Ranchi Fraud: पुलिसकर्मी ने इंस्पेक्टर से ही कर दी 10 लाख की ठगी, जानें पूरा खेल!
रांची में पुलिसकर्मी ने ही इंस्पेक्टर से 10 लाख की ठगी कर दी! जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाकर दिया झांसा। जानिए पूरा मामला और पुलिस की कार्रवाई।

रांची: झारखंड की राजधानी में जमीन घोटाले का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सीआईडी में पदस्थापित आरक्षी प्रेम कमल तिवारी पर आरोप है कि उसने दो पुलिस अधिकारियों—इंस्पेक्टर बैजनाथ कुमार और सब इंस्पेक्टर प्रयाग दास—को जमीन दिलाने के नाम पर 5-5 लाख रुपये ठग लिए। कुल 10 लाख रुपये की यह ठगी अब पुलिस जांच के घेरे में आ गई है।
कैसे हुआ घोटाला?
शिकायतकर्ता बैजनाथ कुमार, जो वर्तमान में घाटशिला अंचल में सर्किल इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं, ने लालपुर थाना में मामला दर्ज कराया है। उनके मुताबिक, रांची एसएसपी के क्यूआरटी में तैनात आरक्षी प्रवीण तिवारी के जरिए उनकी मुलाकात प्रेम कमल तिवारी से हुई थी।
इस दौरान प्रेम कमल तिवारी ने बताया कि पंडरा के हेहल मौजा में एक जमीन बिक्री के लिए उपलब्ध है। उसने जमीन का एक पावर ऑफ अटर्नी दिखाया और फिर शिकायतकर्ता को जमीन का दौरा भी कराया।
कैसे हाथ लगी 10 लाख की रकम?
विश्वास दिलाने के लिए प्रेम कमल तिवारी ने 17 जुलाई 2022 को 5-5 लाख रुपये लेकर जमीन के नाम पर एक एग्रीमेंट कर दिया। यह सौदा मोरहाबादी में आरक्षी प्रवीण तिवारी समेत कई अन्य लोगों की मौजूदगी में हुआ था।
लेकिन इसके बाद प्रेम कमल तिवारी रजिस्ट्री कराने में टालमटोल करने लगा। कई बार दबाव डालने पर उसने पैसा लौटाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में पूरी तरह से पलट गया।
फर्जीवाड़े की पोल कैसे खुली?
जब शिकायतकर्ता ने दस्तावेजों की गहराई से जांच कराई तो जमीन का पावर ऑफ अटर्नी फर्जी निकला। इसके बाद बैजनाथ कुमार ने लालपुर थाने में प्रेम कमल तिवारी और प्रवीण तिवारी के खिलाफ केस दर्ज करा दिया।
झारखंड में जमीन घोटाले का इतिहास
झारखंड में फर्जी जमीन रजिस्ट्रेशन और धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। खासकर रांची और उसके आसपास के इलाकों में बड़े भू-माफिया गिरोह सक्रिय हैं। पंडरा, नामकुम, धुर्वा, हेहल और कांके इलाके में आए दिन फर्जी दस्तावेजों से जमीन बेचने के मामले सामने आते रहते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में रांची पुलिस और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने कई बड़े घोटालों का पर्दाफाश किया है, लेकिन इसके बावजूद ठगी के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे।
पुलिस की कार्रवाई
लालपुर थाना पुलिस ने इस मामले में गंभीर धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि प्रेम कमल तिवारी और प्रवीण तिवारी लंबे समय से ऐसे फर्जी सौदे कर रहे थे।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, अगर इस घोटाले की गहराई से जांच की जाए तो इसमें और भी नाम सामने आ सकते हैं।
क्या आगे गिरफ्तार होंगे आरोपी?
शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर सकती है। हालांकि अभी तक प्रेम कमल तिवारी और प्रवीण तिवारी फरार बताए जा रहे हैं।
पीड़ित पुलिस अधिकारी का बयान
इंस्पेक्टर बैजनाथ कुमार का कहना है कि उन्होंने पूरी ईमानदारी और भरोसे के साथ यह रकम दी थी, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं। उनका कहना है कि इस तरह की धोखाधड़ी झारखंड पुलिस की साख पर बट्टा लगा रही है।
क्या इस घोटाले में और नाम जुड़ सकते हैं?
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति द्वारा की गई ठगी नहीं, बल्कि एक संगठित रैकेट का हिस्सा हो सकता है। इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है, ताकि और भी आरोपियों का पर्दाफाश किया जा सके।
What's Your Reaction?






