Khandwa Tragedy: गणगौर विसर्जन बना मौत का कुआं, 7 लोगों के डूबने से हड़कंप!
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में गणगौर विसर्जन के दौरान कुएं में 7 लोग डूब गए। जहरीली गैस और गाद से घिरे कुएं में अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। जानें पूरा मामला।
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के छैगांवमाखन क्षेत्र के कोंडावत गांव में गुरुवार शाम एक दर्दनाक हादसा हो गया, जिसने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया। गणगौर विसर्जन के दौरान कुएं की सफाई करते हुए 7 लोग डूब गए, और अब तक उनकी पहचान नहीं हो सकी है। जैसे ही हादसे की खबर फैली, गांव में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीणों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन कुएं में गाद और जहरीली गैस के कारण स्थिति और भयावह हो गई।
कैसे हुआ यह हादसा?
गुरुवार दोपहर करीब 4 बजे गणगौर विसर्जन के लिए ग्रामीणों ने गांव के चौक स्थित कुएं की सफाई करने का फैसला किया। लेकिन जैसे ही वे कुएं में उतरे, वहां मौजूद जहरीली गैस और दलदल ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया। देखते ही देखते 7 लोग पानी में समा गए और अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
जहरीली गैस: कुएं में सड़ चुके कचरे और गाद से निकलने वाली जहरीली गैस इस दुर्घटना का मुख्य कारण मानी जा रही है।
कीचड़ में फंसने की आशंका: कुएं की गहराई में गाद जमा थी, जिससे लोगों के अंदर फंसने की आशंका है।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी: स्थानीय पुलिस, प्रशासन और होमगार्ड की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच चुकी है और बचाव कार्य जारी है।
गांव में मातम, प्रशासन अलर्ट पर
हादसे की सूचना मिलते ही खंडवा एसपी मनोज राय, एसडीएम बजरंग बहादुर सिंह और छैगांवमाखन पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। गांव में मातम पसरा हुआ है, और परिवार वाले बदहवास हालत में अपनों की तलाश कर रहे हैं।
प्रशासन ने क्रेन, एंबुलेंस और पानी के टैंकर मंगवाए हैं ताकि कुएं के अंदर गैस का प्रभाव कम किया जा सके।
रेस्क्यू टीम को कुएं में उतरने में दिक्कत हो रही है, क्योंकि अंदर का माहौल बेहद घातक और खतरनाक बना हुआ है।
पंधाना विधायक छाया मोरे भी मौके पर पहुंचीं और घटना की पूरी जानकारी ली।
क्या कहता है गणगौर उत्सव का इतिहास?
गणगौर राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। इस दिन महिलाएं देवी पार्वती का पूजन करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस अवसर पर विसर्जन की परंपरा भी है, जिसमें महिलाएं नदी, तालाब या कुएं में गणगौर की मूर्ति विसर्जित करती हैं।
लेकिन अब समय के साथ जल स्रोतों की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि यह धार्मिक अनुष्ठान जानलेवा बनता जा रहा है। कुएं और तालाबों की सफाई न होने के कारण उनमें जहरीली गैस और कीचड़ जमा हो जाता है, जिससे ऐसे हादसे बार-बार होते हैं।
प्रशासन से सवाल – कब सुधरेगी जल स्रोतों की हालत?
क्यों नहीं होती कुओं की नियमित सफाई?
क्या गणगौर जैसे धार्मिक आयोजनों से पहले प्रशासन को सुरक्षा के इंतजाम नहीं करने चाहिए?
क्या इस हादसे के बाद कुओं की सफाई और सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा?
निष्कर्ष – यह हादसा चेतावनी है!
खंडवा की यह घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि हमारी धार्मिक परंपराएं अब असुरक्षित हो रही हैं। कुएं और तालाबों की सफाई नियमित रूप से होनी चाहिए ताकि ऐसे दर्दनाक हादसों से बचा जा सके।
हम प्रार्थना करते हैं कि डूबे हुए लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकाला जाए। प्रशासन को इस घटना से सबक लेना चाहिए और भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
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