पोटका विधानसभा चुनाव में नया मोड़: क्या निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी पूर्व विधायक मेनका सरदार?
झारखंड विधानसभा चुनाव में पोटका सीट से पूर्व विधायक मेनका सरदार के इस्तीफे के बाद क्या वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी या भाजपा प्रत्याशी मीरा मुंडा का समर्थन करेंगी? जानें पूरा मामला।
झारखंड विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही पोटका विधानसभा सीट से एक बड़ी राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही है। जहां एक तरफ भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, वहीं पोटका सीट से मौजूदा हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। हाल ही में, पूर्व विधायक मेनका सरदार ने भाजपा से इस्तीफा देने की घोषणा कर सबको चौंका दिया था। अब सवाल यह उठता है कि क्या वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी, या फिर भाजपा प्रत्याशी मीरा मुंडा का समर्थन करेंगी?
भाजपा प्रत्याशी मीरा मुंडा की मुलाकात से सियासी माहौल गर्म:
पोटका विधानसभा से भाजपा ने इस बार मीरा मुंडा को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस घोषणा के बाद आज सुबह मीरा मुंडा ने पूर्व विधायक और भाजपा नेत्री मेनका सरदार के आवास पर उनसे मुलाकात की। यह मुलाकात चुनावी समीकरणों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म कर रही है। मुलाकात के पीछे के कारण को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। जहां कुछ का मानना है कि यह भाजपा में एकता बनाए रखने का प्रयास है, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह मीरा मुंडा की ओर से एक सियासी रणनीति है ताकि मेनका सरदार चुनाव मैदान में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर न उतरें।
क्या मेनका सरदार निर्दलीय लड़ेंगी चुनाव?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या मेनका सरदार निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी? यदि वह चार दिनों में अपना नामांकन दाखिल करती हैं, तो यह तय हो जाएगा कि वे इस चुनावी दंगल में भाजपा के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरेंगी। लेकिन अगर वह नामांकन नहीं करतीं, तो माना जा सकता है कि वे भाजपा प्रत्याशी मीरा मुंडा के समर्थन में आ गई हैं।
हालांकि, मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या मेनका सरदार अपनी रणनीति में बदलाव करेंगी? भाजपा से उनका इस्तीफा पार्टी के लिए एक झटका था, और अगर वे निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं तो इससे पोटका सीट पर भाजपा की स्थिति कमजोर हो सकती है।
चार दिन में होगा फैसला:
चुनावी नामांकन के लिए अब महज चार दिन बचे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि मेनका सरदार क्या फैसला लेती हैं। अगर वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ती हैं, तो यह पोटका विधानसभा के चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकता है।
मीरा मुंडा के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति:
मीरा मुंडा के सामने इस समय चुनौती दोगुनी है। एक तरफ उन्हें भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर अपनी स्थिति को मजबूत करना है, तो दूसरी तरफ मेनका सरदार की ओर से किसी भी संभावित चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, मीरा मुंडा की मेनका सरदार से हुई मुलाकात को एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन चुनावी नतीजे इस बात पर निर्भर करेंगे कि अगले चार दिनों में घटनाक्रम किस दिशा में बढ़ता है।
समर्थन या मुकाबला?
इस पूरी सियासी ड्रामे के बीच, पोटका विधानसभा की जनता भी असमंजस में है। उन्हें यह देखना होगा कि क्या मेनका सरदार चुनाव मैदान में उतरकर भाजपा के खिलाफ खड़ी होंगी, या फिर वे मीरा मुंडा का समर्थन करेंगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मेनका सरदार निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं, तो इसका सीधा फायदा विपक्षी पार्टियों को हो सकता है, जबकि अगर वे मीरा मुंडा के समर्थन में उतरती हैं, तो भाजपा को मजबूती मिलेगी।
अभी तक मेनका सरदार ने अपने अगले कदम के बारे में कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है। ऐसे में सभी की निगाहें अगले चार दिनों पर टिकी हैं, जब नामांकन की अंतिम तारीख समाप्त होगी। तब तक, यह साफ नहीं हो पाएगा कि पोटका विधानसभा सीट पर भाजपा की स्थिति कितनी मजबूत या कमजोर है।
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