West Singhbhum Accident : सड़क पर चीख पुकार, बाइक सवार युवक-युवती की मौके पर मौत
पश्चिमी सिंहभूम जिले में दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर दिया। बाइक सवार युवक और युवती की टक्कर में मौत हो गई। हेलमेट न पहनने और तेज रफ्तार का खामियाजा उन्हें अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।
गोइलकेरा-मनोहरपुर मार्ग पर एक तेज रफ्तार हादसे ने दो परिवारों की खुशियां छीन लीं। महादेवशाल सैप कैंप के पास दोपहर करीब तीन बजे हुई इस दुर्घटना में बाइक सवार युवक और युवती की मौके पर ही मौत हो गई।
कौन थे हादसे के शिकार?
पुलिस जांच में मृतकों की पहचान सामने आई। युवक का नाम पोंडेराम हाईबुरु था, जिसकी उम्र महज 18 साल थी और वह गोइलकेरा प्रखंड के खूंटपाई गांव का निवासी था। युवती की पहचान मनोहरपुर प्रखंड के सोनपोखरी की रहने वाली के रूप में हुई है। दोनों अपने घर से निकलकर गोइलकेरा की ओर जा रहे थे।
वहां मौजूद चश्मदीदों के मुताबिक, युवक हीरो ग्लैमर बाइक चला रहा था और युवती पीछे बैठी थी। दुर्भाग्य से, दोनों ने हेलमेट नहीं पहना था।
कैसे हुआ हादसा?
गवाहों का कहना है कि बाइक सवार युवक-युवती एक मालवाहक वाहन को ओवरटेक कर रहे थे। उसी वक्त सामने से आ रहे एक अज्ञात वाहन ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी और फरार हो गया।
टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बाइक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और दोनों सवारों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। उनके सिर पर गंभीर चोट आई और खून से सड़क लाल हो गई।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही गोइलकेरा पुलिस मौके पर पहुंची।
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दोनों शवों को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
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घटनास्थल पर एक मालवाहक वाहन (नंबर – सीजी04एनडब्ल्यू/6879) खड़ा मिला, जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया।
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अब पुलिस अज्ञात वाहन और फरार चालक की तलाश में जुटी है।
हादसे के बाद कुछ देर तक सड़क पर जाम जैसी स्थिति बन गई थी, जिसे पुलिस ने बाद में क्लियर कराया।
सड़क हादसों का बढ़ता खतरा
भारत सड़क हादसों के मामले में दुनिया के सबसे आगे देशों में गिना जाता है।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि हर साल 1.5 लाख से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाते हैं।
इनमें से बड़ी संख्या युवाओं की होती है।
पश्चिमी सिंहभूम जैसे ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी भयावह है, क्योंकि यहां सड़कों की हालत खराब है और लोग अक्सर ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते।
इतिहास गवाह है कि जब-जब हेलमेट या सेफ्टी गियर की अनदेखी हुई है, तब-तब हादसे ने परिवारों को हमेशा के लिए बर्बाद कर दिया है।
हेलमेट क्यों है जरूरी?
इस हादसे में सबसे बड़ा सबक यही है कि हेलमेट जीवन रक्षक है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हेलमेट पहनने से सड़क हादसे में मौत का खतरा 40% तक कम हो जाता है।
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वहीं, सिर पर गंभीर चोट लगने का खतरा लगभग 70% तक घट जाता है।
लेकिन दुख की बात यह है कि भारत के छोटे कस्बों और गांवों में लोग अब भी हेलमेट को बोझ समझते हैं।
परिवारों पर टूटा गम का पहाड़
पोंडेराम हाईबुरु के परिवार में मातम का माहौल है। महज 18 साल की उम्र में उसकी मौत ने गांव को हिला दिया है। दूसरी ओर, सोनपोखरी की युवती के परिजन रो-रोकर बेहाल हैं।
गांववालों का कहना है कि दोनों पढ़ाई और भविष्य को लेकर गंभीर थे। किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक साधारण सफर इतना बड़ा हादसा बन जाएगा।
सबक क्या है?
यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक कड़वी चेतावनी है।
तेज रफ्तार, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी और हेलमेट न पहनना – यही मौत की वजह बनते हैं।
सवाल यह है कि आखिर कब तक युवा लापरवाही की कीमत अपनी जान देकर चुकाते रहेंगे?
क्या अब समय नहीं आ गया कि हम सड़क सुरक्षा को गंभीरता से लें?
आज पोंडेराम और सोनपोखरी की बेटी नहीं रही, कल कोई और हो सकता है।
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