Chakulia Exposure: पंचायत से बाहर के बच्चों को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, बड़ा घोटाला उजागर!

चाकुलिया के माटियाबांधी पंचायत में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का मामला सामने आया है। मुखिया जादू हेंब्रम ने जांच की मांग करते हुए बीडीओ को ज्ञापन सौंपा है।

Apr 19, 2025 - 19:13
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Chakulia Exposure: पंचायत से बाहर के बच्चों को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, बड़ा घोटाला उजागर!
Chakulia Exposure: पंचायत से बाहर के बच्चों को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, बड़ा घोटाला उजागर!

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम ज़िले का चाकुलिया प्रखंड इन दिनों एक बड़े दस्तावेजी घोटाले की आंच में घिरा हुआ है।
माटियाबांधी पंचायत के मुखिया जादू हेंब्रम ने शनिवार को प्रखंड कार्यालय में बीडीओ आरती मुंडा को एक गंभीर ज्ञापन सौंपते हुए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी करने के मामले की गहराई से जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

क्या है पूरा मामला?

मुखिया के अनुसार, बीते तीन से चार महीनों में पंचायत क्षेत्र के बाहरी बच्चों के नाम पर जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं – वह भी बिना किसी दस्तावेज के
यह अपने आप में एक गंभीर आरोप है क्योंकि जन्म प्रमाण पत्र एक प्राथमिक सरकारी दस्तावेज है जिसका उपयोग स्कूलों, पासपोर्ट, आधार और कई अन्य सरकारी योजनाओं में किया जाता है।

मुखिया का कहना है:

“बिना दस्तावेज के जन्म प्रमाण पत्र बनना मुमकिन नहीं है। इसका मतलब है कि प्रक्रिया में किसी न किसी स्तर पर फर्जीवाड़ा हो रहा है। पंचायत को बदनाम करने की यह साजिश है।”

इतिहास की झलक: क्यों संवेदनशील है जन्म प्रमाण पत्र घोटाला?

भारत में जन्म प्रमाण पत्र को पहली बार 1969 में Birth and Death Registration Act के तहत अनिवार्य किया गया था। इसका उद्देश्य नागरिकों की पहचान, जनगणना और योजनाओं के लाभार्थियों को चिन्हित करना था।

इतिहास गवाह है कि इस दस्तावेज़ के ज़रिये कई बार सरकारी योजनाओं में गड़बड़ियाँ, नकली पहचान और वोटर सूची में हेरफेर जैसे मामले सामने आए हैं। यही वजह है कि जन्म प्रमाण पत्र से जुड़ा कोई भी घोटाला सीधे राष्ट्रीय हित और प्रशासनिक विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है।

मुखिया ने क्यों उठाई आवाज़?

मुखिया जादू हेंब्रम न केवल पंचायत के प्रतिनिधि हैं, बल्कि वर्षों से स्थानीय भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाते आए हैं। उनका मानना है कि यदि समय रहते इस घोटाले को रोका नहीं गया, तो इससे भविष्य में नकली लाभार्थियों की फौज खड़ी हो जाएगी, जो सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग करेंगे।

“पंचायत के बाहर के लोगों के नाम पर प्रमाण पत्र बनाकर यहां की छवि खराब की जा रही है। यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि संगठित फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है।” – जादू हेंब्रम

प्रखंड विकास पदाधिकारी की प्रतिक्रिया

मुखिया द्वारा दिए गए ज्ञापन के जवाब में प्रखंड विकास पदाधिकारी आरती मुंडा ने भरोसा दिलाया है कि:

  • गहन जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

  • यदि किसी कर्मचारी या एजेंट की संलिप्तता पाई गई, तो कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।

  • आने वाले दिनों में प्रमाण पत्र जारी करने की पूरी प्रक्रिया की समीक्षा की जाएगी।

क्या कहते हैं पंचायत के लोग?

स्थानीय लोगों में भी इस मुद्दे को लेकर आक्रोश और आशंका दोनों हैं। कई ग्रामीणों ने बताया कि उनके बच्चे वर्षों से प्रमाण पत्र के लिए भटक रहे हैं, जबकि बिना दस्तावेज़ वाले लोगों को आसानी से प्रमाण पत्र मिल गया।

ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ दलालों की मिलीभगत से यह खेल चल रहा है, जो बाहर के लोगों से पैसे लेकर दस्तावेज़ दिला रहे हैं।

अब क्या होगा?

इस प्रकरण ने चाकुलिया के प्रशासन को सतर्कता की स्थिति में ला दिया है।
यदि जांच में फर्जीवाड़ा सिद्ध होता है, तो यह न केवल स्थानीय पंचायत तंत्र को प्रभावित करेगा बल्कि राज्य सरकार के सिस्टम पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करेगा।

सरकार और प्रशासन के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है – दिखाने का कि वो भ्रष्टाचार के खिलाफ कितने सजग हैं।

फिलहाल, चाकुलिया की सड़कों से लेकर पंचायत दफ्तर तक एक ही सवाल गूंज रहा है – "बिना दस्तावेज के जन्म प्रमाण पत्र आखिर कैसे?"
और इसका जवाब अब प्रशासन को देना होगा – साफ, पारदर्शी और सख्त कार्रवाई के रूप में।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।