Jamshedpur Doctors: एमजीएम अस्पताल को दो महीने बाद मिलेंगे 52 नए इंटर्न

एमजीएम साकची अस्पताल को दो महीने बाद 52 इंटर्न डॉक्टर मिलने की संभावना। जानें क्यों हुई देरी और इसका अस्पताल पर क्या प्रभाव पड़ेगा। Slug: 

Nov 27, 2024 - 10:05
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Jamshedpur Doctors: एमजीएम अस्पताल को दो महीने बाद मिलेंगे 52 नए इंटर्न
Jamshedpur Doctors: एमजीएम अस्पताल को दो महीने बाद मिलेंगे 52 नए इंटर्न

जमशेदपुर। एमजीएम साकची अस्पताल को 52 इंटर्न डॉक्टर मिलने में अभी दो महीने का इंतजार करना पड़ेगा। 2018 बैच के इंटर्न डॉक्टरों की इंटर्नशिप डेढ़ महीने पहले समाप्त हो चुकी है, और 2019 बैच के नए छात्रों का रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया लंबित है। इस देरी ने अस्पताल की कार्यक्षमता पर प्रभाव डाला है।

2018 बैच क्यों छोड़ गए और 2019 बैच कब आएगा?

एमजीएम मेडिकल कॉलेज में 2018 बैच के इंटर्न डॉक्टर अपनी इंटर्नशिप पूरी करके अस्पताल से चले गए।
2019 बैच के छात्रों का सत्र पहले ही देरी से चल रहा था।

  • परीक्षा: यह 10 दिन पहले समाप्त हुई।
  • रिजल्ट: कोल्हन विश्वविद्यालय से रिजल्ट आने में एक महीने का समय लग सकता है।
  • रजिस्ट्रेशन: रांची स्थित विभाग में प्रक्रिया पूरी होने में अतिरिक्त 15 दिन लगेंगे।

सभी प्रक्रियाएं समय पर पूरी हुईं तो 15 जनवरी 2024 तक इंटर्न डॉक्टर अस्पताल में योगदान देंगे।

अस्पताल पर इसका क्या असर हो रहा है?

एमजीएम साकची अस्पताल के कार्यभार का बड़ा हिस्सा इंटर्न डॉक्टर संभालते हैं।

  • ड्यूटी: ओपीडी, इमरजेंसी, और वार्ड में इनकी सेवाएं महत्वपूर्ण होती हैं।
  • राहत: इनके कारण सीनियर डॉक्टरों का काम आसान हो जाता है, और मरीजों को भी जल्दी सेवाएं मिलती हैं।
  • संख्या में कमी: इस साल केवल 52 इंटर्न डॉक्टर ही उपलब्ध होंगे, जबकि पहले यह संख्या 100 तक होती थी।

इंटर्न की कमी क्यों हुई?

2019 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) के नए नियमों के तहत एमजीएम मेडिकल कॉलेज की सीटें घटा दी गई थीं।

  • पिछले आंकड़े: 100 सीटों पर नामांकन होता था।
  • वर्तमान स्थिति: अब केवल 50 सीटें हैं।
  • दो पुराने छात्र: 2019 बैच के अतिरिक्त दो पुराने छात्र भी इंटर्नशिप करेंगे।

इस बदलाव का असर अस्पताल की कार्यक्षमता पर साफ दिखाई दे रहा है।

इतिहास में झांकें: एमजीएम अस्पताल की चुनौतियां

एमजीएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल झारखंड के महत्वपूर्ण चिकित्सा संस्थानों में से एक है।

  • स्थापना: यह कॉलेज 1961 में स्थापित हुआ था।
  • चुनौतियां: शुरुआत से ही इसे स्टाफ की कमी और संसाधनों की दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
  • वर्तमान समस्या: स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।

अस्पताल की स्थिति पर क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

डॉ. जुझार माझी, एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक, ने कहा कि इंटर्न डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण अस्पताल की कार्यक्षमता पर असर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा:

"हमारे पास सीनियर डॉक्टरों की संख्या भी सीमित है। इंटर्न डॉक्टरों की कमी से मरीजों के इलाज में देरी हो रही है।"

आने वाले दिनों में क्या उम्मीद?

अगर रिजल्ट और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया समय पर पूरी हो जाती है, तो 15 जनवरी तक 52 इंटर्न डॉक्टर अस्पताल में अपनी सेवाएं देना शुरू कर देंगे।
यह कदम न केवल अस्पताल के कार्यभार को संभालने में मदद करेगा, बल्कि मरीजों को भी राहत प्रदान करेगा।

आपकी राय क्या है?

क्या मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए? कमेंट करें और अपनी राय साझा करें।

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