Chaibasa Statement: भाजपा नेता ने हफीज़ुल को बताया संविधान विरोधी, की बर्खास्तगी की मांग
चाईबासा में भाजपा नेता द्वारिका शर्मा ने झारखंड सरकार के मंत्री हफीज़ुल हसन को संविधान विरोधी बताते हुए उनकी बर्खास्तगी की मांग की। भाजपा ने चेताया – चुप रही सरकार तो छेड़ेंगे आंदोलन।

झारखंड की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है, और इस बार केंद्र में हैं राज्य के मंत्री हफीज़ुल हसन, जिनके कथित “संविधान विरोधी” बयान ने भाजपा को सख्त नाराज़गी की ओर धकेल दिया है। चाईबासा से भाजपा आईटी सेल के संयोजक द्वारिका शर्मा ने सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए मंत्री की तत्काल बर्खास्तगी की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में एक जनसभा में दिए गए हफीज़ुल हसन के बयान को भाजपा ने संविधान और लोकतंत्र की गरिमा के खिलाफ बताया है। हालांकि बयान के शब्दश: विवरण अभी पूरी तरह सार्वजनिक नहीं हुए हैं, परंतु भाजपा नेताओं का कहना है कि मंत्री ने संविधान की आत्मा और व्यवस्था को ठेस पहुंचाई है।
द्वारिका शर्मा ने इसे न केवल आपत्तिजनक बताया, बल्कि कहा कि "अगर कोई मंत्री ही संविधान की मर्यादा नहीं समझता, तो उसे मंत्री पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”
भाजपा की चेतावनी – "सड़क से सदन तक लड़ाई"
भाजपा इस मुद्दे को चुनावी शोरगुल के बीच हल्के में नहीं लेना चाहती। द्वारिका शर्मा ने साफ कहा कि यदि झारखंड सरकार ने मंत्री को नहीं हटाया, तो पार्टी पूरे राज्य में जनजागरण अभियान शुरू करेगी।
"हम गली-गली जाकर जनता को जागरूक करेंगे कि कैसे एक मंत्री संविधान का अपमान कर रहा है और सरकार मौन है," – द्वारिका शर्मा
उनकी मांगें स्पष्ट हैं:
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मंत्री को तुरंत बर्खास्त किया जाए।
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सरकार सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।
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इस प्रकार की विचारधारा को स्पष्ट रूप से नकारा जाए।
इतिहास गवाह है – संविधान की रक्षा को लेकर भाजपा आक्रामक रही है
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा ने संविधान की गरिमा को लेकर सड़क से सदन तक आंदोलन किया हो। साल 2011 में जब केंद्र सरकार पर लोकपाल बिल को लेकर सवाल उठे थे, तब भी भाजपा ने व्यापक जनआंदोलन चलाया था। पार्टी हमेशा से खुद को राष्ट्रवाद और संवैधानिक मूल्यों की रक्षक के रूप में प्रस्तुत करती आई है।
द्वारिका शर्मा ने भी अपने बयान में इसी इतिहास का हवाला देते हुए कहा,
“हमने पहले भी संविधान की रक्षा के लिए आंदोलन किया है, और अगर जरूरत पड़ी तो फिर करेंगे। ये देश किसी व्यक्ति विशेष की विचारधारा से नहीं, संविधान से चलता है।”
मंत्री हफीज़ुल हसन कौन हैं?
हफीज़ुल हसन, झारखंड सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं और झामुमो पार्टी से आते हैं। वे देवघर विधानसभा से विधायक हैं और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी माने जाते हैं। हाल के समय में वे संवेदनशील मुद्दों पर बयान देकर अक्सर चर्चा में रहते हैं।
उनके ऊपर पहले भी धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण बयान देने के आरोप लग चुके हैं। ऐसे में भाजपा के आरोप इस बार और ज्यादा गूंजते दिख रहे हैं।
सरकार की चुप्पी – रणनीति या लाचारी?
अब तक राज्य सरकार की ओर से इस पूरे प्रकरण पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इस चुप्पी को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई सवाल उठ रहे हैं:
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क्या सरकार अपने मंत्री का बचाव कर रही है?
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या फिर मामला ठंडा होने का इंतजार कर रही है?
भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर सरकार ने जल्द रुख स्पष्ट नहीं किया, तो मामला और भी राजनीतिक रूप से गरम होगा।
आगे क्या?
भाजपा अगले कुछ दिनों में राज्यव्यापी आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर सकती है। इसके तहत सोशल मीडिया, जनसभाएं और प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।
द्वारिका शर्मा ने अंत में कहा,
"संविधान का अपमान चाहे किसी भी स्तर से हो, भाजपा उसे कभी सहन नहीं करेगी। ये चेतावनी है, साथ ही एक संकल्प भी।”
झारखंड की सियासी फिजा में एक बार फिर तल्खी घुल गई है। देखना होगा कि क्या सरकार इस बार भी चुप्पी साधे रखेगी, या संविधान की गरिमा के नाम पर कोई बड़ा कदम उठाया जाएगा।
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