India Ration: अब राशन हर तीन महीने में! क्या सरकार का ये फैसला कालाबाजारी खत्म कर देगा या नई मुसीबत लाएगा?
भारत सरकार ने राशन कार्डधारकों के लिए बड़ा बदलाव किया, अब हर तीन महीने में एक साथ मिलेगा राशन। इतिहास से सीखकर लिया फैसला, क्या ये भोजन सुरक्षा मजबूत करेगा? जानिए पूरी डिटेल और फायदे।
भारत में राशन कार्ड की व्यवस्था तो दशकों पुरानी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सिस्टम कब शुरू हुआ और अब इसमें इतना बड़ा बदलाव क्यों आ रहा है? कल्पना कीजिए, हर महीने लंबी लाइनों में खड़े होकर राशन लेने की झंझट खत्म! भारत सरकार ने राशन कार्डधारकों के लिए एक क्रांतिकारी फैसला लिया है – अब राशन हर तीन महीने में एक साथ मिलेगा। क्या ये फैसला आपकी रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बना देगा या नई चुनौतियां खड़ी करेगा? आइए, इस राशन कार्ड सुधार की गहराई में उतरते हैं, जहां इतिहास की झलक से लेकर भविष्य की संभावनाएं तक सब कुछ है।
राशन कार्ड का इतिहास भारत की आजादी से भी पुराना है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, 1940 के दशक में ब्रिटिश सरकार ने खाद्यान्न की कमी से निपटने के लिए राशनिंग सिस्टम शुरू किया। आजादी के बाद, 1950-60 के दशक में इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के रूप में मजबूत किया गया। 1990 के दशक तक ये सिस्टम भ्रष्टाचार और कालाबाजारी का शिकार होता रहा। फिर 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) आया, जिसने करोड़ों गरीबों को सस्ता अनाज देने का वादा किया। कोरोना महामारी ने इस सिस्टम की कमजोरियां उजागर कीं – लॉकडाउन में परिवहन रुक गया, कतारें लगीं और कई परिवार भूखे रह गए। इन्हीं सबक से सीखकर अब भारत सरकार ने राशन वितरण को हर तीन महीने में बदलने का फैसला लिया। क्या ये इतिहास दोहराने से बचाएगा?
इस फैसले की वजह क्या है? कोरोना काल में लाखों राशन कार्डधारकों को समय पर अनाज नहीं मिला। कहीं ट्रांसपोर्ट बाधित हुआ, तो कहीं दुकानों पर भीड़ से संक्रमण फैला। सरकार ने सोचा, क्यों न राशन वितरण को सरल बनाया जाए? अब हर तीन महीने में एक साथ राशन मिलेगा, जिससे महीने-दर-महीने की भागदौड़ खत्म। क्या आप सोच सकते हैं कि इससे कितना समय और पैसा बचेगा? खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां राशन दुकान दूर होती है। लेकिन सवाल ये है – क्या ये व्यवस्था हर राज्य में एक जैसी चलेगी?
किन्हें मिलेगा ये फायदा? सभी वैध राशन कार्डधारकों को! चाहे वो अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के तहत हों, प्राथमिकता वाले परिवार (PHH) हों या प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के लाभार्थी। कोई नया आवेदन नहीं, बस पुराना राशन कार्ड ही काफी। NFSA के तहत 81 करोड़ से ज्यादा लोग कवर हैं, और ये फैसला उन्हें सीधे प्रभावित करेगा। क्या आपके परिवार में राशन कार्ड है? अगर हां, तो तैयार हो जाइए तीन महीने के स्टॉक के लिए!
कैसे लागू होगी ये राशन वितरण व्यवस्था? पूरे देश में एक साथ नहीं, बल्कि चरणबद्ध तरीके से। कई राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट चल चुके हैं, जैसे मध्य प्रदेश और तेलंगाना में जहां तीन महीने का राशन एक साथ दिया गया। 2025 के अंत तक, यानी दिसंबर तक, इसे पूरे भारत में लागू करने का लक्ष्य है। लेकिन क्या सभी राज्य सहमत हैं? तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों ने केंद्र की सलाह ठुकराई है, तो क्या ये एकरूपता बिगाड़ेगा? राज्यवार सामग्री में भी भिन्नता रहेगी – गेहूं, चावल, दाल, तेल, नमक और कुछ जगह चीनी। ये तीन महीने की अनुमानित खपत पर आधारित होगा।
कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। स्मार्ट राशन कार्ड, OTP वेरिफिकेशन और ऑनलाइन ट्रैकिंग से फर्जीवाड़ा रुकेगा। इतिहास में PDS में 40% तक लीकेज होती थी, लेकिन अब बायोमेट्रिक और e-KYC से ये कम होगा। क्या ये तकनीक ग्रामीण इलाकों में काम करेगी, जहां इंटरनेट कमजोर है? ये देखना बाकी है।
और घर-घर राशन पहुंचाने का प्लान? कुछ राज्य डोर-स्टेप डिलीवरी शुरू कर रहे हैं। मोबाइल वैन से वृद्ध, दिव्यांगों को घर बैठे राशन मिलेगा। क्या ये अमेजन डिलीवरी जैसा सुविधाजनक होगा? इससे भोजन सुरक्षा मजबूत होगी, परिवार बेहतर प्लानिंग कर सकेंगे। लेकिन स्टोरेज की समस्या? तीन महीने का राशन रखने की जगह हर घर में नहीं होती।
ये राशन कार्ड सुधार गरीब और मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देगा, लेकिन क्या ये परफेक्ट है? कोरोना से सीखा सबक क्या वाकई काम आएगा? आप क्या सोचते हैं – कमेंट में बताएं! अगर आपके इलाके में ये लागू हो गया, तो अनुभव शेयर करें। भारत सरकार का ये कदम इतिहास रचेगा या नई बहस छेड़ेगा? राशन वितरण का ये नया दौर रोमांचक है, जहां हर तीन महीने में उम्मीद की नई खेप आएगी। लेकिन सतर्क रहें, क्योंकि सिस्टम में बदलाव हमेशा चुनौतियां लाते हैं।
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