Chakulia Fraud: जन्म प्रमाण पत्र घोटाले में पंचायत सचिव और BLA गिरफ्तार, बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर!
चाकुलिया प्रखंड में जन्म प्रमाण पत्रों के फर्जीवाड़े ने सबको चौंका दिया है। बीडीओ की शिकायत पर पंचायत सचिव और बीएलई को हिरासत में लिया गया है। जांच में सामने आ सकते हैं और भी बड़े खुलासे।

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड से एक सनसनीखेज घोटाला सामने आया है जिसने पूरे जिले को हिला कर रख दिया है। माटियाबांधी पंचायत में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के मामले ने प्रशासन को चौकन्ना कर दिया है।
शुक्रवार देर रात प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) आरती मुंडा के बयान के आधार पर चाकुलिया थाना में माटियाबांधी पंचायत सचिव सुनील महतो और बीएलई सपन महतो के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों को हिरासत में ले लिया है और पूछताछ जारी है।
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में चाकुलिया प्रखंड से कुल 4400 जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए। इनमें
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3685 अन्य समुदाय
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715 मुस्लिम समुदाय
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11 थर्ड जेंडर के नाम शामिल हैं।
अब प्रशासन इस बात की जांच कर रहा है कि इन 4400 में से कितने प्रमाण पत्र वैध हैं और कितने फर्जी तरीके से बनाए गए हैं।
रात में हुई छापेमारी, अधिकारी खुद पहुंचे थाने
गुरुवार रात इस घोटाले की सूचना मिलने के बाद घाटशिला अनुमंडल पदाधिकारी सुनील चंद्र और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अजीत कुमार कुजूर खुद चाकुलिया थाना पहुंचे। वहीं से पूरे मामले की पुष्टि के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई और तुरंत गिरफ्तारी हुई।
थाना प्रभारी संतोष कुमार के अनुसार, दोनों आरोपियों से गहन पूछताछ की जा रही है और प्राथमिक साक्ष्यों के आधार पर जल्द ही और लोगों के नाम सामने आ सकते हैं।
फर्जीवाड़ा या सुनियोजित साजिश?
प्रशासन को शक है कि यह कोई साधारण गलती नहीं बल्कि एक सुनियोजित साजिश है, जिसमें सरकारी कागजों का दुरुपयोग करते हुए फर्जी पहचान बनाई गई है। इन दस्तावेजों का उपयोग स्कूल एडमिशन, वोटर आईडी, राशन कार्ड और नागरिकता संबंधी मामलों में किया जा सकता है।
इससे पहले भी राज्य के कई हिस्सों में फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने के माध्यम से घुसपैठ और पहचान बदलने के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में चाकुलिया का यह मामला और गंभीर हो जाता है।
क्या प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रहा था यह नेटवर्क?
जानकारों की मानें तो पंचायत और बीएलई स्तर पर बिना ठोस दस्तावेज के जन्म प्रमाण पत्र जारी करना किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है। चूंकि थर्ड जेंडर और अल्पसंख्यक समुदाय के दस्तावेजों की संख्या भी अधिक है, ऐसे में कई राजनीतिक और सामाजिक ऐंगल से भी जांच हो रही है।
आगे क्या?
बीडीओ आरती मुंडा ने स्पष्ट किया है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। जन्म प्रमाण पत्र जैसी संवेदनशील सरकारी प्रक्रिया में लापरवाही या धोखाधड़ी से न केवल प्रशासनिक व्यवस्था, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा तक पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में और कौन-कौन चेहरे बेनकाब होते हैं और इस घोटाले की जड़ें कितनी गहरी हैं।
क्या आपको लगता है कि फर्जी दस्तावेज तैयार करने का यह सिलसिला सिर्फ स्थानीय स्तर पर सीमित है या इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह सक्रिय है?
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