Jamshedpur Training: छात्रों के लिए साइबर सुरक्षा पर विशेष सत्र, जानें क्या हुआ खास

जमशेदपुर के कदमा में साइबर सुरक्षा जागरूकता सत्र का आयोजन। 24 स्कूलों के 250 छात्रों और 50 शिक्षकों ने भाग लिया। जानें क्या सीखा छात्रों ने।

Nov 27, 2024 - 09:55
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Jamshedpur Training: छात्रों के लिए साइबर सुरक्षा पर विशेष सत्र, जानें क्या हुआ खास
Jamshedpur Training: छात्रों के लिए साइबर सुरक्षा पर विशेष सत्र, जानें क्या हुआ खास

जमशेदपुर : डिजिटल युग में बढ़ती ऑनलाइन सुरक्षा चिंताओं के बीच कदमा के कुडी महंती ऑडिटोरियम में छात्रों के लिए एक विशेष ट्रेनिंग सत्र का आयोजन किया गया। "सेफ्टी अवेयरनेस फॉर एवरीवन" द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 24 स्कूलों के 250 छात्रों और 50 शिक्षकों ने हिस्सा लिया। सत्र का उद्देश्य था छात्रों को डिजिटल खतरों से सतर्क करना और एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण का निर्माण करना।

कार्यक्रम में क्या-क्या हुआ?

कार्यक्रम की शुरुआत टाटा स्टील के चीफ सेफ्टी ऑफिसर नीरज सिन्हा ने स्वागत भाषण और उद्घाटन से की। इसके बाद कई सत्रों का आयोजन हुआ, जिसमें एक्सएलआरआई के प्रो. कल्याण भास्कर और टाटा स्टील की सूचना सुरक्षा विशेषज्ञ ज्योत्सना सिंह जैसे वक्ताओं ने भाग लिया।

  1. सेंस एंड सस्टेनेबिलिटी:
    प्रो. कल्याण भास्कर ने छात्रों को एक स्थायी और सुरक्षित जीवन जीने के लिए सात मूलभूत उपायों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इसे रोचक बनाने के लिए वीडियो और इंटरएक्टिव प्रेजेंटेशन का सहारा लिया।

  2. साइबर सुरक्षा पर जागरूकता:
    ज्योत्सना सिंह ने डिजिटल सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने फ़िशिंग, साइबर बुलिंग और सोशल इंजीनियरिंग जैसे विषयों पर गहन चर्चा की।

  3. प्रश्नोत्तरी और उपहार:
    सत्र के अंत में, एक प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। विजेताओं को उपहार देकर प्रोत्साहित किया गया।

क्यों है साइबर सुरक्षा पर ध्यान जरूरी?

आज के दौर में, जब हर बच्चा स्मार्टफोन, लैपटॉप और इंटरनेट से जुड़ा हुआ है, साइबर खतरों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।

  • फ़िशिंग अटैक: ऑनलाइन धोखाधड़ी का सबसे बड़ा माध्यम।
  • साइबर बुलिंग: बच्चों की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है।
  • डेटा चोरी: अनजाने में शेयर की गई जानकारी का दुरुपयोग।

कार्यक्रम ने बच्चों को इन खतरों से सतर्क रहने और डिजिटल उपकरणों का जिम्मेदारी से उपयोग करने के गुर सिखाए।

इतिहास में झांकें: साइबर सुरक्षा का उदय

इंटरनेट का विस्तार 1990 के दशक में शुरू हुआ और इसके साथ ही साइबर खतरों का जन्म हुआ। शुरुआती दौर में वायरस और हैकिंग मुख्य समस्याएं थीं। लेकिन अब सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स के चलते फ़िशिंग और डेटा चोरी जैसी समस्याएं बढ़ गई हैं।

भारत में पहली बार साइबर सुरक्षा पर बड़ा कदम 2000 में आईटी एक्ट के साथ उठाया गया। इसने डिजिटल धोखाधड़ी और अपराधों से निपटने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान किया।

भविष्य के लिए तैयार हो रहे छात्र

इस कार्यक्रम ने न सिर्फ छात्रों को साइबर खतरों के प्रति जागरूक किया, बल्कि उन्हें इनसे बचने के उपाय भी सिखाए।

  • पासवर्ड सुरक्षा: मजबूत और अलग-अलग पासवर्ड का उपयोग करें।
  • फिशिंग से बचाव: अनजान ईमेल या लिंक पर क्लिक न करें।
  • सोशल मीडिया सावधानियां: अपनी निजी जानकारी साझा करने से बचें।

ऐसे सत्र क्यों हैं जरूरी?

भारत में ऑनलाइन उपयोगकर्ता तेजी से बढ़ रहे हैं। बच्चों और युवाओं को साइबर खतरों से बचाने के लिए ऐसे जागरूकता अभियान अनिवार्य हैं।
यह सत्र एक सकारात्मक कदम था, लेकिन इसे व्यापक स्तर पर स्कूलों और कॉलेजों तक पहुंचाना होगा।

आपकी राय?

क्या आपके स्कूल में भी ऐसे सत्र आयोजित होते हैं? क्या आप साइबर खतरों के बारे में जागरूक हैं? कमेंट करें और अपनी राय साझा करें।

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