Autism Chil Care Tips : ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे की परवरिश में पीछे रह गए तो पछताएंगे! अभी जानें 7 जरूरी टिप्स!
क्या आप अपने ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे की सही परवरिश के तरीके नहीं जानते? इस लेख में 7 जरूरी टिप्स के साथ जानें कैसे उनकी जिंदगी को बेहतर बनाएं, वरना मौका हाथ से निकल जाएगा! अभी पढ़ें
24 अक्टूबर 2025, रात 11:45 IST - आज के समय में, जहां हर माता-पिता अपने बच्चे के भविष्य को बेहतर बनाना चाहते हैं, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) से ग्रस्त बच्चों की परवरिश एक बड़ी चुनौती बन गई है। अमेरिकी CDC के अनुसार, हर 36 में से 1 बच्चा इस स्थिति से प्रभावित है, और भारत में भी इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सही जानकारी और समय पर कदम उठाने से आप अपने बच्चे की जिंदगी को नई दिशा दे सकते हैं? अगर नहीं, तो यह लेख आपके लिए है—जानें 7 जरूरी टिप्स, वरना यह मौका हाथ से निकल जाएगा!
ऑटिज्म को समझें
ऑटिज्म एक विकासात्मक स्थिति है, जिसमें संचार, सामाजिक संपर्क और व्यवहार में अंतर देखा जाता है। हर बच्चा अलग होता है—कुछ को अधिक सहायता चाहिए, तो कुछ कम। प्रारंभिक निदान (2-4 साल की उम्र में) महत्वपूर्ण है। ऑटिज्म सोसाइटी या बाल रोग विशेषज्ञों से जानकारी लेकर शुरुआत करें।
7 जरूरी टिप्स और उनके समाधान
- प्रारंभिक हस्तक्षेप और थेरेपी
- समस्या: देर से शुरूआत से विकास में देरी।
- समाधान: 5 साल से पहले एबीए (Applied Behavior Analysis), स्पीच थेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी शुरू करें। साप्ताहिक 10-20 घंटे की योजना बनाएं और IEP (Individualized Education Plan) के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। छोटी-छोटी उपलब्धियों (पहला शब्द, आंख मिलाना) को सेलिब्रेट करें।
- संरचित माहौल बनाएं
- समस्या: अनियमितता से चिंता और व्यवहार समस्याएं।
- समाधान: विजुअल शेड्यूल (Choiceworks ऐप) का उपयोग करें, नाश्ता, सोने का समय और गतिविधियां नियमित रखें। बदलाव के लिए 5 मिनट पहले चेतावनी दें। बच्चे को पसंदीदा गतिविधि चुनने दें।
- संचार को बढ़ावा दें
- समस्या: विलंबित या गैर-मौखिक संचार।
- समाधान: तस्वीर कार्ड (Proloquo2Go) या साइन लैंग्वेज का उपयोग करें। धीरे-धीरे बोलें और हर प्रयास (भले ही गैर-मौखिक हो) का जवाब दें। संचार को खेल बनाएं—गाने या कठपुतलियों से।
- संवेदी संवेदनशीलता का ध्यान रखें
- समस्या: आवाज, रोशनी या बनावट से परेशानी।
- समाधान: नॉइज-कैंसिलिंग हेडफोन, फिडगेट खिलौने या वेटेड ब्लैंकेट रखें। भीड़भाड़ से बचें या धीरे-धीरे अभ्यास करें। बच्चे की पसंद (हग या जगह) समझें।
- सामाजिक कौशल विकसित करें
- समस्या: सामाजिक संकेतों को समझने में कठिनाई।
- समाधान: सामाजिक कौशल समूह या संरचित प्लेडेट्स में शामिल करें। घर पर “हैलो” कहने का अभ्यास करें। स्कूल में पीयर बडी सिस्टम मांगें। दोस्ती की छोटी शुरुआत को सेलिब्रेट करें।
- माता-पिता की आत्म-देखभाल
- समस्या: थकान और जलन का खतरा।
- समाधान: ऑटिज्म स्पीक्स ग्रुप्स या रेस्पाइट केयर से सहायता लें। शौक या आराम के लिए समय निकालें। जरूरत हो तो चिकित्सक से सलाह लें। दोस्त से अपनी बात शेयर करें।
- अपने बच्चे की वकालत करें
- समस्या: शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच।
- समस्या: IDEA कानून के तहत अधिकार सीखें, IEP मीटिंग्स में भाग लें, और सुविधाएं मांगें। ऑटिज्म एनजीओ से संपर्क करें। अपनी आवाज को बच्चे की ताकत बनाएं।
इस सफर को अपनाएं
ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे को “ठीक” करने की बजाय उनकी खूबियों को अपनाएं। मुश्किल दिनों (मेलेनकॉल्स या गलतफहमियां) में प्रगति पर ध्यान दें। 24 अक्टूबर 2025 तक, समाज अधिक समावेशी हो रहा है—वर्चुअल थेरेपी और ऑटिज्म-फ्रेंडली इवेंट्स उपलब्ध हैं। आपका बच्चा हंसी, खासियतों और विकास से भरा है—यह सफर उसी का जश्न है।
हर ऑटिज्म बच्चा अलग है, इसलिए इन टिप्स को अपने परिवार के हिसाब से ढालें। मील के पत्थर लिखें, समुदाय से जुड़ें, और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञों से मदद लें। अगर आप अपने बच्चे की रुचियों या चुनौतियों को साझा करें, तो हम और सटीक सलाह दे सकते हैं। साथ मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाएं जहां वे फलें-फूलें!
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