Jharkhand Attack: कोयला कारोबारियों पर क्यों बढ़ रहे हमले? जानिए पूरा गैंगवार का खेल!
झारखंड के कोयलांचल में कोयला कारोबारियों और अधिकारियों पर हमले क्यों बढ़ रहे हैं? 7-8 मार्च 2025 को दो हत्याओं के बाद गैंगवार का काला सच उजागर! कौन है इस खूनी खेल के पीछे? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

झारखंड का कोयलांचल (Coal Belt) अब सिर्फ खदानों की वजह से नहीं, बल्कि आपराधिक गिरोहों की खूनी जंग के लिए भी चर्चा में है। कोयला कारोबारियों और अधिकारियों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। रंगदारी वसूलने और वर्चस्व कायम करने के लिए संगठित अपराधी गिरोह गोलियां बरसा रहे हैं। 7 मार्च 2025 को रांची में कोयला कारोबारी बिपिन मिश्रा को दिन-दहाड़े गोली मारी गई, और ठीक अगले ही दिन 8 मार्च को हजारीबाग में एनटीपीसी के डीजीएम कुमार गौरव की हत्या कर दी गई।
ये हमले अचानक नहीं हो रहे, बल्कि एक संगठित अपराधी गिरोह कोयलांचल पर कब्जा जमाने के लिए गैंगवार छेड़े हुए है। लेकिन आखिर कौन हैं ये लोग? इनके पीछे कौन-सा गिरोह है?
कोयला खदानों पर अपराधियों की नजर, क्यों हो रही हत्याएं?
झारखंड के कोयला व्यवसाय से हर साल हजारों करोड़ों की कमाई होती है। कोयले की अवैध तस्करी और रंगदारी इस धंधे को खतरनाक बना रही है। कई अपराधी गिरोह इस काले सोने पर कब्जे की जंग लड़ रहे हैं। जो कारोबारी या अधिकारी इनकी बात नहीं मानते, उन्हें मौत की सजा दी जा रही है।
किसके इशारे पर हो रही हत्याएं?
झारखंड के कोयला बेल्ट में कई कुख्यात गिरोह सक्रिय हैं, जिनके बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है।
कोयलांचल में सक्रिय अपराधी गिरोह:
अमन साहू गिरोह – रांची, लातेहार, रामगढ़, हजारीबाग, देवघर, धनबाद और छत्तीसगढ़ में सक्रिय।
अमन श्रीवास्तव गिरोह – रामगढ़, हजारीबाग और लातेहार में दबदबा।
विकास तिवारी गिरोह – रामगढ़ और हजारीबाग में ऑपरेट करता है।
सुजीत सिन्हा गिरोह – लातेहार, पलामू, रांची और चतरा में सक्रिय।
प्रिंस खान गिरोह – धनबाद में अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है।
रक्तरंजित इतिहास: कब-कब हुआ खूनी खेल?
यह पहली बार नहीं है जब कोयलांचल में खून बहा हो। पिछले कुछ वर्षों में कई बड़ी घटनाएं हुई हैं:
7 मार्च 2025: रांची में कोयला ट्रांसपोर्टर बिपिन मिश्रा को दिन-दहाड़े गोली मारी गई।
8 मार्च 2025: हजारीबाग में एनटीपीसी के डीजीएम कुमार गौरव की हत्या।
12 अगस्त 2023: लातेहार में कोयला कारोबारी राजेंद्र साहू पर हमला।
7 जुलाई 2023: रांची में रंजीत गुप्ता को गोली मारी गई।
9 मई 2023: बड़कागांव में ऋत्विक कंपनी के प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर की हत्या।
15 मार्च 2023: धनबाद में बंटी चौधरी के आवास पर फायरिंग।
22 जनवरी 2023: धनबाद के कतरास में मनोज यादव की हत्या।
23 जनवरी 2023: रामगढ़ के गज्जू साहू की गाड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग।
गैंगवार या साजिश? पुलिस की नाकामी पर उठ रहे सवाल!
इन हमलों से साफ है कि पुलिस प्रशासन अपराधियों के आगे लाचार नजर आ रहा है। रांची और हजारीबाग में हुए ताजा हमले दिखाते हैं कि अपराधी बिना डर के हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं।
- एनटीपीसी के डीजीएम कुमार गौरव की हत्या यह साबित करती है कि अब अपराधी सिर्फ व्यापारियों को ही नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारियों को भी निशाना बना रहे हैं।
- कोयला खदानों में रंगदारी वसूली का यह खेल प्रशासन की मिलीभगत के बिना नहीं चल सकता।
- रेलवे साइडिंग, खदानों और रियल एस्टेट सेक्टर को भी इन गिरोहों ने अपनी पकड़ में ले लिया है।
क्या कोयलांचल बन चुका है 'मिनी चंबल'?
एक समय था जब बिहार और मध्य प्रदेश के बीहड़ डकैतों के लिए कुख्यात थे, लेकिन अब झारखंड का कोयलांचल 'मिनी चंबल' में बदलता जा रहा है। जहां बंदूक की नली के दम पर कारोबार चलाने की कोशिश हो रही है।
झारखंड सरकार और पुलिस क्या कर रही है?
सरकार और पुलिस बार-बार सख्त कार्रवाई की बात करती है, लेकिन नतीजे शून्य हैं।
क्या कोयला कारोबारियों और अधिकारियों की सुरक्षा बढ़ेगी?
क्या सरकार इन माफियाओं पर कोई सख्त कार्रवाई करेगी?
क्या पुलिस गैंगवार को रोकने में नाकाम साबित हो रही है?
अंत में सवाल यह है कि क्या कोयलांचल का यह खूनी खेल कभी रुकेगा, या फिर यहां की कोयला खदानें यूं ही खून से लाल होती रहेंगी?
What's Your Reaction?






