Bihar Theft: 300 साल पुरानी राम-जानकी की मूर्तियां चोरी! करोड़ों की नीलम धरोहर गायब
बिहार के सीवान जिले के सुरवल गांव में स्थित 300 साल पुराने राम-जानकी मंदिर से करोड़ों की नीलम पत्थर की मूर्तियां चोरी हो गईं। इस ऐतिहासिक घटना ने पूरे गांव को झकझोर दिया है।

बिहार के सीवान जिले के सुरवल गांव में सोमवार रात हुई एक चोरी की घटना ने न केवल धार्मिक आस्था को झकझोर दिया, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी बड़ा नुकसान पहुंचाया है।
सैकड़ों वर्षों पुराने राम-जानकी मंदिर से चोर करोड़ों की कीमत वाली 300 साल पुरानी नीलम पत्थर की मूर्तियां चुरा ले गए। यह घटना केवल एक मंदिर की चोरी नहीं, बल्कि पूरे गांव के इतिहास और परंपरा पर गहरा आघात है।
मंदिर जो बना था गांव की आत्मा
सुरवल गांव स्थित यह राम-जानकी मंदिर करीब तीन शताब्दियों से ग्रामीणों की आस्था और एकता का केंद्र रहा है। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना गांव के पूर्वजों ने की थी और इसके गर्भगृह में स्थापित मूर्तियां दुर्लभ नीलम पत्थर से बनी थीं, जो न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अमूल्य थीं।
यह मंदिर गांव के त्योहारों, पूजा-पाठ और सामाजिक मेलजोल का केंद्र रहा है। यहां हर रामनवमी पर भव्य आयोजन होते थे, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु जुटते थे।
चोरी कैसे हुई?
सोमवार की रात अज्ञात चोरों ने मंदिर का मुख्य गेट तोड़कर प्रवेश किया और भगवान श्रीराम और माता जानकी की नीलम पत्थर की मूर्तियां चुरा ले गए।
मंगलवार सुबह जब कुछ स्थानीय लोग मंदिर की सफाई के लिए पहुंचे, तो उन्होंने टूटा हुआ दरवाजा देखा।
अंदर जाकर देखा तो गर्भगृह खाली था, मूर्तियां गायब थीं।
जैसे ही यह खबर गांव में फैली, पूरे इलाके में हड़कंप मच गया और देखते ही देखते मंदिर परिसर में भारी संख्या में लोग जमा हो गए।
पुलिस पर नाराज हुए ग्रामीण
घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई, लेकिन पुलिस के देर से पहुंचने से ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि मंदिर में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी और पुलिस का रिएक्शन बहुत धीमा था।
धार्मिक आस्था को गहरी चोट
ग्रामीणों का कहना है कि इस चोरी ने उनके धार्मिक विश्वास और सांस्कृतिक गर्व को गहरा झटका दिया है।
यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि गांव की पहचान और परंपरा का प्रतीक था।
थाना प्रभारी का बयान
थानाध्यक्ष सोनी कुमारी ने बताया कि ग्रामीणों की शिकायत पर FIR दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच शुरू हो चुकी है।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही इस चोरी का खुलासा कर चोरों को गिरफ्तार किया जाएगा।
मूर्तियों की कीमत और महत्व
जानकारों के अनुसार, नीलम पत्थर से बनी ऐसी दुर्लभ मूर्तियों की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों में आंकी जा सकती है।
इतिहासकारों का मानना है कि ऐसी मूर्तियां आमतौर पर किसी खास समय और शैली में बनाई जाती थीं और धार्मिक के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर भी होती हैं।
क्या कहती है यह घटना?
इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरें कितनी असुरक्षित हैं।
जरूरत है कि ऐसे प्राचीन मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाए।
स्थानीय प्रशासन और सरकार को चाहिए कि धरोहर स्थलों की सुरक्षा के लिए विशेष फोर्स या निगरानी व्यवस्था लागू की जाए।
क्या यह चोरी एक सुनियोजित षड्यंत्र है या सिर्फ मूर्तियों की कीमत देखकर किया गया अपराध?
आपका क्या मानना है — क्या प्राचीन मंदिरों की सुरक्षा के लिए अब अलग कानून लाने की ज़रूरत है?
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