Palamu Accident: रात के सन्नाटे में सड़क बनी कब्रगाह, दो नाबालिग समेत 4 की दर्दनाक मौत
पलामू के पांकी-मेदिनीनगर मार्ग पर एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसमें हाईवा और जाइलो की टक्कर में दो नाबालिगों समेत 4 लोगों की मौत हो गई। दुर्घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने सड़क जाम कर दी।

पलामू के पांकी में मंगलवार रात घटी एक दिल दहला देने वाली दुर्घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। रात करीब 10:30 बजे पांकी-मेदिनीनगर मार्ग पर बसडीहा गांव के पास एक हाईवा ट्रक, जाइलो कार और एक बाइक के बीच भीषण टक्कर हो गई। इस टक्कर में दो नाबालिगों समेत चार लोगों की मौत हो गई, जबकि एक महिला की हालत गंभीर बताई जा रही है।
इस हादसे में सबसे दुखद पहलू यह रहा कि बाइक पर सवार 15 वर्षीय युवराज कुमार और 17 वर्षीय श्यामदयाल कुमार की मौके पर ही मौत हो गई। दोनों अपने ननिहाल गोगाड़ गांव से लौट रहे थे। कार में सवार करमदयाल यादव (28) की भी वहीं मौत हो गई, जबकि गुलाबी यादव (25) ने अस्पताल ले जाते वक्त दम तोड़ दिया।
हादसा जिसने तोड़ी नींद और लाया सन्नाटा
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हाईवा और कार की टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। बाइक उस वक्त बीच में आ गई और बुरी तरह चपेट में आ गई। टक्कर के बाद हाईवा ने कार को काफी दूर तक घसीटा और फिर सड़क किनारे पलट गई। यह दृश्य इतना भयावह था कि आसपास के लोग भी कांप उठे।
इतिहास की परछाई में पलामू की सड़कें
पलामू जिला हमेशा से ही सड़क दुर्घटनाओं को लेकर सुर्खियों में रहा है। एनएच-98 (अब NH-39) और अन्य प्रमुख मार्गों पर वाहन चालकों की लापरवाही और ओवरलोडेड गाड़ियों के कारण इस क्षेत्र में सड़क हादसे आम हैं। पिछली एक दशक की बात करें तो हर साल औसतन 70 से 100 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में होती रही है। यह हादसा भी उसी भयावह कड़ी का हिस्सा बन गया।
गांव में मचा हाहाकार, सड़कों पर उतरे ग्रामीण
घटना के बाद बुधवार सुबह ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने पांकी के कर्पूरी चौक को जाम कर दिया जिससे मेदिनीनगर, रांची और आसपास के रास्तों पर लंबा जाम लग गया। प्रशासन के आश्वासन के बाद ही जाम हटाया गया। लेकिन ग्रामीणों का आक्रोश सिर्फ दुर्घटना तक सीमित नहीं था — उनका आरोप था कि शवों को अस्पताल में जमीन पर छोड़ दिया गया, जिससे उनका अपमान हुआ।
मुआवजे की मांग और प्रशासन की चुप्पी
ग्रामीणों ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की है। हालांकि प्रशासन ने अभी तक इस पर कोई ठोस घोषणा नहीं की है। हाईवा चालक फरार है और उसकी गिरफ्तारी की मांग जोर पकड़ रही है। पुलिस ने कांड संख्या 37/24 के तहत मामला दर्ज कर लिया है और आरोपी चालक की तलाश की जा रही है।
क्या सीखेगा प्रशासन इस हादसे से?
यह हादसा एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि झारखंड में सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन क्यों नहीं हो पा रहा? न तो ट्रकों की गति पर कोई नियंत्रण है, न ही रात के समय सड़क पर गश्ती पुलिस सक्रिय दिखती है। जब तक प्रशासन इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लेता, तब तक हर रात कोई न कोई सड़क को अपनी कब्रगाह बनाता रहेगा।
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