Chakulia Tragedy : सर्पदंश से मासूम छात्रा की दर्दनाक मौत, गांव में पसरा मातम

चाकुलिया प्रखंड के सारसबाद गांव में सर्पदंश से स्कूली छात्रा मुक्ता महतो की मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। समय पर इलाज न मिलने और जागरूकता की कमी ने यह दर्दनाक हादसा बड़ा सवाल खड़ा कर गया है।

Sep 25, 2025 - 20:20
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Chakulia Tragedy : सर्पदंश से मासूम छात्रा की दर्दनाक मौत, गांव में पसरा मातम
Chakulia Tragedy : सर्पदंश से मासूम छात्रा की दर्दनाक मौत, गांव में पसरा मातम

सारसबाद गांव की मासूम छात्रा मुक्ता महतो की मौत ने पूरे इलाके को गहरे सदमे में डाल दिया। गुरुवार की दोपहर जब मुक्ता अपने ही घर में चैन की नींद सो रही थी, तभी एक जहरीले सांप ने उसे डंस लिया। किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह दोपहर पूरे परिवार की जिंदगी हमेशा के लिए बदल देगी।

परिजनों की भाग-दौड़, लेकिन नहीं बच सकी मासूम

सर्पदंश के बाद जब मुक्ता की तबीयत बिगड़ने लगी, तो परिजन उसे वाहन से झाड़ग्राम अस्पताल ले जाने लगे। लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। रास्ते में ही मुक्ता ने दम तोड़ दिया। शाम को जब शव गांव पहुंचा तो मातम का माहौल और भी गहरा गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है, और गांव के लोग भी स्तब्ध हैं कि एक मासूम इतनी जल्दी उन्हें छोड़कर चली गई।

गांव में पसरा मातम और सवाल

मुक्ता महतो की मौत ने न सिर्फ एक परिवार बल्कि पूरे गांव को हिला दिया।
गांव के लोग बार-बार यही सवाल कर रहे हैं –

  • क्या अगर गांव के पास बेहतर स्वास्थ्य सुविधा होती तो मुक्ता बच सकती थी?

  • क्यों आज भी सर्पदंश जैसे मामलों में लोग अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं?

यह सवाल सिर्फ सारसबाद का नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण भारत का है, जहां सांप के काटने से हर साल सैकड़ों लोग मौत का शिकार बनते हैं।

भारत में सर्पदंश का इतिहास और हकीकत

भारत को “सांपों का देश” कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में सबसे ज्यादा सर्पदंश से मौतें भारत में होती हैं।

  • हर साल करीब 50,000 से ज्यादा लोग सांप के काटने से जान गंवाते हैं।

  • झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में यह संख्या और भी ज्यादा है।

  • ग्रामीण इलाकों में समय पर एंटी-वेनम न मिल पाने के कारण मौतें बढ़ जाती हैं।

इतिहास बताता है कि सांपों को भारत की संस्कृति और परंपरा में देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। नाग पंचमी इसका बड़ा उदाहरण है। लेकिन यही सांप जब जानलेवा बनते हैं, तो यह परंपरा और हकीकत के बीच की खाई को उजागर कर देते हैं।

समय पर इलाज क्यों नहीं मिल पाया?

मुक्ता की मौत से सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं आखिर कब तक लाचार रहेंगी?

  • सारसबाद गांव से झाड़ग्राम अस्पताल की दूरी ज्यादा है।

  • गांव के पास कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है जहां एंटी-वेनम उपलब्ध हो।

  • परिजन मजबूरी में वाहन का इंतजार करते हैं और कीमती समय यूं ही निकल जाता है।

यानी, यह हादसा सिर्फ सर्पदंश की वजह से नहीं बल्कि प्रणाली की कमी के कारण हुआ।

परिवार और समाज पर गहरा असर

मुक्ता महतो एक स्कूली छात्रा थी। उसके सपने अभी पूरे भी नहीं हुए थे।
गांव के लोगों का कहना है कि वह पढ़ाई में तेज थी और परिवार की उम्मीद थी कि एक दिन वह कुछ बड़ा करेगी। लेकिन अब उसकी यादें ही रह गई हैं।

परिवार के लिए यह सिर्फ एक बेटी की मौत नहीं, बल्कि उम्मीदों और भविष्य का खत्म हो जाना है।

 सीख क्या है?

मुक्ता की मौत हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि सर्पदंश जैसी रोकी जा सकने वाली मौतें आखिर कब तक होती रहेंगी?
क्या सरकार ग्रामीण इलाकों में एंटी-वेनम और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर कर पाएगी?
क्या लोगों में जागरूकता बढ़ेगी ताकि वे तुरंत प्राथमिक इलाज कर सकें?

एक बात तो तय है – अगर समय पर इलाज और सही संसाधन मिले होते, तो शायद मुक्ता आज जिंदा होती।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।