Jamshedpur Awareness: एमजीएम मेडिकल कॉलेज में एड्स के प्रति जागरूकता, नुक्कड़ नाटक से सिखाए बचाव के उपाय
विश्व एड्स दिवस पर जमशेदपुर एमजीएम मेडिकल कॉलेज में छात्रों ने नुक्कड़ नाटक के जरिए एड्स के खतरों और बचाव के उपायों पर चर्चा की। जानें कैसे यह पहल समाज में जागरूकता ला रही है।
जमशेदपुर, झारखंड – विश्व एड्स दिवस पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज में एक अनोखी पहल देखने को मिली। मेडिकल छात्रों ने नुक्कड़ नाटक के जरिए एड्स और यौन संक्रमित रोगों के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाई। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल एड्स के प्रति समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करना था, बल्कि इसे रोकने और इससे बचाव के उपायों पर भी प्रकाश डालना था।
नुक्कड़ नाटक से जागरूकता का संदेश
इस कार्यक्रम में मेडिकल छात्रों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बताया कि एड्स एक गंभीर लेकिन प्रबंधनीय बीमारी है। नाटक के जरिए यह संदेश दिया गया कि कैसे छोटी-छोटी सावधानियां बरतकर लोग इस खतरनाक बीमारी से बच सकते हैं। उन्होंने यह भी समझाया कि नियमित जीवनशैली और स्वस्थ आदतें अपनाकर न केवल एड्स बल्कि कई अन्य बीमारियों से भी बचा जा सकता है।
डॉक्टरों की सलाह और जागरूकता अभियान
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने एड्स के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। डॉक्टरों ने कहा कि एड्स से बचाव के लिए सही जानकारी का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि एड्स के इलाज में दवाओं का नियमित सेवन बेहद कारगर है।
"जिस तरह हम डायबिटीज के लिए दवा लेते हैं, उसी तरह एड्स के मरीज भी अपनी दवाएं लेकर सामान्य जीवन जी सकते हैं," डॉक्टर ने समझाया।
विश्व एड्स दिवस का महत्व
हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य एचआईवी/एड्स से जुड़े मिथकों को दूर करना और जागरूकता फैलाना है। पहली बार 1988 में मनाया गया यह दिवस, आज एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है। स्वास्थ्य संगठनों और स्थानीय समुदायों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के जरिए लोगों को इस महामारी से लड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है।
झारखंड में एड्स की स्थिति
झारखंड में एड्स के मामलों में जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, राज्य सरकार और स्थानीय स्वास्थ्य संगठनों के प्रयासों से जागरूकता में वृद्धि हुई है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज जैसी संस्थाएं इस दिशा में अहम भूमिका निभा रही हैं।
छात्रों का योगदान
इस आयोजन में मेडिकल छात्रों ने न केवल नाटक प्रस्तुत किया, बल्कि सवाल-जवाब सत्र के जरिए दर्शकों के संदेह भी दूर किए। छात्रों ने बताया कि एड्स केवल यौन संपर्क से ही नहीं, बल्कि संक्रमित सुई, रक्त चढ़ाने और मां से बच्चे को भी हो सकता है। इससे बचने के लिए सावधानी बरतनी जरूरी है।
समाज में बदलाव की पहल
नुक्कड़ नाटक जैसे कार्यक्रम न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने का सशक्त माध्यम भी हैं। ऐसे आयोजनों के जरिए लोग अपनी झिझक और भ्रांतियों को छोड़कर सही जानकारी हासिल कर सकते हैं।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
कार्यक्रम में मौजूद दर्शकों ने छात्रों और डॉक्टरों के प्रयासों की सराहना की। लोगों ने बताया कि ऐसे आयोजनों से न केवल बीमारी के बारे में जानकारी मिलती है, बल्कि इससे जुड़े डर को भी कम किया जा सकता है।
पुलिस की भूमिका और सामाजिक सुरक्षा
डॉक्टरों ने यह भी बताया कि एचआईवी संक्रमित लोगों के साथ भेदभाव एक गंभीर मुद्दा है। इसके लिए समाज में जागरूकता और सहानुभूति लाने की आवश्यकता है।
जमशेदपुर एमजीएम मेडिकल कॉलेज का यह प्रयास समाज में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। विश्व एड्स दिवस जैसे अवसर पर ऐसे कार्यक्रम न केवल जानकारी बढ़ाने का जरिया हैं, बल्कि समाज को एकजुट करने का भी माध्यम हैं। एड्स के खिलाफ लड़ाई में जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है, और यह पहल इस दिशा में एक मजबूत कदम है।
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