएम हॉस्पिटल, जो वर्षों से 'उम्मीद' का दूसरा नाम माना जाता था, अब जानलेवा ढांचा बन गया है। शनिवार को करीब 3:45 बजे एक ऐसा भयानक हादसा हुआ, जिसने पूरे अस्पताल परिसर को दहशत से भर दिया।

कैसे हुआ हादसा?

जमशेदपुर के साकची में स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) अस्पताल के पूर्व मेडिसिन विभाग का जर्जर भवन अचानक भरभरा कर गिर गया। यह भवन तीसरे तल्ले पर स्थित था और इसके पीछे का हिस्सा तेज आवाज के साथ ढह गया। इस दौरान वॉर्ड में मौजूद मरीज बेड समेत नीचे आ गिरे और मलबे में दब गए।

घटना इतनी अचानक और तीव्र थी कि किसी को भागने का मौका तक नहीं मिला। जैसे ही ढांचा गिरा, अस्पताल परिसर में चीख-पुकार मच गई। मरीज, उनके परिजन, नर्सें और डॉक्टर—सब भागते नजर आए।

कितने लोग दबे, क्या है हालात?

जानकारी के अनुसार, हादसे में कम से कम चार लोग मलबे में दब गए, जिनमें एक महिला मरीज भी शामिल है। एक व्यक्ति सुनील कुमार के सिर में गहरी चोट लगने की पुष्टि हुई है, जिन्हें प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है।

फिलहाल राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है। दमकल विभाग, पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं और मलबे में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं।

इतिहास दोहराया गया: एमजीएम की पुरानी इमारतें पहले भी रहीं जानलेवा

एमजीएम अस्पताल की यह पहली घटना नहीं है। वर्षों से इस अस्पताल के पुराने भवनों की स्थिति जर्जर है और कई बार मीडिया तथा जनप्रतिनिधियों द्वारा इसकी मरम्मत की मांग की जाती रही है।

2019 में अस्पताल के सर्जिकल वार्ड की छत का हिस्सा गिरा था, जिसमें एक नर्स घायल हुई थी। 2021 में भी वॉर्ड नंबर 7 की दीवार में दरार आने की रिपोर्ट आई थी। लेकिन इन चेतावनियों के बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया

क्या प्रशासन दोषी है?

इस हादसे ने यह सवाल खड़ा कर दिया है—क्या अस्पतालों की लापरवाही अब मरीजों की जान लेगी?
एमजीएम एक राज्य स्तरीय अस्पताल है, जहाँ प्रतिदिन हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। अगर इस तरह के जर्जर भवनों में लोगों को रखा जाएगा, तो हादसे होना तय है।

अस्पताल प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन मौके पर अधिकारी पहुंच चुके हैं और जांच के आदेश की बात कही जा रही है।

आखिर कब सुधरेगा सिस्टम?

एमजीएम अस्पताल राज्य का गौरव होना चाहिए, लेकिन आज इसकी हालत देखकर सिस्टम पर शर्म आती है। जर्जर इमारतें, टूटती छतें और अब मलबे में दबते मरीज—ये सभी संकेत हैं कि स्वास्थ्य व्यवस्था सिर्फ कागजों पर दुरुस्त है

राज्य सरकार को इस हादसे को चेतावनी मानते हुए तत्काल अस्पताल की संरचनाओं का ऑडिट कराना चाहिए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

जनता का सवाल: इलाज के नाम पर कब तक खतरा?

लोगों का सवाल है—अगर अस्पताल सुरक्षित नहीं, तो फिर कहां जाएं इलाज कराने? क्या एमजीएम सिर्फ नाम का बड़ा अस्पताल है? इस हादसे ने एक बार फिर झारखंड की स्वास्थ्य प्रणाली की पोल खोल दी है।

अब वक्त है सवाल पूछने का। क्या सिर्फ मलबा हटाना काफी होगा, या व्यवस्था में बदलाव भी होगा?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।