Ranchi Rescue: एस्पायर ने रेस्क्यू कराई बच्ची, शिक्षा की नई राह पर लौटाया
रांची से लापता बच्ची को सामाजिक संस्था एस्पायर ने रेस्क्यू कर वापस चक्रधरपुर पहुंचाया। जानिए, कैसे शिक्षा के क्षेत्र में एस्पायर नई राह दिखा रही है।
झारखंड में शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए समाजिक संस्था एस्पायर ने एक और मिसाल पेश की है। हाल ही में एस्पायर की टीम ने रांची से लापता एक बच्ची को रेस्क्यू कर वापस लाया है। यह बच्ची पहले एस्पायर द्वारा संचालित ब्रिज कोर्स के माध्यम से आठवीं पास कर चुकी थी, लेकिन अचानक वह अपनी शिक्षा से दूर हो गई।
रेस्क्यू ऑपरेशन: कैसे मिली बच्ची?
एस्पायर की टीम को ट्रैकिंग के दौरान जानकारी मिली कि बच्ची अपने गांव से लापता है।
- टीम गठन:
प्रखंड समन्वयक रवींद्र राठौर की अगुआई में पांच सदस्यों की टीम बनाई गई। - परिवार से बातचीत:
जब टीम ने बच्ची के भाई-भाभी से संपर्क किया, तो पता चला कि वह वर्तमान में रांची में है। - रेस्क्यू अभियान:
टीम ने रांची जाकर बच्ची को सुरक्षित चक्रधरपुर लाने का काम किया।
बच्ची का सफर: शिक्षा से रेस्क्यू तक
बच्ची, जो इटिहासा पंचायत के बाकीतापी गांव की रहने वाली है, ने एस्पायर के ब्रिज कोर्स से अपने शैक्षणिक सफर की शुरुआत की।
- ब्रिज कोर्स:
सुरबुड़ा पंचायत के तिलोपदा में संचालित केंद्र में बच्ची ने एक साल का ब्रिज कोर्स पूरा किया। - आठवीं बोर्ड:
तिलोपदा मध्य विद्यालय से आठवीं पास कर वह नौवीं कक्षा में नामांकित हुई। - लापता होना:
आगे की पढ़ाई के बीच वह अचानक गायब हो गई, जिससे संस्था के सदस्यों को उसकी तलाश शुरू करनी पड़ी।
एस्पायर की भूमिका: शिक्षा से समाज सुधार तक
एस्पायर सामाजिक संस्था न केवल शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही है, बल्कि झारखंड के सुदूर क्षेत्रों में बच्चों को उनके अधिकार दिलाने का भी काम कर रही है।
- शिक्षा में योगदान:
संस्था ने कई बच्चों को ब्रिज कोर्स के माध्यम से मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ा है। - समाज सुधार:
रेस्क्यू जैसे अभियान यह दिखाते हैं कि संस्था बच्चों के भविष्य को लेकर कितनी गंभीर है।
झारखंड में शिक्षा: एक नजर
झारखंड जैसे राज्य में जहां शिक्षा का स्तर और पहुंच अभी भी एक बड़ी चुनौती है, वहां एस्पायर जैसी संस्थाएं नई उम्मीद जगा रही हैं।
- पिछड़ा क्षेत्र:
ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का प्रसार सीमित है। - शिक्षा की पहल:
एस्पायर जैसी संस्थाएं ब्रिज कोर्स और आरबीसी केंद्रों के माध्यम से बच्चों को स्कूल से जोड़ने का काम कर रही हैं।
रेस्क्यू के बाद आगे की योजना
रेस्क्यू के बाद बच्ची को तिलोपदा आरबीसी केंद्र में रखा गया है।
- शिक्षा की निरंतरता:
संस्था ने बच्ची की आगे की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी ली है। - मूलधारा में वापसी:
बच्ची को जल्द ही उच्च विद्यालय में नामांकित कर शिक्षा के सफर को फिर से शुरू किया जाएगा।
ऐसे हुआ रेस्क्यू अभियान संभव
रेस्क्यू टीम में शामिल सदस्यों ने अपने समर्पण से यह सुनिश्चित किया कि बच्ची को वापस सुरक्षित लाया जाए। टीम में सरस्वती सिजुई, सतीश सिजुई, लखीराम, जामिद, और सुरेभ पान जैसे सदस्य थे।
इन सदस्यों की मेहनत और प्रतिबद्धता ने न केवल बच्ची को बचाया, बल्कि यह भी साबित किया कि सही प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
क्या कहती है संस्था?
एस्पायर के प्रखंड समन्वयक रवींद्र राठौर का कहना है:
"हमारा उद्देश्य सिर्फ बच्चों को शिक्षा देना नहीं है, बल्कि उनके जीवन को सुरक्षित और बेहतर बनाना भी है।"
एक नई शुरुआत की कहानी
झारखंड में शिक्षा और समाज सुधार के लिए एस्पायर का यह प्रयास एक प्रेरणा है। यह घटना न केवल बच्ची के जीवन को नई दिशा देती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि जब समाज और संगठन मिलकर काम करते हैं, तो बदलाव संभव है।
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