India Defense Loans: भारत ने खोला हथियारों का 'लोन बाजार', रूस के ग्राहकों को दे रहा सस्ता कर्ज!
भारत अब रूस के पुराने ग्राहकों को टारगेट कर सस्ते और लंबी अवधि के कर्ज के जरिए अपने हथियार बेचने की रणनीति अपना रहा है। अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया को बनाना चाहता है डिफेंस एक्सपोर्ट हब।

रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया की रक्षा रणनीति को हिला कर रख दिया है। और इसी भूचाल के बीच भारत ने एक ऐसा कदम उठाया है जो उसे वैश्विक हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित कर सकता है। भारत अब उन देशों को टारगेट कर रहा है जो परंपरागत रूप से रूस से हथियार खरीदते थे। लेकिन रूस की अपनी सीमाओं पर चल रही लड़ाई ने इन देशों को नए विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया है—और भारत इस मौके को भुनाने में पूरी तरह एक्टिव हो गया है।
EXIM बैंक के जरिए सस्ता कर्ज, बड़ा खेल!
भारत अब EXIM बैंक के माध्यम से हथियार खरीदने वाले देशों को कम ब्याज दरों और लंबी अवधि के कर्ज की पेशकश कर रहा है। खास बात यह है कि ये वही देश हैं, जिनकी राजनीतिक स्थिति अस्थिर है या जिनकी क्रेडिट रेटिंग कमजोर है। ऐसे में उन्हें अमेरिका या यूरोपीय देशों से महंगे कर्ज नहीं मिलते। भारत की यह रणनीति उन्हें आकर्षित करने के लिए बिल्कुल नई और आक्रामक है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने ब्राजील, अर्जेंटीना जैसे करीब 20 देशों में अपने डिप्लोमैट्स को भेजा है। इनका काम सिर्फ एक है—भारतीय हथियारों को बढ़ावा देना और नए सौदे पक्के करना।
इतिहास से सीख, भविष्य पर निशाना
भारत लंबे समय से दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा है। लेकिन बीते कुछ सालों में सरकार ने स्वदेशी उत्पादन और हथियार निर्यात पर जोर देना शुरू किया है। आंकड़े बताते हैं कि भारत का रक्षा उत्पादन 2020 की तुलना में 2024 तक 62% बढ़ चुका है। अब भारत सिर्फ खरीदने वाला नहीं, बेचने वाला भी बनना चाहता है।
इतिहास के पन्नों में देखें तो भारत ने 2010-14 के बीच अपने 72% हथियार रूस से खरीदे थे। लेकिन 2020-24 के आंकड़े बताते हैं कि यह संख्या घटकर 36% रह गई है। यानी भारत खुद भी रूस से दूर हो रहा है और अब दूसरों को भी उससे हटाकर अपनी तरफ खींचना चाहता है।
दुनिया के हथियार बाजार में रूस की गिरती साख
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के हथियार निर्यात में भारी गिरावट आई है। 2015-19 की तुलना में 2020-24 में रूस का हथियार निर्यात 64% तक गिरा है। वैश्विक बाजार में रूस की हिस्सेदारी अब सिर्फ 7.8% रह गई है, जबकि अमेरिका ने 43% हिस्सेदारी के साथ दबदबा बना लिया है।
रूस की यह गिरावट भारत के लिए सुनहरा मौका बन गई है। भारत अब उन देशों की पहली पसंद बनना चाहता है जो रूस से निराश हैं।
भारत का नया टारगेट: अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया
भारत ने तय किया है कि वह अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया को अपना रक्षा निर्यात केंद्र बनाएगा। इसके लिए भारत मार्च 2026 तक 20 नए सैन्य राजनयिक (डिफेंस अटैशे) विदेशों में तैनात करेगा। इनकी पोस्टिंग अल्जीरिया, मोरक्को, गुयाना, अर्जेंटीना, इथियोपिया, तंजानिया और कंबोडिया जैसे देशों में की जाएगी।
साथ ही, भारत अपने पश्चिमी देशों में तैनात सैन्य राजनयिकों को वहां से हटाकर इन नए टारगेट देशों में भेजेगा। इनका काम होगा मेजबान देशों की रक्षा जरूरतों को समझना और भारतीय हथियारों का प्रचार करना।
भारत के हथियार सस्ते, लेकिन दमदार
भारत में बनने वाले हथियार सिर्फ किफायती नहीं हैं, बल्कि तकनीकी रूप से भी मजबूत हैं। जैसे 155 मिमी के तोप के गोले भारत में 300-400 डॉलर में बनते हैं, जबकि यही गोले यूरोप में 3000 डॉलर तक में बिकते हैं। भारत में बनी होवित्जर तोपें यूरोप की तुलना में आधे दाम में उपलब्ध हैं।
सरकारी कंपनियों के साथ-साथ अब अडाणी डिफेंस और SMPP जैसी निजी कंपनियां भी हथियार निर्माण में आगे आ रही हैं। यह भारत के रक्षा उद्योग को और भी मज़बूत बना रहा है।
EXIM की ब्राजील ब्रांच और मिसाइल डील
भारत ने जनवरी 2025 में ब्राजील में EXIM बैंक की ब्रांच खोली है। इसके जरिए भारत ब्राजील को आकाश मिसाइल सिस्टम बेचने की तैयारी कर रहा है। भारतीय कंपनी ने साओ पाओलो में ऑफिस भी खोल लिया है, जिससे यह साफ है कि भारत अब हथियार व्यापार को लेकर बेहद गंभीर है।
नया रक्षा युग: भारत की उभरती भूमिका
अभी तक जो देश फ्रांस, तुर्की या चीन से हथियार खरीदते थे, वे अब भारत की ओर देख रहे हैं। भारत ने आर्मेनिया जैसे देश में रूस का विकल्प बनकर सफलता पाई है। SIPRI के अनुसार, 2022-24 में आर्मेनिया के हथियारों के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 43% रही, जो 2018 में 0% थी।
यानी भारत अब न सिर्फ अपने लिए हथियार बना रहा है, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में एक निर्णायक खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। और इस बार उसका शस्त्र केवल गोला-बारूद नहीं, बल्कि सस्ता और दीर्घकालिक कर्ज भी है।
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