Ranchi Development : सरकार विकास की रेस में आगे, अधिकारी और कर्मचारी भी रेस में हो जाएं शामिल - शिल्पी नेहा तिर्की की अपील
झारखंड में मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने अधिकारियों से कहा कि सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने की रेस शुरू हो चुकी है। जानिए बेड़ो क्षेत्र में क्या बदलाव आने वाले हैं।
रांची : झारखंड की कृषि, पशुपालन और सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने हाल ही में बेड़ो प्रखंड कार्यालय में एक बड़ी बैठक आयोजित की, जिसमें राज्य सरकार की योजनाओं को लागू करने पर चर्चा हुई। इस दौरान, मंत्री ने अधिकारियों और कर्मचारियों से खास अपील की, कि जब तक वे खुद रेस में शामिल नहीं होंगे, तब तक सरकार की योजनाएं लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाएंगी।
मंत्री ने साफ तौर पर कहा, "हमारे पास समय नहीं है, और योजनाओं को धरातल पर उतारने की रेस अब शुरू हो चुकी है। सरकार को यह सुनिश्चित करना है कि योजनाएं सही समय पर लाभार्थियों तक पहुंचें।" शिल्पी नेहा तिर्की ने यह भी बताया कि अधिकारियों और कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए टास्क सौंपे गए हैं कि वे पूरी तन्मयता से इन योजनाओं को लागू करें। खासतौर पर, VLW कृषि विभाग की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
कृषि योजनाओं का फोकस: क्या बदल सकता है बेड़ो?
बेड़ो क्षेत्र में कृषि विभाग की योजनाओं को लेकर मंत्री ने एक विशेष रणनीति बनाई है। उन्होंने कहा कि कृषि योजनाओं के लिए अलग से फोकस किया जाएगा, ताकि किसानों को उनकी जरूरत की योजनाएं समय पर मिल सकें। अब देखना यह है कि क्या अधिकारी और कर्मचारी इस चुनौती को स्वीकार कर पाते हैं और सरकार के उद्देश्यों को सफलता की ओर ले जाते हैं।
बेड़ों में हाथी प्रभावित क्षेत्रों के लिए नई पहल: कैंपों का आयोजन
इसके साथ ही मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने बेड़ो क्षेत्र में बिजली विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जर्जर तारों को बदलें और निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करें। मंत्री ने कहा, "बेड़ो में बहुत से ऐसे इलाके हैं जहां बिजली आपूर्ति की स्थिति खराब है। हमें इन समस्याओं को सुलझाना है, ताकि लोग बिना रुकावट के बिजली का उपयोग कर सकें।"
बेड़ों में हाथी प्रभावित क्षेत्रों में भी एक नई पहल की जा रही है। मंत्री ने इस पर विशेष ध्यान देने का आदेश दिया है। 16 जनवरी को एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसमें ऊर्जा मित्रों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा, हाथी के प्रभाव वाले क्षेत्रों में कैंप लगाकर ग्रामीणों के बीच पटाखे और टॉर्च वितरित किए जाएंगे, ताकि वे इस संकट से निपट सकें।
क्या कागज से बाहर निकल पाएंगी योजनाएं?
मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य की योजनाएं अब तक कागजों तक ही सीमित रही हैं। इसके प्रमाण के रूप में उन्होंने कृषि विभाग में 700 करोड़ रुपये के PL अकाउंट का जिक्र किया, जो अब तक खर्च नहीं हो पाए हैं। शिल्पी नेहा तिर्की का मानना है कि अब समय आ गया है कि सरकार की योजनाओं को केवल कागज पर न रखा जाए, बल्कि उन्हें लागू किया जाए और लाभार्थियों तक पहुंचाया जाए।
क्या अधिकारी अब अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे?
मंत्री ने अधिकारियों और कर्मचारियों से यह सवाल किया है कि क्या वे इस चुनौती को स्वीकार करेंगे और सरकार की योजनाओं को सही ढंग से लागू करने की जिम्मेदारी उठाएंगे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अब किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी, और सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
नतीजा – झारखंड के विकास की रेस
अब यह देखना होगा कि इस बैठक और निर्देशों के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों की प्रतिक्रिया कैसी रहती है। क्या वे इस समय-सीमा के भीतर योजनाओं को लागू करने में सक्षम होंगे? या फिर सरकार की योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएंगी? झारखंड के विकास के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या सरकार की योजनाएं सही समय पर लाभार्थियों तक पहुंच पाएंगी और राज्य का विकास रफ्तार पकड़ पाएगा।
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