Bihar Unemployment Scheme खुला नीतीश का पिटारा: ख्वाब को हकीकत बनता देख रहा बिहार
बिहार के बेरोजगार स्नातकों को हर महीने 1000 रुपये कैसे मिलेंगे? नीतीश कुमार ने योजना का विस्तार क्या बड़ा तोहफा दिया है? जेन पात्रता, लाभ और राजनीति के पहलू – पूरी कहानी यहां!
पटना : 18 सितंबर 2025: बिहार में बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी! मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को 'मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना' का विस्तार करते हुए स्नातक पास बेरोजगार युवाओं को हर महीने 1000 रुपये देने का ऐलान किया है। ये योजना पहले सिर्फ इंटर पास युवाओं तक सीमित थी, लेकिन अब ग्रेजुएट्स को भी शामिल कर लिया गया है। क्या ये बिहार के युवाओं के सपनों को हकीकत में बदलने वाला कदम है? आइए, इस घोषणा की गहराई में उतरते हैं और देखते हैं कि ये कैसे लाखों युवाओं की जिंदगी बदल सकती है, खासकर जब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं।
योजना की डिटेल्स: कौन ले सकता है फायदा, कैसे मिलेगा पैसा?
नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसकी जानकारी साझा की। योजना के तहत 20-25 साल के वो स्नातक पास युवा (कला, विज्ञान या वाणिज्य स्ट्रीम से) जो कहीं पढ़ाई नहीं कर रहे, कोई नौकरी या स्वरोजगार नहीं है, उन्हें अधिकतम दो साल तक 1000 रुपये प्रति महीना मिलेगा। ये राशि सीधे उनके बैंक अकाउंट में आएगी, ताकि वो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी या स्किल ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल कर सकें। पहले ये भत्ता सिर्फ इंटर पास युवाओं को मिलता था, लेकिन अब ग्रेजुएट्स को शामिल करने से लाखों और युवा लाभान्वित होंगे।
सरकार का कहना है कि ये 'सात निश्चय' कार्यक्रम का हिस्सा है, जो युवाओं को सशक्त बनाने पर फोकस करता है। नीतीश ने पोस्ट में लिखा, "नवंबर 2005 से हमारी प्राथमिकता युवाओं को नौकरी और रोजगार देना रही है। अगले पांच साल में एक करोड़ युवाओं को सरकारी या निजी सेक्टर में रोजगार देने का लक्ष्य है।" क्या ये सिर्फ एक भत्ता है या बड़ा बदलाव? विशेषज्ञों का मानना है कि ये युवाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा, लेकिन क्या 1000 रुपये काफी हैं बिहार जैसे राज्य में जहां बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर है?
राजनीतिक कोण: चुनाव से पहले का 'मास्टरस्ट्रोक'?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही नीतीश कुमार का ये ऐलान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। विपक्ष इसे 'चुनावी जुमला' बता रहा है, जबकि जेडीयू इसे युवा सशक्तिकरण का कदम मानती है। हाल ही में नीतीश ने महिलाओं के लिए 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' लॉन्च की थी, जहां 10,000 रुपये की पहली किस्त दी जाती है। उसके बाद निर्माण मजदूरों को 802 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। अब युवाओं की बारी – क्या ये चुनावी रणनीति है?
आरजेडी और अन्य विपक्षी दल इसे अपर्याप्त बता रहे हैं। एक विपक्षी नेता ने कहा, "1000 रुपये से क्या होगा? युवा लाखों की नौकरी चाहते हैं, न कि छोटी-मोटी मदद।" लेकिन नीतीश कैंप का दावा है कि ये योजना युवाओं को ट्रेनिंग के लिए प्रोत्साहित करेगी, जिससे वे सरकारी नौकरियों में सफल होंगे। बिहार में युवा वोटर निर्णायक हैं, और ये घोषणा उन्हें लुभाने का प्रयास लगती है। क्या नीतीश का 'पिटारा' चुनावी मैदान में कमाल करेगा?
नवम्बर 2005 में नई सरकार बनने के बाद से ही अधिक से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार देना तथा उन्हें सशक्त और सक्षम बनाना हमलोगों की प्राथमिकता रही है। आप अवगत हैं कि अगले पांच साल में एक करोड़ युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। आने वाले… — Nitish Kumar (@NitishKumar) September 18, 2025
युवाओं पर असर: सपने हकीकत बनने की राह
कल्पना कीजिए, एक ग्रेजुएट युवा जो पटना की गलियों में नौकरी की तलाश में भटक रहा है। अब उसके खाते में हर महीने 1000 रुपये आएंगे – किताबें खरीदने, कोचिंग जॉइन करने या बस किराया देने के लिए। बिहार में बेरोजगारी की दर 14% से ऊपर है, और ग्रेजुएट्स सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ये योजना उन्हें थोड़ी राहत देगी, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि असली जरूरत स्किल डेवलपमेंट और जॉब क्रिएशन की है।
एक युवा ने X पर लिखा, "ये अच्छा कदम है, लेकिन ज्यादा राशि होनी चाहिए।" सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं मिश्रित हैं – कुछ सराहना कर रहे, तो कुछ इसे चुनावी स्टंट बता रहे। क्या ये योजना वाकई युवाओं के ख्वाबों को हकीकत बनाएगी, या सिर्फ एक अस्थायी सहारा?
तुलना और भविष्य: अन्य राज्यों से क्या सीख?
अन्य राज्यों में भी ऐसी योजनाएं हैं – जैसे राजस्थान का बेरोजगारी भत्ता या केंद्र की स्किल इंडिया। लेकिन बिहार की ये योजना ज्यादा लक्षित है। सरकार का दावा है कि ये कौशल विकास से जुड़ी है, जहां युवाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। अगले पांच साल में एक करोड़ नौकरियां – ये बड़ा वादा है, लेकिन क्या पूरा होगा? अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बिहार की अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए इंडस्ट्रीज और निवेश की जरूरत है।
निष्कर्ष: बिहार का नया दौर?
नीतीश कुमार का ये 'पिटारा' खुलना बिहार के लिए एक नई शुरुआत हो सकता है। युवाओं के सपने अब हकीकत बनते नजर आ रहे हैं, लेकिन असली टेस्ट तो अमल में होगा। क्या आप भी इस योजना से सहमत हैं? क्या ये चुनावी चाल है या सच्ची मदद? कमेंट्स में बताएं, और ज्यादा अपडेट्स के लिए फॉलो करें। बिहार बदल रहा है – क्या आप तैयार हैं?
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