India Trade Talks: अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर भारत ने बढ़ाई तेजी, क्या होगा अगला कदम?
भारत ने अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को जल्द से जल्द पूरा करने का लक्ष्य रखा है। जानिए कैसे ये समझौता भारत की व्यापारिक रणनीति को बदल सकता है और अन्य देशों के साथ भी व्यापारिक समझौतों में क्या हो रहा है।

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की लंबी बातचीत जल्द ही अपनी दिशा तय कर सकती है।
भारत इस समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने की दिशा में पूरी तरह से जुटा हुआ है और उम्मीद जताई जा रही है कि इससे न सिर्फ भारत और अमेरिका के व्यापार में वृद्धि होगी, बल्कि दोनों देशों के लिए कई नए अवसर भी खुलेंगे।
भारत ने अपनी व्यापारिक रणनीति में तेजी लाते हुए न सिर्फ अमेरिका से व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिशें तेज कर दी हैं, बल्कि अन्य देशों के साथ भी स्वतंत्र व्यापार समझौतों (FTAs) पर बातचीत को प्राथमिकता दी है। इस बीच, अमेरिका द्वारा प्रतिपूरक शुल्क (reciprocal tariffs) को लेकर जो चिंताएँ हैं, उनका भी सरकार ध्यान रख रही है।
अमेरिका से व्यापार समझौते की जल्दबाजी
भारत के वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में कहा,
“हम अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश करेंगे। हमें उम्मीद है कि हम अच्छा समझौता कर पाएंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि BTA का पहला चरण सितंबर-अक्टूबर 2025 तक पूरा हो सकता है, हालांकि, इसे उससे पहले भी अंतिम रूप दिया जा सकता है।
इन-प्रोसेस वर्चुअल वार्ता
अधिकारी ने यह भी बताया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर वर्चुअल चर्चा इस सप्ताह शुरू हो सकती है, जबकि व्यक्तिगत (in-person) वार्ताएँ मई के दूसरे सप्ताह के बाद शुरू हो सकती हैं। इस संदर्भ में अधिकारी ने यह भी कहा,
“हमने जो समय सारणी बनाई है, उसके अनुसार वार्ताएँ सुचारू रूप से चल रही हैं।”
भारत का व्यापार क्षेत्र
FY25 में, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बना रहा, जिसमें कुल निर्यात $86.51 बिलियन तक पहुंचा, जबकि FY24 में यह आंकड़ा $77.52 बिलियन था। इस आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में लगातार वृद्धि हो रही है।
यूरोपीय संघ (EU) के साथ समझौता
भारत न सिर्फ अमेरिका के साथ व्यापार समझौता बनाने में लगा हुआ है, बल्कि यूरोपीय संघ (EU) के साथ भी स्वतंत्र व्यापार समझौते (FTA) की वार्ता को लेकर सक्रिय है। भारत और EU के बीच अगली वार्ता 12 मई से 16 मई के बीच दिल्ली में होगी, और दोनों पक्ष इस समझौते को 2025 के अंत तक पूरा करने की उम्मीद कर रहे हैं।
अधिकारी ने कहा,
“अगर कुछ मुद्दे मुख्य व्यापार से संबंधित नहीं हैं और उन्हें समझौते के अंतिम रूप देने में समय लग सकता है, तो हम पहले चरण के समझौते पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।”
आयात में वृद्धि की चिंताएँ
भारत की वाणिज्य मंत्रालय इन व्यापार समझौतों के बीच आयात वृद्धि (import surge) पर नजर रखे हुए है। कुछ क्षेत्रों में डंपिंग (dumping) की संभावना को लेकर भी चिंता है, विशेष रूप से चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों से। इसके अलावा, चीन द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर प्रतिपूरक शुल्क (retaliatory tariffs) लगाए जाने के बाद अमेरिकी कृषि उत्पादों का भारत में प्रवेश बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
इस चिंताजनक स्थिति से निपटने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने एक इंटर-मंत्रालय समिति बनाई है, जो आयात प्रवृत्तियों की साप्ताहिक और मासिक निगरानी कर रही है।
व्यापार में भविष्य के अवसर
हालाँकि आयात वृद्धि का अब तक कोई बड़ा प्रभाव नहीं देखा गया है, फिर भी भारतीय अधिकारियों का मानना है कि BTA का अंतिम रूप दोनों देशों के व्यापार को काफी लाभ पहुंचाएगा। भारत-अमेरिका व्यापार के साथ-साथ यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ FTA समझौतों को लेकर चर्चा करना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
भारत की व्यापार नीति अब और भी तेज़ी से वैश्विक व्यापार के परिप्रेक्ष्य में अपने कदम बढ़ा रही है। अमेरिका से प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर उम्मीदें बढ़ रही हैं, वहीं यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ समझौतों से भी भारत को कई नए व्यापारिक अवसर मिल सकते हैं। आने वाले महीनों में भारत के व्यापार संबंधों में ऐतिहासिक बदलाव हो सकते हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को और भी ताकतवर बना सकते हैं।
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