Pakistan Tax Deficit : पाकिस्तान का कर घाटा 606 अरब रुपये पहुंचा! IMF से मिले कर्ज पर मंडराया खतरा? जानिए पूरा मामला

पाकिस्तान का कर घाटा 606 अरब पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच गया है, जिससे IMF की सख्त शर्तों का उल्लंघन होने का खतरा बढ़ गया है। क्या पाकिस्तान आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है? जानें पूरी रिपोर्ट।

Mar 1, 2025 - 10:45
Mar 1, 2025 - 22:43
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Pakistan Tax Deficit : पाकिस्तान का कर घाटा 606 अरब रुपये पहुंचा! IMF से मिले कर्ज पर मंडराया खतरा? जानिए पूरा मामला
Pakistan Tax Deficit : पाकिस्तान का कर घाटा 606 अरब रुपये पहुंचा! IMF से मिले कर्ज पर मंडराया खतरा? जानिए पूरा मामला

 पाकिस्तान का कर घाटा 606 अरब रुपये पहुंचा! IMF की सख्त शर्तों से निपटना हुआ मुश्किल

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले आठ महीनों में कर घाटा 606 अरब पाकिस्तानी रुपये (करीब 189.45 अरब भारतीय रुपये) तक पहुंच गया है। यह घाटा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की शर्तों का उल्लंघन कर सकता है, जिससे पाकिस्तान को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।

 कर संग्रह में बड़ी गिरावट, IMF की शर्तों पर संकट

पाकिस्तान को इस समय IMF से सात अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज मिला हुआ है, लेकिन इसके बदले IMF ने पाकिस्तान पर कर संग्रह बढ़ाने सहित कई सख्त शर्तें लगाई हैं। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, संघीय राजस्व बोर्ड (FBR) को जुलाई-फरवरी 2025 के दौरान 7,950 अरब पाकिस्तानी रुपये के कर संग्रह लक्ष्य को पूरा करना था, लेकिन यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका और पाकिस्तान केवल 7,342 अरब पाकिस्तानी रुपये ही जुटा पाया।

हालांकि पाकिस्तान के टैक्स कलेक्शन में 28% की वृद्धि हुई, लेकिन यह IMF के तय किए गए लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं था। इस वजह से IMF और पाकिस्तान के बीच हुए करार पर संकट गहरा सकता है।



 पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति का ऐतिहासिक विश्लेषण

पिछले वर्षों में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की गिरावट

  • 1947 के बाद: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि आधारित थी।
  • 1970-80 का दशक: अमेरिका और चीन के साथ संबंधों के कारण आर्थिक मदद मिली।
  • 1990-2000: IMF और विश्व बैंक से कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू हुई।
  • 2008: वैश्विक मंदी के दौरान पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।
  • 2019-2023: पाकिस्तान को IMF और अन्य देशों से कई अरब डॉलर की आर्थिक सहायता मिली।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से IMF और विदेशी कर्ज पर निर्भर रही है। पिछले कुछ दशकों में अस्थिर नीतियों, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के कारण पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति और बिगड़ गई।


 पाकिस्तान के कर घाटे के बढ़ने के मुख्य कारण

  • कम कर संग्रह: पाकिस्तान में कर अनुपालन दर बहुत कम है, जिससे सरकार का राजस्व प्रभावित होता है।
  • IMF की शर्तें: IMF ने कर संग्रह बढ़ाने की सख्त शर्तें लगाई हैं, जिन्हें पाकिस्तान पूरा नहीं कर पा रहा है।
  • बढ़ता विदेशी कर्ज: पाकिस्तान पर पहले से ही अरबों डॉलर का कर्ज है, जिससे आर्थिक दबाव बढ़ रहा है।
  • राजनीतिक अस्थिरता: बार-बार सरकारें बदलने से आर्थिक नीतियां प्रभावी नहीं हो पा रही हैं।
  • रुपये का अवमूल्यन: पाकिस्तान की मुद्रा लगातार कमजोर हो रही है, जिससे आयात महंगे हो रहे हैं और वित्तीय घाटा बढ़ रहा है।


 IMF और पाकिस्तान के बीच संभावित टकराव

यदि पाकिस्तान अपने कर संग्रह लक्ष्य को पूरा नहीं करता है, तो IMF पाकिस्तान को मिलने वाली वित्तीय सहायता रोक सकता है। यह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा।

IMF पहले ही पाकिस्तान को बजट घाटा कम करने, ऊर्जा सब्सिडी हटाने और टैक्स बढ़ाने के लिए कह चुका है। लेकिन पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था और राजनीतिक अस्थिरता इसे लागू करने में बाधा बन रही है।

 पाकिस्तान के लिए आगे की राह क्या है?

  • कर सुधार: कर चोरी को रोकने और कर आधार बढ़ाने के लिए सुधार लागू करने होंगे।
  • विदेशी निवेश आकर्षित करना: चीन, सऊदी अरब और अन्य देशों से निवेश लाने की कोशिश करनी होगी।
  • IMF की शर्तों का पालन: यदि पाकिस्तान IMF की सख्त शर्तों को नहीं मानता है, तो उसे भविष्य में कर्ज मिलना मुश्किल हो सकता है।
  • रुपये की स्थिरता: मुद्रा मूल्य में स्थिरता लाने के लिए सख्त मौद्रिक नीतियां अपनानी होंगी।


 निष्कर्ष

पाकिस्तान का 606 अरब पाकिस्तानी रुपये का कर घाटा उसकी आर्थिक स्थिति को और खराब कर सकता है। यदि पाकिस्तान IMF की शर्तों को पूरा करने में असफल रहता है, तो उसे भविष्य में और भी कड़े वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है।

क्या पाकिस्तान इस वित्तीय संकट से उबर पाएगा? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं और इस खबर को शेयर करें!

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।