North Heatwave: क्या आपकी कार का पेट्रोल टैंक बन सकता है अग्निबाण? भीषण गर्मी में खतरे की सच्चाई जानिए
उत्तर भारत में पारा 45 डिग्री के करीब पहुंच चुका है, ऐसे में क्या तेज़ धूप में खड़ी कार का पेट्रोल टैंक खुद ही आग पकड़ सकता है? जानिए पूरी हकीकत और इससे बचने के जरूरी उपाय।

उत्तर भारत इस समय भीषण गर्मी की चपेट में है। तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है, और जून आने से पहले ही हालत ऐसी है कि लोग घरों से निकलने में डर रहे हैं। ऐसे में एक सवाल जो कई वाहन मालिकों को परेशान कर रहा है – क्या तेज़ धूप में खड़ी कार का पेट्रोल टैंक आग पकड़ सकता है? या ये सिर्फ डर है, हकीकत नहीं?
इस सवाल की जड़ में है पेट्रोल की ज्वलनशीलता और मौजूदा मौसम की तपिश। आइए जानते हैं विज्ञान, सुरक्षा मानकों और व्यवहारिक तथ्यों के जरिए कि इस आशंका में कितनी सच्चाई है।
पेट्रोल टैंक में आग लगने की संभावना कितनी है?
सबसे पहले, यह समझना जरूरी है कि पेट्रोल का auto-ignition temperature (जिस तापमान पर वो बिना किसी बाहरी चिंगारी के जल सकता है) लगभग 250°C से 280°C होता है। अब, तेज़ धूप में खड़ी गाड़ी के अंदर का तापमान बहुत बढ़ सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री से ऊपर बहुत मुश्किल से जाता है – यानि कि पेट्रोल अपने आप आग पकड़ने की स्थिति में नहीं आता।
तो सीधी बात, पेट्रोल टैंक खुद-ब-खुद नहीं फटेगा या जलेगा, भले ही बाहर कितना भी गर्म क्यों न हो।
तो फिर डर क्यों?
डर की वजह है पेट्रोल की वाष्पशीलता। जब तापमान बढ़ता है, तो पेट्रोल तेजी से गैस में बदलता है। ऐसे में गर्मी के दिनों में अक्सर गाड़ी के पास पेट्रोल की हल्की गंध महसूस होती है – जो एक आम और अपेक्षित रासायनिक प्रतिक्रिया है। लेकिन ये केवल वाष्पीकरण है, कोई विस्फोटक संकेत नहीं।
साथ ही, पेट्रोल टैंक पूरी तरह सील नहीं होता। उसमें venting system होता है, जिससे अंदर की गैस बाहर निकलती रहती है और दबाव नहीं बनता। इससे खतरा और भी कम हो जाता है।
कार में क्या चीजें असली खतरा बन सकती हैं?
गर्मी का असली खतरा पेट्रोल नहीं, बल्कि वो वस्तुएं हैं जिन्हें हम अक्सर लापरवाही से कार में छोड़ देते हैं:
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परफ्यूम की बोतलें: इनमें मौजूद अल्कोहल तेज धूप में गैस बनकर दबाव पैदा करता है। अगर बोतल सीधी धूप में हो, तो फटने का खतरा होता है।
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लाइटर: इनमें मौजूद गैस गर्मी में वाष्पीकृत हो जाती है। इससे लीक और ब्लास्ट दोनों की संभावना होती है।
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सैनिटाइज़र, गैस कैन, स्प्रे – सभी में फ्लेमेबल केमिकल होते हैं जो हाई टेम्परेचर में रिस्क बढ़ाते हैं।
कार के अंदर का तापमान कितना बढ़ता है?
अगर बाहर का तापमान 42°C है, और आपकी गाड़ी एक घंटे से ज्यादा तेज धूप में खड़ी है, तो अंदर का तापमान 60-70°C तक पहुंच सकता है।
कार की खिड़कियां और शीशे सूरज की किरणों को अंदर तो आने देते हैं, लेकिन बाहर निकलने नहीं देते – जिससे अंदर ग्रीनहाउस इफेक्ट बनता है।
इतिहास से सीखें: क्या ऐसा पहले हुआ है?
पिछले वर्षों में कुछ रिपोर्ट्स आई हैं जहाँ गाड़ियों में आग लगी – लेकिन जांच में पाया गया कि आग का कारण लाइटर, परफ्यूम या इलेक्ट्रॉनिक गड़बड़ी था। पेट्रोल टैंक से आग लगना व्यावहारिक रूप से बेहद दुर्लभ है, खासकर यदि गाड़ी में कोई लीकेज नहीं हो।
बचने के उपाय क्या हैं?
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गर्मी में गाड़ी छांव में पार्क करें या सनशेड का इस्तेमाल करें।
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कार में परफ्यूम, लाइटर, सैनिटाइज़र, एरोसोल जैसी चीजें न छोड़ें।
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गाड़ी का AC सिस्टम चेक कराएं, ताकि ज़रूरत पड़ने पर तुरंत कूलिंग मिल सके।
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पेट्रोल टैंक की समय-समय पर जांच कराएं – लीकेज या बदबू आने पर तुरंत मैकेनिक को दिखाएं।
गर्मी चाहे कितनी भी भयंकर हो, आपकी कार का पेट्रोल टैंक खुद से आग नहीं पकड़ता। असली खतरा है आपकी लापरवाही – खासकर उन चीजों को कार में छोड़ने की, जो सच में विस्फोट का कारण बन सकती हैं।
तो गर्मी में गाड़ी चलाते या पार्क करते समय सतर्क रहें, लेकिन अनावश्यक डर से नहीं – तथ्यों से।
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