Dhanbad Raid: वासेपुर में एटीएस का बड़ा एक्शन, हथियार और आतंक से जुड़े सबूत बरामद
झारखंड एटीएस ने वासेपुर में आतंकियों के नेटवर्क पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। दो पिस्टल, कारतूस, लैपटॉप और प्रतिबंधित साहित्य बरामद। जानिए पूरी कहानी।

झारखंड के धनबाद जिले के वासेपुर इलाके में शुक्रवार को उस वक्त हड़कंप मच गया जब आतंक निरोधक दस्ता (एटीएस) की टीम ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर दी। यह कार्रवाई हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद मिली गुप्त सूचनाओं के आधार पर की गई। बताया जा रहा है कि वासेपुर में छिपे आतंकियों के नेटवर्क से जुड़े कई महत्वपूर्ण सुराग एटीएस के हाथ लगे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, आतंकवादी संगठन हिज्ब-उत-ताहिर (HUT) और अलकायदा इन इंडियन सब-कॉन्टिनेंट (AQIS) से जुड़े लोग धनबाद में अपनी जड़ें फैला रहे थे। गुप्त सूचना के आधार पर एटीएस ने नूर मस्जिद इलाके में अचानक छापेमारी की, जहाँ से दो अत्याधुनिक पिस्तौल, भारी मात्रा में कारतूस, कई लैपटॉप, स्मार्टफोन, प्रतिबंधित साहित्य और डायरी बरामद की गई।
गिरफ्तारी और राष्ट्रविरोधी नेटवर्क का भंडाफोड़
छापेमारी के दौरान एटीएस ने चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान इस प्रकार हुई है:
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गुलफाम हसन (अलीनगर, बैंक मोड़, धनबाद)
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आयान जावेद (अमन सोसाइटी, भूली ओपी क्षेत्र)
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मोहम्मद शहजाद आलम
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शबनम प्रवीण
बताया जा रहा है कि ये सभी आरोपी सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स के जरिए युवाओं को धार्मिक उग्रवाद के रास्ते पर धकेलने का काम कर रहे थे। देश के खिलाफ राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देना और प्रतिबंधित संगठनों के लिए नए सदस्य जोड़ना इनका मुख्य उद्देश्य था।
इतिहास में पहली बार हिज्ब-उत-ताहिर पर कार्रवाई
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि 10 अक्टूबर 2024 को भारत सरकार ने हिज्ब-उत-ताहिर (HUT) को यूएपीए अधिनियम के तहत प्रतिबंधित कर दिया था। इस प्रतिबंध के बाद देश में यह पहला बड़ा केस है जिसमें सीधे तौर पर इस संगठन के खिलाफ एटीएस ने इतनी बड़ी कार्रवाई की है।
हिज्ब-उत-ताहिर 1953 में अस्तित्व में आया था और इसका मकसद पूरी दुनिया में इस्लामिक खिलाफत स्थापित करना रहा है। भारत में इसे आतंकी गतिविधियों में शामिल होने और धार्मिक कट्टरता फैलाने के चलते प्रतिबंधित किया गया।
पूछताछ से खुल सकते हैं और भी राज
फिलहाल एटीएस इन चारों आरोपियों से गहन पूछताछ कर रही है। सूत्रों का दावा है कि पूछताछ में कई अन्य नाम सामने आ सकते हैं, जो देश के अन्य हिस्सों में सक्रिय हैं।
एटीएस अधिकारी ने बताया कि बरामद लैपटॉप और स्मार्टफोन की फॉरेंसिक जांच करवाई जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि आतंकियों का नेटवर्क कितना फैला हुआ था और किन-किन लोगों के साथ इनका संपर्क था।
वासेपुर और विवादों का पुराना नाता
गौरतलब है कि वासेपुर इलाका पहले भी आपराधिक गतिविधियों के लिए बदनाम रहा है। गैंगवार और माफिया नेटवर्क के चलते वासेपुर देशभर में चर्चा का विषय बन चुका है। लेकिन अब इस इलाके का आतंकियों के नेटवर्क से जुड़ना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक नया खतरा बनकर उभरा है।
अब अगला कदम क्या होगा?
झारखंड एटीएस ने संकेत दिए हैं कि यह सिर्फ शुरुआत है। जल्द ही इस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए और भी कई जगहों पर छापेमारी की जाएगी। राज्य और देश की सुरक्षा एजेंसियां भी इस मामले पर पूरी नजर बनाए हुए हैं।
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