Bareilly Accident: बरेली में रेलवे ट्रैक पार करते समय दो नाबालिगों की दर्दनाक मौत, मोबाइल में खोए थे बच्चे!

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में रेलवे ट्रैक पार करते समय दो नाबालिगों की दर्दनाक मौत हो गई। दोनों बच्चे मोबाइल फोन में व्यस्त थे और ट्रेन की चपेट में आ गए। जानें पूरी घटना की विस्तृत जानकारी।

May 5, 2025 - 16:13
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Bareilly Accident: बरेली में रेलवे ट्रैक पार करते समय दो नाबालिगों की दर्दनाक मौत, मोबाइल में खोए थे बच्चे!
Bareilly Accident: बरेली में रेलवे ट्रैक पार करते समय दो नाबालिगों की दर्दनाक मौत, मोबाइल में खोए थे बच्चे!

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में दो नाबालिग लड़कों की मौत ने पूरे इलाके में गहरी चिंता और शोक की लहर दौड़ा दी है। यह हादसा तब हुआ जब दोनों बच्चे रेलवे ट्रैक पार करते हुए मोबाइल फोन में इतने व्यस्त थे कि वे ट्रेन की आवाज सुनने में असमर्थ रहे और ट्रेन की चपेट में आ गए। यह घटना न केवल उनकी जिंदगी का अंत बनी, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि आजकल मोबाइल फोन की लत बच्चों के लिए कितनी खतरनाक हो सकती है।

क्या हुआ था उस दर्दनाक रात में?

यह घटना बरेली के इज्जतनगर स्टेशन के पास हुई। दो नाबालिग लड़के आदित्य (14 वर्ष) और पंकज (11 वर्ष) रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे। दोनों बच्चे बाल कटवाने के लिए घर से बाहर निकले थे, लेकिन जो हुआ वह किसी के लिए भी कल्पना से बाहर था। आदित्य ने ईयरफोन लगा रखा था और म्यूजिक सुनने में खोया हुआ था, जबकि पंकज अपने मोबाइल फोन पर व्यस्त था। दोनों ने अपने आसपास की दुनिया से अपनी पूरी ध्यान हटा लिया था, और इसके परिणामस्वरूप उनकी जान चली गई।

अचानक आई ट्रेन और आवाजें अनसुनी हो गईं

जब दोनों बच्चे रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे, तभी काठगोदाम से इज्जतनगर स्टेशन की ओर आ रही एक ट्रेन ने आकर दोनों को अपनी चपेट में ले लिया। रेलकर्मी और आसपास के लोग जिन्होंने यह दृश्य देखा, उन्होंने बच्चों को रोकने के लिए आवाजें लगाईं, और ट्रेन के ड्राइवर ने भी कई बार हॉर्न बजाया, लेकिन मोबाइल में खोए दोनों बच्चों ने इन सभी चेतावनियों को नजरअंदाज किया। नतीजा यह हुआ कि दोनों बच्चे ट्रेन के इंजन की चपेट में आ गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

पुलिस ने लिया मामले का संज्ञान और शव भेजे पोस्टमॉर्टम के लिए

घटना के तुरंत बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शवों को कब्जे में लिया और उनकी पहचान की। दोनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। इज्जतनगर थाना प्रभारी, विजयेंद्र सिंह, के मुताबिक, यह घटना मोबाइल फोन की लापरवाही की वजह से घटी। उन्होंने कहा कि रेलवे ट्रैक पार करते समय बच्चों को अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए था, लेकिन मोबाइल के कारण वे ट्रेन की आवाज़ नहीं सुन पाए।

स्थानीय लोगों में शोक और सुरक्षा की चिंता

इस हादसे ने न केवल परिवार बल्कि पूरे इलाके को झकझोर दिया है। स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर गहरा शोक है। बच्चों के माता-पिता और रिश्तेदारों का कहना है कि अगर बच्चों ने ट्रेन की आवाज सुनी होती या अपनी ओर से थोड़ी सतर्कता दिखाई होती तो यह घटना नहीं होती। यह घटना मोबाइल फोन के उपयोग के खतरे को भी उजागर करती है, जो बच्चों के लिए खतरे का कारण बन सकता है।

इतिहास में ऐसे हादसों का कारण मोबाइल का बढ़ता प्रयोग

आजकल बच्चों के लिए मोबाइल एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसके खतरों को नजरअंदाज करना उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। इसके पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं, जहां बच्चे मोबाइल फोन के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। यह घटना उन बच्चों के लिए एक चेतावनी है जो अपनी सुरक्षा को नजरअंदाज करते हुए मोबाइल में खो जाते हैं।

क्या सिखना चाहिए हमें इस हादसे से?

यह घटना हमें यह सिखाती है कि बच्चों को मोबाइल फोन के उपयोग के दौरान सतर्क और सुरक्षित रहने की आवश्यकता है। बच्चों को यह समझाना चाहिए कि जब वे सड़कों या रेलवे ट्रैक पर हों, तो उनका ध्यान पूरी तरह से अपनी सुरक्षा पर होना चाहिए, न कि मोबाइल फोन पर। इसके अलावा, परिवार और स्कूलों को बच्चों को सड़क और रेलवे सुरक्षा के बारे में जागरूक करना चाहिए।

आखिरकार, क्या कदम उठाए जाएंगे?

बरेली पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि ऐसे हादसे भविष्य में न हों। रेलवे प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों को भी इस घटना के बाद सुरक्षा उपायों को सख्त करने की जरूरत है। बच्चों की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्थानों और रेलवे ट्रैक के आसपास चेतावनी संकेत और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करना जरूरी है।

समाप्ति में, यह हादसा न केवल एक दुखद घटना है, बल्कि यह हमारे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी भी है कि बच्चों को मोबाइल फोन के उपयोग के दौरान सुरक्षा की सख्त जरूरत है।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।