Crisis in Ghatshila : घाटशिला में प्रशासन क्यों ठप है? विवाह, ज़मीन और न्याय में चौंकाने वाली देरी – आप विश्वास नहीं करेंगे इसका असर!

क्या घाटशिला में रुके विवाह पंजीकरण और ज़मीन सौदों से परेशान हैं? जानें कैसे एक महीने से उप-निबंधक और कार्यपालक दंडाधिकारी की कमी ने झारखंड के इस अनुमंडल को ठप कर दिया है, जिससे संवैधानिक अधिकार प्रभावित हो रहे हैं – सरकार से तत्काल कार्रवाई की माँग!

Sep 6, 2025 - 23:05
Sep 6, 2025 - 23:10
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Crisis in Ghatshila : घाटशिला में प्रशासन क्यों ठप है? विवाह, ज़मीन और न्याय में चौंकाने वाली देरी – आप विश्वास नहीं करेंगे इसका असर!
Crisis in Ghatshila : घाटशिला में प्रशासन क्यों ठप है? विवाह, ज़मीन और न्याय में चौंकाने वाली देरी – आप विश्वास नहीं करेंगे इसका असर!

घाटशिला , झारखंड – 6 सितंबर, 2025 झारखंड के घाटशिला अनुमंडल में पिछले एक महीने से उप-निबंधक और कार्यपालक दंडाधिकारी के पद रिक्त होने के कारण प्रशासनिक कार्य पूरी तरह ठप हो गए हैं। इस संकट ने स्थानीय निवासियों का सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक जीवन बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं, लेकिन उनके पास पहले से ही राजस्व प्रशासन, विधि-व्यवस्था, चुनावी दायित्व, विकास योजनाओं की निगरानी और लोक शिकायतों का निपटारा जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य हैं। ऐसे में इन महत्वपूर्ण पदों की अनुपस्थिति ने जनता के लिए गंभीर समस्याएँ पैदा कर दी हैं।

इस रिक्तता का असर सीधे तौर पर आम लोगों के जीवन पर पड़ रहा है। विवाह पंजीकरण पूरी तरह रुक गया है, जिसके चलते नवविवाहित जोड़ों को कानूनी पहचान नहीं मिल रही। इससे बैंक खाते खोलने, सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने, पासपोर्ट और वीजा जैसी प्रक्रियाओं में भारी दिक्कतें आ रही हैं। एक प्रभावित निवासी ने बताया, "यह सिर्फ़ कागज़ी कार्रवाई नहीं है, यह हमारे भविष्य को सुरक्षित करने की बात है।"

संपत्ति खरीद-बिक्री और ऋण से जुड़े दस्तावेज़ों का पंजीकरण भी लटका हुआ है। इससे न केवल व्यापारी और आम लोग आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं, बल्कि किसानों को भी ज़मीन से जुड़े लेन-देन में परेशानी हो रही है। पंजीयन अधिनियम, 1908 और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 तथा विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत होने वाली कानूनी प्रक्रियाएँ रुकने से नागरिकों के अधिकार बाधित हो रहे हैं।

इसी तरह, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 के तहत कार्यपालक दंडाधिकारी की अनुपस्थिति में त्वरित प्रशासनिक आदेश और शांति व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल हो गया है। छोटे-मोटे प्रमाण पत्र, हलफनामे और अनुमोदन के लिए लोगों को बार-बार कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। राजस्व विवाद और सत्यापन से जुड़े मामलों में महीनों की देरी हो रही है। छात्र-छात्राओं को जाति, आय और निवास प्रमाण पत्र समय पर न मिलने के कारण छात्रवृत्ति और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवेदन में दिक्कतें आ रही हैं। महिलाओं को विवाह प्रमाण पत्र न होने से सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में परेशानी हो रही है।

ग्रामीण और आदिवासी समुदाय इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित हैं। भूमि अधिकार, पट्टा नवीनीकरण और वनाधिकार कानून से जुड़े मामले पूरी तरह ठप हैं, जिससे क्षेत्र में पहले से मौजूद विकासात्मक चुनौतियाँ और गहरी हो गई हैं। अधिवक्ता और समाजसेवी ज्योतिर्मोय दास ने कहा, "पिछले एक महीने से घाटशिला के नागरिकों को न्याय और प्रशासनिक सेवाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। विवाह पंजीकरण से लेकर ज़मीन के दस्तावेज़ तक, हर प्रक्रिया रुकी हुई है। शिक्षा, बैंकिंग, सामाजिक योजनाएँ और न्याय तक पहुँच गंभीर रूप से प्रभावित है। यह नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। मैं सरकार से तत्काल उप-निबंधक और कार्यपालक दंडाधिकारी की नियुक्ति की माँग करता हूँ।"

यह संकट केवल प्रशासनिक अव्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 नागरिकों को समानता का अधिकार देता है, अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जिसमें समय पर न्याय तक पहुँच शामिल है, और अनुच्छेद 38 राज्य को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का दायित्व देता है। वर्तमान स्थिति इन प्रावधानों के खिलाफ है।

नागरिकों की एकजुट माँग है कि सरकार तत्काल इन रिक्त पदों पर नियुक्तियाँ करे, ताकि जनता को समय पर सेवाएँ मिल सकें और सुशासन की भावना मजबूत हो। घाटशिला अनुमंडल कार्यालय के अधिकारियों ने नियुक्तियों के समय पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह मुद्दा राँची में उच्च अधिकारियों तक पहुँच चुका है।

यह स्थिति प्रशासनिक तंत्र की कमज़ोरियों को उजागर करती है, खासकर दूरदराज के अनुमंडलों में, जहाँ एक पद की रिक्तता पूरे समुदाय को प्रभावित कर सकती है। घाटशिला के लोग राहत की प्रतीक्षा में हैं, और यहाँ सुशासन और नागरिक-केंद्रित प्रशासन की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक महसूस हो रही है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।