Bihar Drama: NDA छोड़ने वाले Pashupati Paras ने BJP-JDU पर साधा निशाना, ‘दलित अपमान’ बताया वजह

बिहार की सियासत में बड़ा उलटफेर! आरएलजेपी प्रमुख पशुपति पारस ने एनडीए से नाता तोड़ने की घोषणा की। उन्होंने बीजेपी और जेडीयू पर दलितों की अनदेखी का आरोप लगाया। जानिए पूरा मामला, और क्या अब महागठबंधन से जुड़ सकते हैं पारस?

Apr 15, 2025 - 17:42
Apr 15, 2025 - 17:56
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Bihar  Drama: NDA छोड़ने वाले Pashupati Paras ने BJP-JDU पर साधा निशाना, ‘दलित अपमान’ बताया वजह
Bihar Breakup Drama: NDA छोड़ने वाले Pashupati Paras ने BJP-JDU पर साधा निशाना, ‘दलित अपमान’ बताया वजह

बिहार की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त हलचल मची हुई है। पशुपति कुमार पारस की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) ने एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) से किनारा कर लिया है।

यह ऐलान उन्होंने किसी साधारण दिन नहीं, बल्कि भीमराव अंबेडकर की जयंती पर किया — जो कि खुद में एक मजबूत राजनीतिक संदेश था। पारस ने साफ तौर पर कहा कि उनकी पार्टी को एनडीए में "न्याय और सम्मान" नहीं मिला, खासकर दलित पहचान की वजह से।

क्या है पारस की नाराजगी की असली वजह?

पारस ने कहा, "मैं 2014 से एनडीए के साथ रहा हूं। लेकिन अब मेरी पार्टी का एनडीए से कोई संबंध नहीं रहेगा।" उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी और जेडीयू ने बिहार की राजनीति में उनकी पार्टी की भूमिका को नजरअंदाज किया। लोकसभा चुनाव से पहले ही पारस ने केंद्रीय मंत्री पद छोड़ दिया था क्योंकि चिराग पासवान की पार्टी को एनडीए में पांच सीटें दी गईं, और आरएलजेपी को एक भी नहीं।

दलित सम्मान बनाम राजनीतिक समीकरण

पारस के अनुसार, बीजेपी और जेडीयू ने उन्हें और उनकी पार्टी को केवल नाम के लिए साथ रखा था। उन्होंने कहा, "हम दलित हैं, शायद इसलिए हमें नजरअंदाज किया गया।" यह आरोप अपने आप में एनडीए की दलित राजनीति पर सवाल खड़ा करता है।

इतना ही नहीं, उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी तीखा हमला बोला। "नीतीश कुमार के 20 साल के राज में न तो शिक्षा व्यवस्था सुधरी, न उद्योग लगे और न ही कल्याण योजनाएं जमीन पर उतरीं," उन्होंने कहा।

क्या RLJP अब महागठबंधन की ओर?

पारस ने संकेत दिया कि अगर महागठबंधन उन्हें समय पर सम्मान और सीटें देता है, तो वे भविष्य में उनके साथ राजनीतिक रूप से जा सकते हैं। यानी अब नजरें इस बात पर हैं कि क्या आरएलजेपी RJD-कांग्रेस वाले खेमे में शामिल होगी?

केवल पारस ही नहीं, मांझी भी नाराज़

यह अकेले पारस की कहानी नहीं है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी हाल ही में एनडीए से नाराजगी जाहिर की। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और जेडीयू ने उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में बराबरी नहीं दी।

हालांकि मांझी ने कहा कि वह अभी एनडीए में बने रहेंगे, लेकिन वह बिहार विधानसभा चुनावों में 35-40 सीटों की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी पार्टी दलित एजेंडा को मजबूत कर सके।

NDA में अंदरूनी दरार?

एनडीए में पहले से ही कई सहयोगी दल हैं — बीजेपी, जेडीयू, चिराग पासवान की LJP (रामविलास), मांझी की HAM और कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा। लेकिन पारस का बाहर जाना एक संकेत है कि सबकुछ ठीक नहीं चल रहा।

मांझी ने जरूर कहा कि इससे एनडीए पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अंदरखाने की खींचतान कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

इतिहास का संदर्भ:
पारस और चिराग पासवान के बीच मतभेद तब शुरू हुए जब 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में बिखराव हुआ। इसके बाद 2021 में पारस ने RLJP बनाई और NDA में बने रहे। लेकिन दलित सम्मान और राजनीतिक हकदारी की लड़ाई ने एक बार फिर से बिहार में नया सियासी समीकरण खड़ा कर दिया है।


पशुपति पारस का NDA से बाहर आना एक साधारण कदम नहीं, बल्कि बिहार की दलित राजनीति और सियासी समीकरणों में एक बड़ा बदलाव है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि RLJP महागठबंधन की तरफ कदम बढ़ाती है या नया मोर्चा तैयार होता है।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।