Ranchi Arrested: जब झोले में निकला 4.5 किलो राज, तीन दुकानदारों का नेटवर्क बेनकाब!
रांची के पंडरा ओपी पुलिस ने 4.5 किलो गांजा के साथ एक सप्लायर और तीन गुमटी दुकानदारों को किया गिरफ्तार। जानिए कैसे झोले में छिपा था पूरा नशा नेटवर्क और किस तरह पुलिस ने जाल बिछाकर किया भंडाफोड़।

रांची, झारखंड: पंडरा ओपी की पुलिस ने रविवार को शहर के आईटीआई बस स्टैंड के पास चल रहे नशे के एक गुप्त नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसमें 4.5 किलो गांजा के साथ एक प्रमुख सप्लायर और तीन स्थानीय गुमटी दुकानदारों को गिरफ्तार किया गया। लेकिन इस मामले में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि यह सारा नेटवर्क सड़क किनारे दिखने वाली छोटी दुकानों से ऑपरेट किया जा रहा था।
कैसे हुआ खुलासा?
पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि वृंदावन नगर, हेहल निवासी प्रिंस कुमार सिंह, जो मूल रूप से टंडवा (पलामू) का रहनेवाला है, गांजा लेकर गुमटी दुकानदारों को सप्लाई देने आ रहा है। इसके बाद कोतवाली डीएसपी प्रकाश सोय और पंडरा ओपी प्रभारी मनीष कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने तुरंत कार्रवाई की।
आईटीआई बस स्टैंड पर निगरानी के दौरान जैसे ही प्रिंस सिंह झोले में कुछ लेकर आता दिखा, उसे मौके पर ही पकड़ लिया गया। झोले की तलाशी लेने पर 4.5 किलो गांजा मिला, जो उसने तीन दुकानदारों को देने की बात कबूल की।
दुकानदारों के ठिकानों से भी बरामदगी
प्रिंस की निशानदेही पर पुलिस ने जिन तीन दुकानदारों को गिरफ्तार किया, उनके नाम हैं:
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अजीत कुमार साहु – मूल निवासी: मुड़ला पहाड़, सुखदेवनगर
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संजय साहु – न्यू मधुकम महुआटोली, सुखदेवनगर
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दामोदर साहु – शालीमार बाग, पुंदाग व अवधेश नगर
इनके घरों की तलाशी में भी गांजा और नशे से जुड़ा सामान बरामद किया गया, जिससे पूरे नेटवर्क के फैले होने का संकेत मिलता है।
इतिहास भी है दागदार
प्रिंस कुमार सिंह पर कोतवाली में दो, जबकि सुखदेवनगर व डोरंडा में एक-एक मामला पहले से दर्ज है। वहीं अजीत कुमार साहु के खिलाफ पंडरा ओपी में NDPS एक्ट के तहत पहले भी मामला चल चुका है। यह दर्शाता है कि ये लोग पुराने खिलाड़ी हैं जो लंबे समय से नशे के इस खेल को अंजाम दे रहे थे।
शहर में नशे के खिलाफ बढ़ी सख्ती
रांची पुलिस हाल के दिनों में नशा विरोधी अभियान को तेज कर चुकी है। स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक स्थानों पर युवाओं को निशाना बनाने वाले ऐसे रैकेट अब प्रशासन की रडार पर हैं। पंडरा, कोकर, चुटिया और अन्य इलाकों में गुप्त निगरानी और नियमित छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है।
एक झोले से खुला बड़ा राज
इस पूरे मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि शहर की शांत गलियों में भी एक खामोश नशा नेटवर्क सक्रिय हो सकता है। रांची पुलिस की सजगता और तत्परता ने एक संभावित खतरे को समय रहते रोका है। आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारी संभव है।
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