Latehar Bribery Arrest: म्यूटेशन के नाम पर मांगी घूस, एसीबी ने रंगेहाथ दबोचा
झारखंड के लातेहार जिले में म्यूटेशन के नाम पर घूस ले रहे राजस्व कर्मचारी सुशील कुमार को एसीबी ने रंगेहाथ गिरफ्तार किया। जानिए कैसे हुआ खुलासा और क्या रही पूरी कार्रवाई।

झारखंड में एक बार फिर भ्रष्टाचार की काली परतें उधड़ी हैं। इस बार निशाने पर आया है लातेहार जिले का राजस्व विभाग, जहां म्यूटेशन के नाम पर 10 हजार रुपये की घूस मांगी गई और फिर हुआ वो, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी।
मंगलवार की सुबह जैसे ही सरकारी कार्यालयों में चहल-पहल शुरू हुई, पलामू की एसीबी टीम ने लातेहार अंचल कार्यालय में दस्तक दी। उनके निशाने पर थे राजस्व कर्मचारी सुशील कुमार, जिन पर जमीन के म्यूटेशन के बदले रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप था।
कैसे हुआ खुलासा?
पीड़ित व्यक्ति ने यह बात पचा नहीं पाई कि एक सरकारी कर्मचारी, जो संविधान और जनता की सेवा की शपथ लेता है, वही अपने पद का दुरुपयोग कर रहा है। उसने हिम्मत दिखाई और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) से सीधे संपर्क किया। एसीबी ने शिकायत को गंभीरता से लिया और पहले एक गोपनीय जांच की।
जांच में सच्चाई सामने आते ही सुशील कुमार के लिए जाल बिछाया गया। मंगलवार को जैसे ही उन्होंने घूस की रकम ली, एसीबी की टीम ने उन्हें रंगेहाथ पकड़ लिया। कार्यालय में सन्नाटा छा गया और वहां मौजूद लोगों के चेहरे पर हताशा साफ झलकने लगी।
घर तक पहुंची जांच की आंच
गिरफ्तारी के बाद एसीबी ने सुशील कुमार के आवास पर भी छापा मारा। वहां दस्तावेजों और अन्य संदिग्ध सामग्रियों की तलाशी ली गई। सूत्रों की मानें तो कुछ अहम दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं, जिनसे आने वाले समय में और खुलासे हो सकते हैं।
म्यूटेशन घोटाला: कोई नई बात नहीं
भारत में जमीन के म्यूटेशन से जुड़े भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं। अक्सर देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकारी जानबूझकर कार्य को लंबित रखते हैं, जब तक कि उन्हें “चाय-पानी” का इंतजाम न कर दिया जाए। ऐसे कई मामलों में पीड़ित गरीब किसान होते हैं, जिनके लिए हर रुपया कीमती होता है।
राजस्व विभाग पर लोगों का भरोसा पहले से ही डगमगाया हुआ है और अब ऐसे मामलों से सरकारी छवि को और धक्का लगता है।
राजस्व विभाग और एसीबी की भूमिका
भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने के लिए एसीबी की ये कार्रवाई बेहद जरूरी थी। यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि एक कड़ा संदेश है उन सभी के लिए जो जनता की सेवा की बजाय निजी हितों को प्राथमिकता देते हैं।
राजस्व विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, “हम विभागीय स्तर पर भी इस मामले की जांच करेंगे। दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
अब क्या आगे?
एसीबी की पूछताछ अभी जारी है। संभव है कि सुशील कुमार के संपर्क में अन्य कर्मचारी भी हों, जो इसी तरह के काले खेल में शामिल हों। जांच एजेंसियों की नजर अब उन सभी पर है, जिन पर शक की सुई टिक रही है।
जनता को संदेश
यह मामला एक उदाहरण है कि अगर आप चाहें तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं। एसीबी जैसे संस्थान आज भी सक्रिय हैं और जनता को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
लातेहार की इस कार्रवाई ने यह साबित कर दिया कि चाहे सिस्टम कितना भी पुराना हो, बदलाव मुमकिन है। अगर आम आदमी हिम्मत दिखाए, तो भ्रष्टाचार के सबसे मजबूत किले भी गिर सकते हैं।
क्या आप भी किसी अधिकारी से परेशान हैं? याद रखिए – चुप रहना ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।
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