UP Alert: मस्जिदों को तिरपाल से ढकने की परंपरा! आखिर क्यों हर साल दोहराई जाती है यह प्रक्रिया?
होली से पहले यूपी के कई जिलों में मस्जिदों को तिरपाल से क्यों ढका जाता है? क्या यह परंपरा बीते 5-6 सालों से जारी है? जानिए इसका इतिहास, वजह और प्रशासन का रुख।

अलीगढ़: हर साल होली से पहले यूपी के कई जिलों में एक खास नज़ारा देखने को मिलता है—मस्जिदों को तिरपाल से ढका जाता है। अलीगढ़, संभल, मुरादाबाद और शाहजहांपुर जैसे संवेदनशील इलाकों में यह प्रथा बीते 5-6 सालों से लगातार जारी है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है? क्या इसके पीछे सुरक्षा कारण हैं, या फिर यह सिर्फ एक एहतियातन कदम है? आइए, जानते हैं इस पूरे मामले की सच्चाई और इतिहास।
होली से पहले क्यों ढकी जाती हैं मस्जिदें?
होली का त्योहार रंगों और उमंग का पर्व है, लेकिन भीड़ और जश्न के दौरान अक्सर ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, जो किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, यूपी के संवेदनशील इलाकों में पुलिस प्रशासन द्वारा यह नियम लागू किया गया कि होली से पहले मस्जिदों को तिरपाल से ढका जाए, ताकि गलती से भी रंग या गंदगी उन पर न पड़े।
अलीगढ़ के ‘मस्जिद हलवाईयान’ की मिसाल
अलीगढ़ के प्रसिद्ध अब्दुल करीम चौराहे पर स्थित मस्जिद हलवाईयान इस प्रक्रिया का एक बड़ा उदाहरण है। हर साल, होली से एक दिन पहले इसे रात में ही तिरपाल से ढक दिया जाता है, ताकि कोई हुड़दंग करने वाला वहां कोई गंदगी या रंग न फेंक सके। स्थानीय लोग और प्रशासन मिलकर इस कार्य को पूरा करते हैं, जिससे शांति व्यवस्था बनी रहे।
5-6 साल पहले क्यों शुरू हुई यह परंपरा?
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह परंपरा तब शुरू हुई जब यूपी में नई सरकार आई और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रशासन ने यह कदम उठाया। हालांकि, इससे पहले भी कुछ जगहों पर होली या अन्य त्योहारों के दौरान मस्जिदों, मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए विशेष सावधानियां बरती जाती थीं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसे एक प्रचलित परंपरा बना दिया गया है।
क्या प्रशासन की यह नीति कारगर साबित हो रही है?
अधिकांश लोगों का मानना है कि यह एक सकारात्मक पहल है, जिससे किसी भी तरह की अनहोनी या विवाद से बचा जा सकता है। मस्जिदों को तिरपाल से ढकने से न केवल धार्मिक स्थलों की गरिमा बनी रहती है, बल्कि समाज में सौहार्द और भाईचारे का संदेश भी जाता है।
क्या अन्य राज्यों में भी है ऐसी व्यवस्था?
यूपी के अलावा, देश के अन्य हिस्सों में भी संवेदनशील धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए अलग-अलग कदम उठाए जाते हैं। दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार के कुछ संवेदनशील इलाकों में भी पुलिस प्रशासन विशेष निगरानी रखता है, हालांकि यूपी की तरह मस्जिदों को तिरपाल से ढकने की परंपरा अन्य जगहों पर कम ही देखने को मिलती है।
इतिहास में ऐसे कदम पहले भी उठाए गए हैं!
अगर इतिहास पर नजर डालें, तो भारत में धार्मिक सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रशासन पहले भी ऐसे कदम उठाता रहा है। 1992 के बाद, कई बार हिंदू और मुस्लिम त्योहारों के दौरान एहतियातन सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई। 1984 के दंगों के बाद भी दिल्ली और अन्य राज्यों में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर खास रणनीति बनाई गई थी। ऐसे में, मस्जिदों को तिरपाल से ढकने का यह कदम भी इसी दिशा में एक प्रयास माना जा सकता है।
क्या कहता है स्थानीय प्रशासन?
अलीगढ़ और अन्य संवेदनशील इलाकों में पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला पूरी तरह से शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए लिया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक:
"हमारा उद्देश्य सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी धार्मिक स्थल को नुकसान न पहुंचे और त्योहारों का जश्न बिना किसी विवाद के मनाया जा सके। यह कोई अनिवार्य नियम नहीं, बल्कि प्रशासन और स्थानीय लोगों की सहमति से लिया गया एक एहतियाती कदम है।"
स्थानीय लोगों की राय क्या है?
➤ मस्जिद कमेटी का बयान: "यह कदम हमारी धार्मिक आस्था की सुरक्षा के लिए उठाया गया है, और हम खुद प्रशासन के साथ मिलकर यह कार्य करते हैं। इससे किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।"
➤ क्षेत्रीय लोगों की राय: "हम सभी चाहते हैं कि त्योहार शांतिपूर्वक मनाया जाए। मस्जिद को तिरपाल से ढकना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सौहार्द और सुरक्षा के लिए किया जा रहा है।"
परंपरा जारी रहेगी या होगी कोई नई व्यवस्था?
मस्जिदों को तिरपाल से ढकने की परंपरा पिछले 5-6 सालों से जारी है और फिलहाल इसे हटाने की कोई योजना नहीं दिख रही। प्रशासन और स्थानीय लोग इस निर्णय का समर्थन कर रहे हैं, जिससे यह साफ हो जाता है कि जब तक होली के दौरान भीड़ और रंगों की अराजकता का खतरा रहेगा, तब तक यह परंपरा जारी रहने की संभावना है।
क्या आने वाले वर्षों में कोई नया समाधान निकलेगा? यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल, इस कदम से शांति व्यवस्था बनी हुई है, और यही सबसे महत्वपूर्ण बात है!
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