Khorimahua Ramnavami: जब एक साथ लहराईं लाठियां और हुई फूलों की बारिश, रामनवमी पर दिखी गंगा-जमुनी तहज़ीब!

खोरीमहुआ में रामनवमी के मौके पर हिंदू-मुस्लिम समुदायों ने मिलकर मनाया त्योहार, अखाड़ा में दिखा भाईचारा और मुस्लिम भाइयों ने रामनवमी जुलूस पर की पुष्प वर्षा। जानिए कैसे प्रशासन ने बनाए रखा सौहार्द।

Apr 7, 2025 - 14:08
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Khorimahua Ramnavami: जब एक साथ लहराईं लाठियां और हुई फूलों की बारिश, रामनवमी पर दिखी गंगा-जमुनी तहज़ीब!
Khorimahua Ramnavami: जब एक साथ लहराईं लाठियां और हुई फूलों की बारिश, रामनवमी पर दिखी गंगा-जमुनी तहज़ीब!

खोरीमहुआ, गिरिडीह: जहां अक्सर त्योहारों को लेकर देशभर में सतर्कता बरती जाती है, वहीं झारखंड के खोरीमहुआ में रामनवमी 2025 ने एक अलग ही मिसाल पेश की है। इस बार का जश्न सिर्फ धार्मिक नहीं, सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बन गया।

रामनवमी के पावन अवसर पर, खोरीमहुआ के अखाड़ा मैदान में एक दृश्य देखने को मिला जो आज के समय में विरले ही नजर आता है। दोनों समुदायों के लोग एक साथ लाठियां भांजते हुए न सिर्फ उत्सव में शामिल हुए बल्कि एक-दूसरे को गले लगाकर भाईचारे का सन्देश भी दिया।

पुष्पवर्षा से नहाया जुलूस, खिल उठे चेहरे

रामनवमी जुलूस जब मुख्य मार्ग से गुजरा, तो कुछ मुस्लिम भाइयों ने फूलों की वर्षा कर स्वागत किया। यह दृश्य न केवल देखने वालों को भावविभोर कर गया, बल्कि हर किसी को सोचने पर मजबूर कर गया कि भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब आज भी जिंदा है।

प्रशासन रहा सतर्क, लेकिन माहौल रहा शांत

पूरे आयोजन को एसडीओ अनिमेष रंजन और एसडीपीओ राजेंद्र प्रसाद की अगुआई में प्रशासनिक अमले ने बड़ी ही सज़गता से मॉनिटर किया। मौके पर एलआरडीसी सुनील कुमार प्रजापति, बीडीओ देवेंद्र कुमार, सीओ गुलजार अंजुम समेत अन्य अधिकारी लगातार गश्त पर डटे रहे।

जमुआ इंस्पेक्टर रोहित कुमार, अहमद रजा, इम्तियाज अली, मुन्ना मियां और सद्दाम हुसैन जैसे स्थानीय लोगों की उपस्थिति ने आयोजन को और भी सफल व सुरक्षित बना दिया।

इतिहास रचता खोरीमहुआ: एकता की कहानी

खोरीमहुआ का यह नजारा सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि अगर इच्छाशक्ति और समझदारी हो, तो हर त्योहार को मिल-जुलकर शांति और प्रेम के साथ मनाया जा सकता है।

यह क्षेत्र पहले भी सांस्कृतिक समन्वय के उदाहरण पेश करता रहा है, पर इस बार की रामनवमी पर जो सौहार्द और समर्पण देखा गया, वो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जीवंत उदाहरण बन गया।

जब पूरे देश में तनावपूर्ण खबरें आम होती जा रही हैं, तब खोरीमहुआ की अखाड़ा परंपरा और पुष्पवर्षा की झलक यह दिखाती है कि झारखंड की धरती पर आज भी भाईचारे की खुशबू बसती है। ऐसे आयोजनों को जितना प्रचार मिलेगा, उतना ही देश में प्रेम, एकता और सम्मान की भावना मजबूत होगी।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।