Balaghat Horror: 7 दरिंदों ने 3 नाबालिगों व महिला के साथ किया सामूहिक बलात्कार, शादी से लौट रहे पीड़ितों को झाड़ियों में घसीटा!
मध्य प्रदेश के बालाघाट में हैवानियत की सनसनीखेज घटना - 7 आरोपियों ने विवाह समारोह से लौट रही 3 नाबालिग लड़कियों व एक महिला के साथ गैंगरेप किया। जानिए कैसे दो बाइकों पर चढ़े दरिंदों ने पीड़ितों को झाड़ियों में घसीटा और POCSO एक्ट के तहत क्या होगी कार्रवाई?

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में एक ऐसी घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है, जहां 3 नाबालिग लड़कियों और एक युवा महिला के साथ 7 आरोपियों ने सामूहिक बलात्कार किया। यह वारदात हट्टा पुलिस थाना क्षेत्र में गुरुवार दोपहर (दोपहर 1:30 से 2 बजे के बीच) तब हुई, जब पीड़ित एक विवाह समारोह से लौट रहे थे। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन यह घटना एक बार फिर महिला सुरक्षा और आदिवासी इलाकों में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।
क्या हुआ था उस दिन?
- पीड़ित परिवार आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखता है।
- विवाह समारोह से लौटते समय उनके साथ एक युवक भी था।
- दो बाइकों पर सवार 7 आरोपियों ने पीछा किया और झाड़ियों वाले एकांत इलाके में घसीट लिया।
- युवक को धमकाकर दूर खदेड़ दिया गया, जबकि चारों पीड़ितों के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया।
- घटना के बाद पीड़ितों ने हट्टा थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद POCSO एक्ट और IPC 376 (गैंगरेप) के तहत मामला दर्ज हुआ।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान
बालाघाट पुलिस ने सभी 7 आरोपियों को पकड़ा है, जिनमें से 6 वयस्क और 1 नाबालिग है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम हैं:
1. लोकेश मात्रे (22 वर्ष)
2. लालचंद खरे (25 वर्ष)
3. अजेंद्र बाहे (28 वर्ष)
4. अज्जू बागदाते (24 वर्ष)
5. राजेंद्र कावरे (20 वर्ष)
6. मनीराम बाहे (26 वर्ष)
7. एक नाबालिग (17 वर्ष, जिसे सुधार गृह भेजा गया)।
क्या कहता है कानून?
- POCSO एक्ट के तहत नाबालिगों के साथ दुष्कर्म पर उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है।
- IPC 376(D) के अनुसार, गैंगरेप के दोषियों को कम से कम 20 साल की सजा हो सकती है।
- आदिवासी इलाके होने के कारण SC/ST एक्ट भी लागू हो सकता है।
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बालाघाट का इतिहास: क्या बदला है पिछले एक दशक में?
बालाघाट जिला महिला अपराधों के मामले में अक्सर सुर्खियों में रहा है। 2018 में यहां एक 15 साल की आदिवासी लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था, जिसमें 4 आरोपियों को उम्रकैद हुई थी। 2021 में भी एक नर्स के साथ हमले की घटना सामने आई थी।
क्यों बार-बार हो रही हैं ऐसी घटनाएं?
- जंगली और सुनसान इलाके: बालाघाट के कई हिस्सों में घने जंगल और झाड़ियां हैं, जहां पुलिस पेट्रोलिंग कम होती है।
- शराब और गुंडागर्दी: आरोपी अक्सर नशे की हालत में ऐसे अपराध करते हैं।
- कानून का डर न होना: आदिवासी समुदाय के लोग अक्सर पुलिस में कम विश्वास रखते हैं, जिसका फायदा आरोपी उठाते हैं।
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अब क्या होगा आगे?
1. पीड़िताओं का मेडिकल टेस्ट पूरा हो चुका है, जिसमें दुष्कर्म की पुष्टि हुई है।
2. फॉरेंसिक जांच में बाइक के टायर के निशान और मोबाइल डेटा की जांच की जा रही है।
3. कोर्ट में चार्जशीट जल्द पेश की जाएगी, ताकि फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो सके।
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क्या सीखा जाए इस घटना से?
बालाघाट की यह घटना साबित करती है कि कानून बनाने से ज्यादा जरूरी उसे लागू करना है। आदिवासी इलाकों में महिला सुरक्षा दस्ते, बेहतर स्ट्रीट लाइटिंग और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। अगर समय रहते कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो ऐसे दरिंदे फिर से हमला करने से नहीं हिचकिचाएंगे।
अब सवाल यह है – क्या इस बार न्याय तेजी से मिलेगा?
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