Jamshedpur Tragedy: छठ घाट पर बुजुर्ग की संदिग्ध मौत, परिजनों ने लगाए लापरवाही के आरोप!
जमशेदपुर के दोमुहानी छठ घाट पर सूर्य को अर्घ्य देने के बाद बुजुर्ग की संदिग्ध मौत! परिजनों का आरोप— अगर मौके पर एंबुलेंस होती, तो बच सकती थी जान! प्रशासन पर गंभीर सवाल!

जमशेदपुर: छठ पूजा का पावन अवसर, जब पूरे देश में आस्था की लहर दौड़ रही थी, तब झारखंड के जमशेदपुर में एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। शुक्रवार सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सोनारी थाना क्षेत्र के जाहिरा कॉलोनी निवासी 63 वर्षीय बुजुर्ग जोहार प्रसाद की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई।
कैसे हुई यह दर्दनाक घटना?
मिली जानकारी के अनुसार, जोहार प्रसाद अपने परिवार के साथ छठ पूजा करने गए थे। उन्होंने दोमुहानी घाट पर सूर्य को अर्घ्य दिया और फिर अपने कपड़े धोने लगे। लेकिन कुछ ही सेकंड बाद, वह अचानक पानी में बेहोश होकर गिर पड़े।
घटनास्थल पर मौजूद लोग उन्हें तुरंत पानी से बाहर निकाल लाए, लेकिन तब तक उनकी हालत गंभीर हो चुकी थी। परिजन आनन-फानन में उन्हें टाटा मुख्य अस्पताल (TMH) लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
क्या छठ घाट पर लापरवाही बनी मौत की वजह?
मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि अगर घाट पर एंबुलेंस की सुविधा होती, तो शायद जोहार प्रसाद की जान बच सकती थी।
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दोमुहानी घाट पर हर साल सैकड़ों श्रद्धालु छठ पूजा करने आते हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से जरूरी मेडिकल सुविधाओं का अभाव रहता है।
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छठ पूजा के दौरान कई बार हादसे होते हैं, फिर भी बेसिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं दिया जाता।
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इस मामले में प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं।
झारखंड में छठ पूजा के दौरान हादसों का इतिहास!
छठ पूजा के दौरान हर साल देशभर में कई श्रद्धालु हादसों का शिकार होते हैं।
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2022: पटना में गंगा घाट पर भीड़ के कारण भगदड़ मच गई थी, जिसमें कई लोग घायल हुए थे।
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2021: धनबाद में छठ पूजा के दौरान पानी में डूबकर 3 लोगों की मौत हुई थी।
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2019: रांची में बिजली के करंट की चपेट में आने से 4 लोगों की जान चली गई थी।
प्रशासन की ओर से क्या हो रहा है?
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पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है।
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प्रशासन की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई ठोस बयान नहीं आया है।
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क्या आने वाले सालों में प्रशासन इन घटनाओं से कोई सबक लेगा?
अब सवाल उठता है:
क्या प्रशासन को छठ पूजा जैसे बड़े आयोजनों में बेहतर मेडिकल सुविधा उपलब्ध नहीं करानी चाहिए?
अगर मौके पर एंबुलेंस और डॉक्टर होते, तो क्या जोहार प्रसाद की जान बच सकती थी?
क्या हर साल ऐसे हादसे होते रहेंगे और प्रशासन सिर्फ मूकदर्शक बना रहेगा?
छठ पूजा सिर्फ आस्था का पर्व नहीं, बल्कि जन-जन की भावनाओं से जुड़ा सबसे बड़ा त्योहार है। प्रशासन की छोटी-सी लापरवाही हजारों श्रद्धालुओं की जान जोखिम में डाल सकती है। अब देखना होगा कि इस घटना के बाद सरकार और प्रशासन कोई ठोस कदम उठाएगा या नहीं!
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