Jamshedpur Tiger Alert: दलमा में बाघ की वापसी! पहली बार कैमरे में कैद हुआ खूंखार शिकारी
जमशेदपुर के दलमा जंगल में पहली बार ट्रैप कैमरे में बाघ नजर आया है। जानिए, यह बाघ कहां से आया और वन विभाग क्यों है सतर्क?
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झारखंड के दलमा जंगल में पहली बार एक बाघ की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। ट्रैप कैमरे में इस बाघ की तस्वीरें कैद हुई हैं, जिससे यह साफ हो गया कि कोल्हान क्षेत्र में अब बाघों का भी बसेरा बनने लगा है।
अब तक केवल बाघ के पैरों के निशान ही दिखते थे, लेकिन इस बार वन विभाग ने स्पष्ट तस्वीरें हासिल कर ली हैं। क्या यह बाघ दलमा में रुकने वाला है या फिर यह महज एक सफर का हिस्सा है? वन्यजीव विशेषज्ञ इस पर शोध कर रहे हैं।
कैसे पहुंचा बाघ दलमा जंगल तक? सफर है हैरान करने वाला!
वन विभाग की जानकारी के मुताबिक, यह बाघ छत्तीसगढ़ से पलामू टाइगर रिजर्व होते हुए गुमला, चांडिल, घाटशिला, पुरुलिया और बांकुड़ा जैसे इलाकों से गुजरता हुआ फिर से दलमा जंगल आ पहुंचा है।
पहले कहां दिखा था बाघ?
- 31 दिसंबर को पहली बार बाघ के दलमा में होने की सूचना मिली थी।
- इससे पहले यह डुमकाकोचा में आराम कर रहा था।
- बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने 40 से ज्यादा ट्रैप कैमरे लगाए थे।
- इसी कैमरे में बाघ की तस्वीर कैद हुई, जिससे पुष्टि हुई कि यह अब दलमा के कोर एरिया में घूम रहा है।
क्या दलमा बाघों के लिए बन सकता है नया ठिकाना?
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि दलमा जंगल की आबोहवा बाघों के अनुकूल होती जा रही है। यह क्षेत्र हाथियों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन अब बाघों की उपस्थिति ने इसे और महत्वपूर्ण बना दिया है।
दलमा का ऐतिहासिक महत्व और वन्यजीव संरक्षण
दलमा वन्यजीव अभयारण्य 1980 में स्थापित हुआ था और इसे मुख्य रूप से हाथियों का घर माना जाता है। यहां चीतल, भालू, जंगली सूअर और लकड़बग्घे जैसे जानवर पहले से मौजूद हैं, लेकिन बाघ का आना एक नया संकेत है।
झारखंड में मुख्य रूप से बाघ पलामू टाइगर रिजर्व में पाए जाते हैं। लेकिन अब दलमा में बाघ की उपस्थिति यह दर्शाती है कि यह इलाका भी बाघों के लिए सुरक्षित स्थान बन सकता है।
क्या बाघ दलमा में रहेगा या फिर आगे बढ़ेगा?
यह बड़ा सवाल है कि क्या यह बाघ दलमा को अपना स्थायी ठिकाना बनाएगा या फिर आगे पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ेगा?
वन विभाग इसकी गतिविधियों पर पूरी नजर बनाए हुए है और लगातार सीसीटीवी फुटेज और ट्रैप कैमरे चेक किए जा रहे हैं।
वन विभाग अलर्ट, स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की सलाह
वन विभाग ने स्थानीय ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है और जंगल में अकेले जाने से मना किया है। हालांकि, बाघ अभी तक किसी इंसान के संपर्क में नहीं आया है।
क्या यह बाघ स्थायी रूप से दलमा में रह सकता है?
वन विभाग और विशेषज्ञों की राय:
✔️ अगर दलमा जंगल में पर्याप्त शिकार और पानी की उपलब्धता होगी, तो बाघ यहीं बस सकता है।
✔️ वन विभाग इसे ट्रैक कर रहा है और यह देखने की कोशिश कर रहा है कि यह बाघ किस दिशा में आगे बढ़ता है।
अब आगे क्या?
- वन विभाग ने बाघ की निगरानी बढ़ा दी है।
- ग्रामीणों को सतर्क किया गया है और जंगल में अनावश्यक घूमने से बचने की सलाह दी गई है।
- दलमा के जंगल में भविष्य में और बाघों के आने की संभावना पर भी रिसर्च की जा रही है।
क्या दलमा टाइगर रिजर्व बन सकता है?
अगर भविष्य में दलमा में और बाघ आते हैं, तो इसे भी टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित किया जा सकता है।
आपका क्या कहना है? क्या दलमा जंगल में बाघों की बढ़ती संख्या झारखंड के वन्यजीव संरक्षण के लिए अच्छी खबर है? हमें कमेंट में बताएं!
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