Ranchi Bribe: ट्रैक्टर छुड़ाने के लिए मांगी रिश्वत, रंगेहाथ धरा गया डीएमओ ऑफिस का ऑपरेटर

रांची डीएमओ ऑफिस में कंप्यूटर ऑपरेटर विंदेश तिर्की को एंटी करप्शन ब्यूरो ने दो हजार की रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा। खनन चालान के नाम पर मांगी जा रही थी घूस। पढ़िए पूरा मामला...

May 5, 2025 - 18:02
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Ranchi Bribe: ट्रैक्टर छुड़ाने के लिए मांगी रिश्वत, रंगेहाथ धरा गया डीएमओ ऑफिस का ऑपरेटर
Ranchi Bribe: ट्रैक्टर छुड़ाने के लिए मांगी रिश्वत, रंगेहाथ धरा गया डीएमओ ऑफिस का ऑपरेटर

रांची से रिश्वतखोरी की एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। खनन विभाग से जुड़े एक मामूली से कंप्यूटर ऑपरेटर ने जब सरकारी काम को कमाई का जरिया बना लिया, तब भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो (एसीबी) ने उसे रंगेहाथ दबोच लिया। यह मामला केवल दो हजार रुपए की घूस तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस व्यवस्था की कलई खोलता है, जहां छोटी सी सरकारी फाइल को भी चलाने के लिए 'चाय-पानी' की मांग आम बात हो गई है।

पूरा मामला क्या है?

रांची के डीएमओ (डिस्ट्रिक्ट माइनिंग ऑफिस) में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर विंदेश तिर्की को एसीबी ने सोमवार को दो हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। तिर्की पर आरोप है कि वह खनन से जुड़ी एक शिकायत में डाटा एंट्री करने के बदले घूस मांग रहा था। लेकिन इसी बीच एसीबी को शिकायत मिल चुकी थी, और जैसे ही पैसे दिए गए, टीम ने ऑपरेटर को रंगेहाथ पकड़ लिया।

शिकायतकर्ता कौन था?

शिकायत दर्ज करने वाले अश्वन तिर्की, रांची के अनगड़ा थाना क्षेत्र के जोन्हा गांव के रहने वाले हैं। अश्वन का ट्रैक्टर एक सरकारी कार्य के लिए बालू लादकर जोन्हा की ओर जा रहा था, जिसे राहे के अंचलाधिकारी ने बीच रास्ते में रोक लिया और फिर सिल्ली थाना को सौंप दिया। 28 अप्रैल 2025 को उन्हें थाने से सूचना मिली कि ट्रैक्टर का चालान खनन विभाग भेजा गया है, और अब रांची जाकर जुर्माना भरने के बाद ही ट्रैक्टर छोड़ा जाएगा।

फिर शुरू हुआ 'रिश्वत वाला खेल'

जब अश्वन तिर्की रांची स्थित डीएमओ ऑफिस पहुंचे तो वहां कंप्यूटर ऑपरेटर विंदेश तिर्की ने डाटा एंट्री और जुर्माने की प्रक्रिया में मदद के बदले दो हजार रुपये की मांग कर डाली। अश्वन ने इस बात की सूचना तुरंत एसीबी को दी, और फिर तय योजना के अनुसार, रिश्वत देते ही ऑपरेटर को पकड़ लिया गया।

इतिहास से समझिए रिश्वत का यह जाल

झारखंड समेत देश के कई राज्यों में खनन विभाग लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा रहा है। ट्रकों और ट्रैक्टरों के अवैध खनन से लेकर चालान की प्रक्रिया तक, हर कदम पर घूसखोरी का जाल फैला हुआ है। 2017 में झारखंड के पलामू में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जब खनन निरीक्षक को एसीबी ने 5 हजार की घूस लेते पकड़ा था। रांची का यह नया मामला उसी भ्रष्ट तंत्र की कड़ी प्रतीत होता है।

डीएमओ ऑफिस की कार्यशैली पर उठे सवाल

इस मामले ने रांची डीएमओ ऑफिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक साधारण ऑपरेटर यदि रिश्वतखोरी में लिप्त है, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऊपर के स्तर पर क्या हो रहा होगा। सवाल यह भी है कि जब तक कोई एसीबी में शिकायत न करे, तब तक ऐसे मामलों का पर्दाफाश क्यों नहीं होता?

अब आगे क्या?

एसीबी ने विंदेश तिर्की को गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ जारी है। जांच में यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि क्या यह मामला किसी बड़े भ्रष्टाचार नेटवर्क से जुड़ा है या फिर अकेले ऑपरेटर का 'घरेलू धंधा' था। वहीं, शिकायतकर्ता अश्वन तिर्की का कहना है कि अगर उन्होंने हिम्मत नहीं दिखाई होती, तो शायद उनका ट्रैक्टर आज भी जब्त पड़ा होता।

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार अभी भी जड़ से खत्म नहीं हुआ है। छोटे से छोटे कार्य के लिए आम नागरिक को अगर रिश्वत देनी पड़े, तो ये लोकतंत्र की असल विफलता है। जरूरत है कि ऐसे मामलों को त्वरित सजा के साथ उदाहरण बनाया जाए, ताकि सिस्टम में बैठे अन्य 'विंदेश तिर्की' सबक ले सकें।

क्या आपने भी कभी सरकारी दफ्तर में रिश्वत मांगे जाने का सामना किया है? अब वक्त है, चुप रहने का नहीं, आवाज़ उठाने का।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।