US Warning: ट्रंप ने चीन को दी खुली धमकी, पर खुद ही पीछे हटे? जानिए असली वजह!
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर में बड़ा मोड़! ट्रंप ने एक तरफ लगाया 245% तक का टैरिफ, दूसरी तरफ बोले—'ज्यादा नहीं बढ़ाना चाहता हूं टैरिफ'। क्या अमेरिका अब झुक रहा है? जानिए पूरा मामला।

वॉशिंगटन: अमेरिका और चीन के बीच चल रही आर्थिक जंग में एक और बड़ा मोड़ आ गया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही चीन पर 245% तक के टैरिफ लगाने का ऐलान किया हो, लेकिन उनकी हालिया टिप्पणी ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। ट्रंप ने खुद कहा है कि वो इन टैरिफ को और बढ़ाने को लेकर "संकोच" में हैं, क्योंकि इससे व्यापार पूरी तरह ठप हो सकता है।
दरअसल, ट्रंप का ये बयान उस वक्त आया जब वो व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी से मुलाकात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ चीन पर बढ़ते टैरिफ को लेकर अपनी चिंता जताई, बल्कि यह भी बताया कि बीजिंग लगातार उनसे संपर्क साधने की कोशिश कर रहा है।
“एक स्तर के बाद आप ऐसा नहीं करना चाहते कि लोग खरीदना ही बंद कर दें,” ट्रंप ने ब्लूमबर्ग के अनुसार कहा। “इसलिए मैं शायद और ज्यादा न बढ़ाऊं या उसी स्तर पर रुक जाऊं। हो सकता है मैं टैरिफ कम कर दूं, क्योंकि आप चाहते हैं कि लोग खरीदें।”
इतना ही नहीं, ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से "बेहद अच्छी दोस्ती" है और यह रिश्ता आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि चीन की टॉप लेवल लीडरशिप कई बार उनसे संपर्क कर चुकी है।
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर का इतिहास
ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल के दौरान अमेरिका-चीन के बीच यह ट्रेड वॉर 2018 में शुरू हुई थी, जब अमेरिका ने चीन पर अरबों डॉलर के उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने शुरू किए। उद्देश्य था—चीन को अनुचित व्यापार प्रथाओं, बौद्धिक संपदा की चोरी और व्यापार घाटे को लेकर सबक सिखाना।
इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका पर 125% तक के टैरिफ लगा दिए और WTO (विश्व व्यापार संगठन) में अमेरिका के खिलाफ शिकायत दर्ज कर दी। चीन का साफ कहना है कि अमेरिका का यह कदम न सिर्फ वैश्विक व्यापार नियमों के खिलाफ है, बल्कि इससे पूरी दुनिया का आर्थिक तंत्र भी प्रभावित होगा।
अब क्या है नया संकट?
ट्रंप द्वारा घोषित 245% तक का नया टैरिफ तीन भागों में बंटा है:
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125% रेसिप्रोकल टैरिफ (जैसे को तैसा नीति)
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20% टैरिफ फेंटेनाइल संकट से निपटने के लिए
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Section 301 के तहत 7.5% से 100% तक अलग-अलग वस्तुओं पर शुल्क
ये नया कदम चीन के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक हथियार माना जा रहा है। लेकिन ट्रंप के ही बयान ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अमेरिका अब पीछे हट रहा है?
ट्रंप का डिप्लोमैटिक खेल या दबाव की रणनीति?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह दोहरा रुख दरअसल एक रणनीतिक चाल हो सकती है। एक तरफ भारी टैरिफ लगाकर चीन पर दबाव, दूसरी तरफ नरम बयान देकर व्यापार को बचाने की कोशिश।
एक सवाल यह भी है—क्या अमेरिका वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति कमजोर होते देख डर गया है? क्योंकि टैरिफ जितना बढ़ेगा, अमेरिकी कंपनियों और ग्राहकों पर भी उतना ही असर पड़ेगा।
क्या होगी चीन की अगली चाल?
चीन पहले ही अमेरिका के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए जवाबी शुल्क लगा चुका है। साथ ही चीन का तर्क है कि अमेरिका का यह कदम ‘पूरे विश्व के खिलाफ है’। ऐसे में चीन की अगली प्रतिक्रिया भी उतनी ही तीव्र हो सकती है।
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर अब सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं रह गई है, बल्कि इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। ट्रंप के बयान इस बात का संकेत हैं कि अमेरिका खुद भी इस संघर्ष के दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर आशंकित है। अब देखना यह है कि क्या दोनों देश कूटनीतिक समाधान की ओर बढ़ेंगे या यह आर्थिक महायुद्ध और भी विकराल रूप लेगा।
क्या आपको लगता है ट्रंप का यह रुख चीन को भ्रमित करने की रणनीति है या वाकई अमेरिका दबाव में है? अपनी राय जरूर बताएं।
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