Gamharia Occupation: बंद मिल पर महिलाओं का अचानक कब्जा, प्रशासन ने मचाया हड़कंप!

गम्हरिया की बंद गोपाल ऑयल मिल पर महिलाओं के कब्जे ने प्रशासन को चौंका दिया। वर्षों से बंद पड़ी इस मिल पर अचानक हुए अतिक्रमण को पुलिस ने कड़ी कार्रवाई कर हटाया।

Apr 18, 2025 - 20:02
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Gamharia Occupation: बंद मिल पर महिलाओं का अचानक कब्जा, प्रशासन ने मचाया हड़कंप!
Gamharia Occupation: बंद मिल पर महिलाओं का अचानक कब्जा, प्रशासन ने मचाया हड़कंप!

सरायकेला-खरसावां जिला के गम्हरिया इलाके में एक ऐसा वाकया सामने आया जिसने न सिर्फ पुलिस-प्रशासन को अलर्ट कर दिया, बल्कि पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। छोटा गम्हरिया स्थित गोपाल ऑयल मिल, जो वर्षों से बंद पड़ी थी, अचानक सुर्खियों में तब आ गई जब 30 से 35 महिलाओं ने गुरुवार को उस पर अवैध कब्जा कर लिया।

इस अप्रत्याशित कार्रवाई ने सुरक्षा गार्ड से लेकर मिल मालिक तक को हिलाकर रख दिया। आखिर क्यों और कैसे इन महिलाओं ने इस मिल पर कब्जा किया? क्या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश थी?

आइए जानते हैं इस घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी, इतिहास और प्रशासन की भूमिका।

कैसे हुआ मिल पर कब्जा?

गुरुवार सुबह का वक्त था जब विद्या महतो के नेतृत्व में करीब 30-35 महिलाएं मिल परिसर में दाखिल हो गईं। बिना किसी पूर्व सूचना या अधिकार के उन्होंने मिल परिसर को घेर लिया और अंदर प्रवेश कर कब्जा जमा लिया

मिल पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड ने तुरंत इस बात की जानकारी मालिक मनीष गोयल को दी। मनीष गोयल ने मामले को गंभीर मानते हुए गम्हरिया पुलिस और अंचलाधिकारी से शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस और प्रशासन की सक्रियता

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए शुक्रवार को गम्हरिया थाना पुलिस और अंचल प्रशासन मौके पर पहुंचे। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अवैध कब्जा हटाने की प्रक्रिया शुरू की और एक महिला को हिरासत में भी ले लिया गया

प्रशासन की यह तेजी सराहनीय रही, क्योंकि ऐसे मामलों में अक्सर कार्रवाई में देरी देखी जाती है, जिससे अतिक्रमणकारी और मजबूत हो जाते हैं।

क्या यह था एक सोची-समझी साजिश?

सूत्रों की मानें तो यह मिल कई वर्षों से बंद पड़ी थी और इसका कोई व्यावसायिक संचालन नहीं हो रहा था। इसी का फायदा उठाकर कुछ लोगों ने महिलाओं को आगे कर अवैध कब्जे की योजना बनाई।

इतिहास गवाह है कि झारखंड के औद्योगिक इलाकों में बंद पड़ी फैक्ट्रियों और मिलों पर भूमाफिया या स्थानीय नेताओं की शह पर इस तरह के कब्जे आम हो चुके हैं।

यहां भी "महिलाओं को ढाल बनाकर" एक रणनीति के तहत कब्जे की कोशिश की गई, ताकि कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके और जनसहानुभूति भी मिल सके।

गोपनीय रूप से फैलाया गया था भ्रम?

स्थानीय लोगों की मानें तो इन महिलाओं को बताया गया था कि यह जमीन अब 'खाली' है और कोई भी इसमें हिस्सा ले सकता है। कुछ को तो आवास या रोजगार के नाम पर भी बरगलाया गया था।

अगर यह बात सही है, तो ये न केवल एक अतिक्रमण का मामला है बल्कि झूठी सूचनाओं और भावनात्मक दोहन का भी उदाहरण है।

मालिक का पक्ष और भविष्य की चिंता

मनीष गोयल, जो इस मिल के मालिक हैं, ने बताया कि मिल बंद जरूर है लेकिन उसकी मालिकाना हक अब भी उनके पास है और कानूनी रूप से दर्ज है। उन्होंने आशंका जताई कि यदि प्रशासन समय पर कदम नहीं उठाता, तो ऐसी कोशिशें दोबारा भी हो सकती हैं।

अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन सिर्फ इस बार के लिए हरकत में आया या भविष्य में भी ऐसे अतिक्रमण रोकने के लिए कोई ठोस योजना बनाएगा?

सवाल कई, जवाब अभी बाकी

  • क्या हिरासत में ली गई महिला से कुछ बड़े नामों का खुलासा हो सकता है?

  • क्या इस कब्जे की योजना के पीछे कोई राजनीतिक हाथ था?

  • क्या प्रशासन अब बंद पड़ी औद्योगिक संपत्तियों की निगरानी करेगा?

गम्हरिया की गोपाल ऑयल मिल पर हुआ यह कब्जा एक चेतावनी है—बंद पड़ी संपत्तियों पर नजर रखने की ज़रूरत है। अतिक्रमण अब सिर्फ जमीन हथियाने तक सीमित नहीं है, वह समाज के कमजोर वर्गों को मोहरा बनाकर भी किया जा रहा है।

प्रशासन की सतर्कता से भले ही इस बार मिल को बचा लिया गया, लेकिन अगर जल्द ही नीतिगत निर्णय और निगरानी व्यवस्था नहीं बनी, तो भविष्य में ऐसे कई और गोपाल ऑयल मिल मामले सामने आ सकते हैं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।