झारखंड हाई कोर्ट का निर्देश: स्ट्रीट वेंडर्स के पुनर्वास के लिए नगर निगमों को बनाएं प्रतिवादी
झारखंड हाई कोर्ट ने नगर निगमों और नोटिफाइड एरिया को स्ट्रीट वेंडर्स पुनर्वास मामले में प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने फुटपाथ दुकानदारों के लिए स्थाई स्थान निर्धारित करने पर जोर दिया है।
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रांची, 3 नवंबर 2024: झारखंड हाई कोर्ट ने झारखंड के विभिन्न नगर निगमों और नोटिफाइड एरिया को स्ट्रीट वेंडर्स के पुनर्वास मामले में प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है। यह निर्देश हाई कोर्ट की खंडपीठ ने नेशनल हॉकर फेडरेशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में मांग की गई है कि फुटपाथ दुकानदारों को हटाने से पहले उनके लिए उपयुक्त पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि झारखंड के सभी नगर निगमों और नोटिफाइड एरिया को इस मामले में प्रतिवादी बनाना आवश्यक है। याचिका में फुटपाथ दुकानदारों की आजीविका सुरक्षा को सुनिश्चित करने और स्ट्रीट वेंडिंग अधिनियम, 2014 के उचित अनुपालन की मांग की गई है। अगली सुनवाई 22 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केवल फुटपाथ दुकानदारों को हटाना उचित नहीं है। उनके पुनर्वास के लिए उपयुक्त स्थान चिन्हित करना आवश्यक है। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि रांची नगर निगम को इस पर काम करना चाहिए ताकि फुटपाथ दुकानदारों और सब्जी विक्रेताओं को बाजार और दुकान लगाने के लिए उपयुक्त स्थान मिल सके। यह उनकी आजीविका का साधन है और इसे सुरक्षित रखना सरकार का कर्तव्य है।
रांची नगर निगम की ओर से कोर्ट को बताया गया कि फुटपाथ दुकानदारों और सब्जी विक्रेताओं के लिए पहले ही तीन स्थान चिन्हित किए गए हैं। ये स्थान लालपुर-कोकर मार्ग पर डीसलरी पुल के पास, रातु रोड स्थित नागा बाबा खटाल, और कचहरी रोड पर अटल मार्केट हैं। इन जगहों पर फुटपाथ दुकानदार अपने सामान को आसानी से बेच सकते हैं, जिससे उनकी आजीविका पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि रांची नगर निगम और झारखंड के अन्य नगर निगम स्ट्रीट वेंडिंग अधिनियम के प्रावधानों का उचित तरीके से पालन करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि फुटपाथ दुकानदारों को ऐसे स्थानों पर पुनः स्थापित किया जाए, जहां उनकी कमाई बाधित न हो और उन्हें समुचित सुविधाएं मिल सकें।
इस निर्देश से झारखंड में स्ट्रीट वेंडर्स के लिए एक स्थिर और सुरक्षित वातावरण बनने की उम्मीद है। हाई कोर्ट के इस फैसले ने स्ट्रीट वेंडर्स के पुनर्वास के प्रयासों को मजबूती प्रदान की है।
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